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गढ़ बस स्टैंड पर 'ममता शर्मसार': बस में दो मासूम बच्चों को छोड़कर महिला लापता, पुलिस जांच में जुटी juti Aajtak24 News |
रीवा - समाज में 'माता कुमाता नहीं हो सकती' की अवधारणा को झकझोर देने वाली एक हृदयविदारक घटना बुधवार को गढ़ बस स्टैंड पर सामने आई। एक महिला चाकघाट से रीवा जा रही यात्री बस में अपने दो मासूम बच्चों (2 वर्षीय बेटा और 4 वर्षीय बेटी) को छोड़कर लापता हो गई। घंटों तक अपनी माँ का इंतज़ार करते बिलखते बच्चों को देखकर लोगों का दिल पसीज गया, लेकिन माँ लौटकर नहीं आई। पुलिस और स्थानीय लोगों की सजगता से एक बड़ी अनहोनी टल गई और दोनों बच्चों को सुरक्षित उनके पिता व बाबा को सौंप दिया गया है, जबकि माँ अब भी लापता है।
बस में छोड़ गई माँ, कंडक्टर ने संभाली स्थिति
घटना बुधवार (2 जुलाई) दोपहर लगभग 11 से 12 बजे के आसपास की है। चाकघाट से रीवा की ओर जा रही एक यात्री बस गढ़ बस स्टैंड पर रुकी। बस में सवार एक महिला ने, जो अपनी गोद में 2 वर्षीय बेटे और बगल में 4 वर्षीय बेटी को लिए बैठी थी, समीप बैठी एक अन्य महिला यात्री से कहा, "मैं पैसे निकालकर आती हूँ, ज़रा बच्चों का ध्यान रखना।" यह कहकर वह बस से नीचे उतरी और फिर कभी लौटकर नहीं आई।
जैसे ही बस चलने को हुई, समीप बैठी महिला यात्री ने कंडक्टर को सूचित किया कि बच्चों की माँ वापस नहीं आई है। तत्काल बस रोकी गई और गढ़ बस स्टैंड व आसपास के क्षेत्रों में महिला की तलाश शुरू हुई, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई और मानवीय पहल
सूचना मिलते ही गढ़ थाना प्रभारी के निर्देशन में सहायक उपनिरीक्षक एच.डी. वर्मा और प्रधान आरक्षक राजेंद्र पाण्डेय अपनी टीम के साथ तुरंत मौके पर पहुँचे। पुलिस बल ने ट्रायल-100 वाहन सहित पूरे क्षेत्र में सघन तलाशी अभियान चलाया, लेकिन महिला का कोई सुराग नहीं मिला।
हालात की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने बच्चों को अपनी प्राथमिक देखरेख में लिया। बाल कल्याण समिति के निर्देश पर दोनों मासूमों को रीवा स्थित बाल संप्रेक्षण गृह भेजा गया। पुलिस ने वरिष्ठ अधिकारियों को पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया और महिला की पहचान तथा खोजबीन का कार्य तेज़ी से शुरू कर दिया।
मीडिया की भूमिका और परिजनों की पहचान
जब यह ख़बर स्थानीय समाचार माध्यमों में प्रमुखता से प्रसारित हुई, तो चाकघाट निवासी अनिल सेन गढ़ थाना पहुँचे। उन्होंने बताया कि लापता महिला उनकी पत्नी रितु सेन है और दोनों मासूम उनके ही बच्चे हैं। पिता ने मौक़े पर पहुँचकर बच्चों की पहचान की, जिसके बाद उन्हें बाल संरक्षण गृह से बच्चों को सौंपा गया। हालांकि, बच्चों की माँ रितु सेन अब तक लापता है। पिता अनिल सेन ने प्रारंभिक पूछताछ में कुछ रहस्यमयी और चौंकाने वाली जानकारियाँ साझा की हैं। इन जानकारियों के आधार पर पुलिस अब कई पहलुओं से मामले की जाँच कर रही है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या महिला ने जानबूझकर बच्चों को छोड़ा, क्या वह किसी मानसिक दबाव या पारिवारिक कलह में थी, या फिर इस घटना के पीछे कोई आपराधिक तत्व शामिल है।
समाज और पुलिस की सजगता से टली अनहोनी
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे अहम भूमिका उस महिला यात्री की रही, जिसने सजगता से स्थिति को संभाला और पुलिस को समय पर सूचना दी। गढ़ पुलिस, बस चालक और कंडक्टर की मानवीय तत्परता की जनसामान्य और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने मुक्त कंठ से सराहना की है। घंटों तक अपनी माँ का इंतज़ार करते मासूमों की आँखों से गिरते आँसू केवल एक पारिवारिक हादसा नहीं थे, बल्कि वे समाज की संवेदना, व्यवस्था की ज़िम्मेदारी और रिश्तों की हक़ीक़त पर एक गहरा सवाल थे। अगर समय रहते पुलिस और सजग नागरिक सक्रिय न होते, तो इन बच्चों के साथ कोई भी अनहोनी हो सकती थी। पुलिस अब यह भी जाँच कर रही है कि क्या लापता महिला के ख़िलाफ़ बच्चों को संकट में डालने जैसे क़ानूनी प्रावधानों के अंतर्गत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाएगा।
समाचार लिखे जाने तक महिला का कोई सुराग नहीं मिला है। पुलिस ने आसपास के सीसीटीवी फ़ुटेज खंगालने शुरू कर दिए हैं और मोबाइल ट्रैकिंग से भी महिला की लोकेशन तलाशने के प्रयास जारी हैं।