16 महीने में 10 पंचायत सचिव, थम गया विकास: सिंगरौली की खटाई पंचायत में सियासी भूचाल bhuchal Aajtak24 News

16 महीने में 10 पंचायत सचिव, थम गया विकास: सिंगरौली की खटाई पंचायत में सियासी भूचाल bhuchal Aajtak24 News

सिंगरौली - मध्य प्रदेश। जिले की खटाई ग्राम पंचायत पिछले 16 महीनों से प्रशासनिक अस्थिरता के एक ऐसे भंवर में फंसी है, जिसने गांव के विकास को पूरी तरह से रोक दिया है। इस दौरान, यहां एक-दो नहीं, बल्कि 10 पंचायत सचिवों को बदला गया है। बार-बार हो रहे इन तबादलों और प्रभार में फेरबदल के पीछे स्थानीय राजनीति का गहरा हस्तक्षेप बताया जा रहा है, जिसने न सिर्फ ग्रामीणों को बल्कि पंचायत के चुने हुए प्रतिनिधियों को भी हैरान कर दिया है। ग्राम पंचायत की सरपंच हिरामन देवी साहू ने जिला पंचायत के जिम्मेदार अधिकारियों और विशेषकर जिला पंचायत सीईओ की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। सरपंच का कहना है कि जब से उन्होंने पद संभाला है, पंचायत में कुछ लोगों को यह बात नागवार गुजर रही है। इन लोगों की कोशिश है कि सरपंच को सीधे तौर पर परेशान न करके, पंचायत सचिवों के माध्यम से उनके काम में दखल दिया जाए। इसी राजनीतिक दबाव के चलते सचिवों के तबादले और नियुक्ति का सिलसिला लगातार जारी है, जिससे गांव में कोई भी विकास कार्य ठीक से नहीं हो पा रहा है। सबसे चौंकाने वाली घटना हाल ही में घटी। 28 जुलाई को जिले की प्रभारी मंत्री सम्पतिया उईके के अनुमोदन के बाद बोदाखूंटा पंचायत से अरविंद कुमार शर्मा को खटाई में पदस्थ किया गया, जबकि भगवान सिंह का तबादला खटाई से कोरसर कोठार कर दिया गया था। लेकिन, इस आदेश के जारी होने के ठीक तीन दिन बाद, जिला पंचायत सीईओ ने इसे निरस्त कर दिया और भगवान सिंह को फिर से खटाई में यथावत रखने की कवायद शुरू कर दी। सरपंच का आरोप है कि इतनी जल्दी आदेश रद्द करने के पीछे सिर्फ और सिर्फ राजनैतिक हस्तक्षेप है।

सरपंच हिरामन देवी ने यह भी बताया कि सचिव भगवान सिंह पहले भी सात साल तक इस पंचायत में पदस्थ थे और उस दौरान लाखों रुपये की अनियमितताएं की गई थीं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उन्हें फिर से खटाई पंचायत में पदस्थ किया जाता है, तो ग्रामीण चुप नहीं बैठेंगे और इसके विरोध में आंदोलन और धरना प्रदर्शन करेंगे।यह प्रशासनिक अराजकता न सिर्फ गांव के लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गई है, बल्कि यह मध्य प्रदेश सरकार की तबादला नीति का भी खुलेआम उल्लंघन है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 17 जून से तबादलों पर रोक लगा रखी है, लेकिन सिंगरौली में इस तरह के मनमाने तबादले जारी हैं। भले ही मंत्री के अनुमोदन की बात कही जा रही हो, लेकिन एक आदेश को तीन दिन में निरस्त करना यह साबित करता है कि स्थानीय स्तर पर राजनीति कितनी हावी है।

पिछले 16 महीनों के दौरान 10 सचिवों की अदला-बदली की लिस्ट भी चौंकाने वाली है। फरवरी 2024 में रामाधार केवट के सेवानिवृत्त होने के बाद श्यामसुंदर बैस को प्रभार दिया गया। फिर अरविंद शर्मा को पदस्थ किया गया, जिसके बाद श्यामसुंदर बैस को वित्तीय प्रभार सौंपा गया। इसके बाद भगवान सिंह को लाया गया, फिर से अरविंद शर्मा को पदस्थ किया गया और अब फिर से भगवान सिंह की वापसी की कोशिश हो रही है। इस तरह के लगातार बदलावों से पंचायत के कामकाज पूरी तरह से रुक गए हैं। गांव के लोग अपने छोटे-छोटे कामों के लिए भटक रहे हैं और विकास की उम्मीदें टूट रही हैं। इस मामले ने न सिर्फ स्थानीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दिखा दिया है कि कैसे कुछ राजनैतिक लोग अपने फायदे के लिए गांव की प्रगति को बाधित कर सकते हैं।

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