![]() |
मनगवां तहसील में सीसीटीवी कैमरे सवालों के घेरे में, पारदर्शिता या निजी नियंत्रण? Aajtak24 News |
रीवा – आज के दौर में सरकारी दफ्तरों में पारदर्शिता और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाना एक सामान्य बात है। लेकिन मनगवां तहसील के अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) कार्यालय में लगे कैमरे अब संदेह के घेरे में आ गए हैं। आरोप है कि ये कैमरे पारदर्शिता सुनिश्चित करने के बजाय, अधिकारी के निजी नियंत्रण का साधन बन सकते हैं। हाल ही में पदस्थ हुए अनुविभागीय अधिकारी संजय जैन ने कार्यालय में कैमरे लगवाए हैं। इसका उद्देश्य कर्मचारियों की कार्यप्रणाली में सुधार और जनता के लिए बेहतर सेवा सुनिश्चित करना बताया गया है। हालांकि, अधिवक्ताओं और स्थानीय लोगों का कहना है कि एक सरकारी दफ्तर में लगे कैमरों का उपयोग सार्वजनिक मॉनिटरिंग के लिए होना चाहिए, न कि किसी निजी व्यक्ति की निगरानी के लिए। अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रभात चंद्र द्विवेदी ने बताया कि जब उन्होंने इन कैमरों के संचालन और पारदर्शिता के बारे में जानकारी मांगी, तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने सूचना का अधिकार (RTI) के तहत आवेदन देकर रिकॉर्डिंग और उससे जुड़ी जानकारी मांगी है। इस घटना से यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या इन कैमरों का मकसद वास्तव में कर्मचारियों की कार्यप्रणाली में सुधार लाना है, या ये सिर्फ एक अधिकारी के निजी नियंत्रण का माध्यम बन गए हैं। इस मामले में अनुविभागीय अधिकारी संजय जैन से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन समाचार लिखे जाने तक उनका पक्ष नहीं मिल सका, जिससे स्थिति और भी अधिक संदेहास्पद हो गई है। स्थानीय नागरिक और अधिवक्ता समुदाय यह मांग कर रहे हैं कि यदि सरकारी कार्यालयों में कैमरे लगाए जा रहे हैं, तो उनकी फुटेज तक पारदर्शी पहुंच होनी चाहिए। साथ ही, लाइव मॉनिटरिंग और उच्च अधिकारियों द्वारा नियमित समीक्षा की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि इनका असली उद्देश्य — पारदर्शिता, जवाबदेही और भ्रष्टाचार पर अंकुश — पूरा हो सके।