रीवा में 5 क्विंटल गांजे के साथ दो ट्रक जब्त, कीमत ₹31 लाख; पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल saval Aajtak24 News


रीवा में 5 क्विंटल गांजे के साथ दो ट्रक जब्त, कीमत ₹31 लाख; पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल saval Aajtak24 News

रीवा/मध्य प्रदेश - रीवा पुलिस ने रविवार को एक बड़ी कार्रवाई का खुलासा करते हुए 5 क्विंटल (500 किलोग्राम) गांजा जब्त किया है, जिसकी अनुमानित कीमत ₹31 लाख बताई जा रही है। रीवा पुलिस कंट्रोल रूम में आयोजित पत्रकार वार्ता में एडिशनल एसपी आरती सिंह ने बताया कि मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर विश्वविद्यालय थाना प्रभारी हितेंद्र नाथ शर्मा और उनकी टीम ने शनिवार रात अजगरहा बाईपास के पास दो ट्रकों को रोकने का प्रयास किया। चालकों ने भागने की कोशिश की, लेकिन पुलिस की कड़ी नाकेबंदी के चलते दोनों ट्रकों को रोका गया और तलाशी लेने पर भारी मात्रा में गांजा बरामद हुआ। चालकों से पूछताछ में पता चला है कि यह खेप ओडिशा से लाई गई थी। दोनों ट्रकों को पुलिस ने जब्त कर लिया है और आगे की पूछताछ जारी है।

'ऑपरेशन प्रहार' के बावजूद रीवा क्यों बन रहा गांजे का गढ़?

यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब रीवा जिले को सूत्रों द्वारा गांजे की मंडी बताया जा रहा है। 'ऑपरेशन प्रहार' के तहत जिले के विभिन्न स्थानों पर लगातार कार्रवाईयां की जा रही हैं, और जब वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश होते हैं, तब थाना प्रभारियों की पीठ थपथपाई जाती है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि यह गांजा आखिर आता कहां से है और किन रास्तों से होकर किन स्थानों पर पहुंचता है, जहां तस्कर इसे अस्थाई रूप से स्टोर कर रहे हैं?

थाना प्रभारियों के बदलाव पर उठते सवाल और पुलिस की 'कमाई का जरिया'

स्थानीय लोगों और सूत्रों का आरोप है कि थाना प्रभारी के बदलते ही और नए थाना प्रभारी के आते ही नशे के कारोबार पकड़े जाने लगते हैं। इससे पहले, आम जनता के बीच यह बात आम रहती है कि नशीली कफ सिरप, गांजा और शराब गांवों में खुलेआम बिक रही है और यह पुलिस के लिए 'कमाई का जरिया' बन चुकी है।

शहर के कई ऐसे थाने हैं जहां पुलिस मुख्यालय भोपाल द्वारा विगत दिनों आदेश जारी किया गया था कि निरीक्षक स्तर के अधिकारी को ही थाना प्रभारी बनाया जाए, सब इंस्पेक्टर को नहीं। लेकिन रीवा में कई ऐसे सब इंस्पेक्टर हैं जिनके ऊपर कथित तौर पर 'खादी और खाकी दोनों का आशीर्वाद' रहता है, और वे अपनी मनचाही जगहों पर पदस्थापना करा लेते हैं, जबकि कई निरीक्षक रैंक के अधिकारियों को लाइन अटैच कर दिया जाता है। इसे लेकर आमजन में यह चर्चा है कि 'यह तो रामराज की सरकार है, यहां कुछ भी संभव है।' यह स्थिति पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करती है, और यह मांग उठ रही है कि नशे के इस कारोबार की जड़ तक पहुंचा जाए और इसमें लिप्त सभी बड़े-छोटे अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।



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