रीवा में उफनती महाना नदी ने ली दो जिंदगियां: गर्भवती महिला और अजन्मे शिशु की दर्दनाक मौत mot Aajtak24 News

रीवा में उफनती महाना नदी ने ली दो जिंदगियां: गर्भवती महिला और अजन्मे शिशु की दर्दनाक मौत mot Aajtak24 News

रीवा - रीवा जिले की जवा तहसील में हुई मूसलाधार बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। इस दौरान एक बेहद हृदय विदारक घटना सामने आई है, जिसने स्थानीय प्रशासन की आपदा-पूर्व तैयारियों और त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। बरहटा भनिगंवा मार्ग पर उफनती महाना नदी ने एक गर्भवती महिला प्रिया रानी कोल (24) और उसके गर्भस्थ शिशु की जान ले ली। महिला अस्पताल पहुँचने से पहले ही बाढ़ के पानी में घिरी गाड़ी में लगभग दो घंटे तक दर्द से तड़पती रही, लेकिन उसे समय पर चिकित्सा सहायता नहीं मिल पाई। विज्ञान और विकास के इस युग में यह घटना केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा किए जा रहे विकास के दावों की पोल खोलती नजर आ रही है।

दर्दनाक हादसा: पुल पार करने की कोशिश और फंसी जिंदगी

यह दर्दनाक घटना शनिवार शाम की है, जब प्रिया रानी कोल को प्रसव-पूर्व गंभीर जटिलताएँ महसूस हुईं। परिजन तुरंत उसे बोलेरो गाड़ी से जवा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जा रहे थे। हालांकि, महाना नदी, जो इन दिनों भारी बारिश के कारण अपने पूरे उफान पर है, पुल पर छलक रही थी और उसकी अप्रोच सड़क भी पूरी तरह पानी में डूब चुकी थी। इसी दौरान, वाहन नदी के किनारे बाढ़ के पानी में बुरी तरह फँस गया। अगले दो घंटे तक गर्भवती महिला दर्द से कराहती रही, और मूसलाधार बारिश के तेज शोर में उसकी मदद की गुहार किसी तक नहीं पहुँच पाई।

बाढ़ से कटा रास्ता और भटकते परिजन: आधुनिकता को चुनौती

गांव से जवा अस्पताल की सीधी दूरी महज 12 किलोमीटर है, लेकिन बाढ़ के पानी ने इस सीधे रास्ते को काट दिया था। हताश परिजनों को महिला को अस्पताल पहुँचाने के लिए 40 किलोमीटर का लंबा और जोखिम भरा चक्कर काटना पड़ा, जिससे वे अपने मायके और ससुराल के बीच ही भटकते रहे। इस कठिन परिस्थितियों में जब कोई मदद नहीं मिली, तो एक झोलाछाप डॉक्टर को बुलाया गया, जिसने आखिरकार महिला को मृत घोषित कर दिया। यह घटना उस वक्त हुई है जब रीवा में बीते 72 घंटों से बारिश थम चुकी है, लेकिन महाना जैसी छोटी और अक्सर अनदेखी की जाने वाली नदियाँ जिले के आपदा-प्रबंधन की पोल खोल रही हैं। विज्ञान के इस उन्नत युग में, जहाँ हम चंद्रमा पर पहुंचने और बुलेट ट्रेन चलाने की बात करते हैं, वहाँ एक गर्भवती महिला की जान सिर्फ 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अस्पताल तक न पहुँच पाने के कारण चली जाना, विकास की गाथा पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है।

प्रशासनिक आश्वासन बनाम जमीनी हकीकत: कब जागेगा सिस्टम?

जिला प्रशासन ने इस दुखद घटना की जांच और वैकल्पिक रूट चिन्हित करने की घोषणा की है, लेकिन यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है कि आखिर कितनी और जानें जाएंगी, तब जाकर प्रशासन का सिस्टम जागेगा? क्या ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढाँचा और आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र मौजूद है, या फिर हर बार किसी अनहोनी के बाद ही नींद खुलेगी? यह घटना स्थानीय निवासियों के बीच भारी आक्रोश का कारण बनी हुई है, जो तत्काल और प्रभावी समाधान की मांग कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि कागजों पर विकास की योजनाएँ कितनी भी अच्छी क्यों न दिखें, जब तक वे जमीनी स्तर पर हर नागरिक की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित नहीं करतीं, तब तक वे अधूरी हैं।





Post a Comment

Previous Post Next Post