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2 करोड़ की बीमा रकम के लिए युवक को जिंदा जलाया: रीवा-चित्रकूट सीमा पर इंसानियत शर्मसार, पति-पत्नी गिरफ्तार giraftar Aajtak24 News |
रीवा/चित्रकूट - रीवा-चित्रकूट सीमा पर इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला एक रोंगटे खड़े कर देने वाला मामला सामने आया है। दो करोड़ रुपये के बीमा क्लेम के लालच में सुनील सिंह और उसकी पत्नी हेमा सिंह ने एक जघन्य साजिश को अंजाम दिया, जिसमें विनय सिंह चौहान नामक युवक को शराब पिलाकर बेहोश किया गया और फिर एक ऑल्टो कार में जिंदा जला दिया गया। आरोपियों ने इस अधजले शव को खुद सुनील सिंह का बताकर उसका क्रियाकर्म भी कर दिया, जबकि "मरा हुआ पति" अपनी साली के घर चैन से आराम फरमा रहा था।
जघन्य साजिश का पर्दाफाश
यह चौंकाने वाली घटना 30 जून को चित्रकूट के राजापुर क्षेत्र में सामने आई, जब एक जलती हुई ऑल्टो कार से बुरी तरह अधजला शव बरामद हुआ। कार सुनील सिंह के नाम पर पंजीकृत थी, और उसके परिवार ने शव की पहचान सुनील के रूप में की थी। हालांकि, पुलिस को शुरुआत से ही कुछ संदेह था। फोन रिकॉर्ड, डीएनए रिपोर्ट और सुनील की मोबाइल लोकेशन की गहन जांच से पुलिस का शक गहराता चला गया। पुलिस की सक्रियता और पुख्ता जांच के बाद, 7 जुलाई को सुनील सिंह को आनंदपुर से जिंदा गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उसने जो खुलासा किया, वह बेहद चौंकाने वाला था। सुनील ने बताया कि उस पर भारी कर्ज था और वह 2 करोड़ रुपये के बीमा क्लेम के लालच में अंधा हो गया था। इसी लालच में उसने रीवा के नेहरू नगर निवासी 27 वर्षीय विनय सिंह चौहान को अपने जाल में फंसाया। विनय की शारीरिक बनावट सुनील से मिलती-जुलती थी, जिसका फायदा उठाकर उसने इस खौफनाक साजिश को अंजाम दिया।
क्रूरता की पराकाष्ठा: मौत का सामान और ठंडे दिमाग से हत्या
साजिश के तहत, सुनील और हेमा ने पहले विनय को अत्यधिक शराब पिलाई, जिससे वह पूरी तरह बेहोश हो गया। इसके बाद उसे ऑल्टो कार में बंद कर दिया गया। कार में एक गैस सिलेंडर, कुछ टायर और कपूर रखकर आग लगा दी गई, जिससे विनय की जिंदा जलकर दर्दनाक मौत हो गई। साजिशकर्ता: सुनील सिंह और हेमा सिंह मकसद: ₹2 करोड़ का बीमा क्लेम तरीका: शराब पिलाना, गैस सिलेंडर, टायर और कपूर का इस्तेमाल कर कार सहित जिंदा जलाना पीड़ित: विनय सिंह चौहान, 27 वर्ष, रीवा निवासी पर्दाफाश: डीएनए रिपोर्ट, मोबाइल लोकेशन और पुलिस की गहन घेराबंदी
पुलिस की सतर्कता से न्याय की उम्मीद
रीवा-चित्रकूट की इस बीमा-हत्याकांड ने लालच की पराकाष्ठा और क्रूरता की सारी हदें पार कर दी हैं। यह मामला दिखाता है कि पैसे के लिए इंसानियत किस हद तक गिर सकती है। हालांकि, पुलिस की सतर्कता और हर पहलू की बारीकी से की गई जांच ने इस जघन्य हत्या को उजागर कर दिया। आरोपी पति-पत्नी अब सलाखों के पीछे हैं, और कानून उन्हें उनके किए की सजा अवश्य देगा। यह घटना समाज में एक बड़ा सवाल छोड़ जाती है: क्या इंसानियत इतनी सस्ती हो गई है कि दो करोड़ रुपये के लिए एक निर्दोष की जान ले ली जाए? इस मामले ने हमें सोचने पर मजबूर किया है कि आखिर समाज किस दिशा में जा रहा है।