मोहन सरकार में गौवंशों की दुर्दशा जारी: मनगवां में दर्दनाक सड़क हादसा, पांच गायों की मौत पर उठे सवाल! saval Aajtak24 News

मोहन सरकार में गौवंशों की दुर्दशा जारी: मनगवां में दर्दनाक सड़क हादसा, पांच गायों की मौत पर उठे सवाल! saval Aajtak24 News

रीवा /मनगवां - प्रदेश में गौमाता की सुरक्षा और संवर्धन के बड़े-बड़े दावे करने वाली मोहन सरकार के राज में सड़कों पर बेसहारा घूम रहे गौवंशों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। इसका ताजा और दर्दनाक उदाहरण रीवा जिले के मनगवां से सामने आया है, जहाँ आज सुबह, 5 जुलाई 2025 को तड़के 3 बजे, यूपी ढाबा के पास एक अनियंत्रित ट्रक ने सड़क पर बैठी पांच गायों को बेरहमी से कुचल दिया। हादसे के बाद घंटों तक गौवंश सड़क पर दर्द से तड़पते रहे, लेकिन हैरत की बात यह है कि नगर परिषद मनगवां के जिम्मेदार मौके पर पहुंचने के बावजूद घायल गौवंशों को कोई इलाज मुहैया नहीं कराया गया।

तेज रफ्तार ट्रक ने पांच गायों को रौंदा, प्रशासन की लापरवाही उजागर

स्थानीय प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बीती रात एक तेज रफ्तार ट्रक ने मनगवां नगर में प्रवेश करते ही सड़क पर बैठे पांच गौवंशों को जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि कई गायें गंभीर रूप से घायल हो गईं और घंटों तक सड़क पर छटपटाती रहीं। यह घटना उस वक्त सामने आई जब स्थानीय लोगों ने गौवंशों को तड़पते देखा और प्रशासन को सूचना दी। हालाँकि, हद तो तब हो गई जब सूचना मिलने के बावजूद नगर परिषद के कर्मचारी और अधिकारी मौके पर पहुंचे तो सही, लेकिन घायल गौवंशों को देखकर बिना कोई सहायता प्रदान किए ही लौट गए। स्थानीय लोगों का गंभीर आरोप है कि नगर परिषद और प्रशासन केवल कागजी गौशालाओं और बड़ी-बड़ी घोषणाओं तक ही सीमित है। धरातल पर न तो सड़कों पर घूम रहे गौवंशों के लिए कोई सुरक्षा व्यवस्था है और न ही घायल होने पर उनके इलाज की कोई ठोस प्रणाली। मनगवां में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, पुलिस सहित कई महत्वपूर्ण कार्यालय होने के बावजूद, गायें इलाज के अभाव में तड़पती रहीं, जो सरकारी दावों की पोल खोलता है।

प्रशासनिक लापरवाही और नेताओं की चुप्पी पर गंभीर सवाल

इस दर्दनाक हादसे ने प्रशासनिक लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय समाजसेवियों और जागरूक नागरिकों ने पुरजोर मांग की है कि घायल गौमाताओं का तत्काल इलाज कराया जाए और सड़क पर बेसहारा घूम रहे गौवंशों की सुरक्षा के लिए अविलंब ठोस कदम उठाए जाएं। साथ ही, इस हृदयविदारक हादसे के लिए जिम्मेदार ट्रक चालक पर सख्त से सख्त कार्रवाई की भी मांग की जा रही है। प्रदेश में 'गौ-रक्षा' के नाम पर बड़े-बड़े दावे और राजनीति करने वाले नेताओं की चुप्पी भी अब सवालों के घेरे में है। आमजन का कहना है कि चुनावी मौसम में गौवंश की रक्षा का राग अलापने वाले नेता ऐसे हादसों पर मौन क्यों साध लेते हैं? यह घटना एक बार फिर सरकार की कथित गौ-संवर्धन नीति की हकीकत बयां करती है। गौ-रक्षा और गौवंश के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद, जमीनी हकीकत कुछ और ही दिख रही है। अब यह बेहद जरूरी हो गया है कि सरकार और प्रशासन जमीनी स्तर पर सख्त कदम उठाएं और केवल घोषणाओं तक सीमित न रहें, वरना ऐसी घटनाएं गौवंशों की दुर्दशा का काला सच बनकर सामने आती रहेंगी, और उनके 'संरक्षण' के दावे खोखले साबित होते रहेंगे।

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