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रीवा में बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़: गढ़ पंचायत में नया आंगनवाड़ी भवन तैयार पर खुले बोरवेल के पास चल रहा केंद्र kendra Aajtak24 News |
रीवा - ज़िले की गंगेव जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत गढ़ में सरकारी योजनाओं की ज़मीनी हकीकत पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। यहाँ आंगनवाड़ी केंद्र क्रमांक 6 का नया भवन पाँच साल पहले ही बनकर तैयार हो चुका है, लेकिन इसके बावजूद यह केंद्र आज तक पंचायत भवन में ही संचालित हो रहा है। इससे न केवल शासन की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं, बल्कि उन मासूम बच्चों की सुरक्षा भी दांव पर लगी है, जो रोज़ाना इस अस्थायी केंद्र में आते हैं।
जान जोखिम में, खुले बोरवेल-कुएं के पास चल रहा आंगनवाड़ी
सबसे चिंताजनक बात यह है कि जिस पंचायत भवन में आंगनवाड़ी केंद्र चल रहा है, उसी परिसर में वर्षों से एक गहरा बोरवेल और कुआँ खुला पड़ा है, जिसकी कोई मुंडेर नहीं है। ऐसे में यदि कोई मासूम बच्चा उस खुले बोरवेल या कुएं में गिर जाए, तो उसकी जवाबदेही किसकी होगी? सवाल उठता है कि क्या ज़िले के वरिष्ठ अधिकारियों तक यह गंभीर तथ्य नहीं पहुँचा, या इसे जानबूझकर नज़रअंदाज़ किया गया?
प्रशासनिक लापरवाही या व्यवस्थागत विफलता?
यह समझना मुश्किल है कि जब सरकार आंगनवाड़ियों के माध्यम से बच्चों को पोषण, पूर्व-शिक्षा और सुरक्षा देने की बात करती है, तब गढ़ जैसी पंचायतों में यह योजना कागजों पर तो सफल दिखती है, लेकिन ज़मीनी हकीकत बेहद डरावनी है। क्या सिर्फ एक बोर्ड लगा देने भर से सरकार की जवाबदेही पूरी हो जाती है? ऐसा लगता है जैसे संबंधित विभागों ने मान लिया है कि तीन से छह वर्ष के बच्चे बोर्ड नहीं पढ़ सकते, इसलिए उनके लिए भवन, सुविधा और सुरक्षा का कोई विशेष महत्व नहीं है। यही सोच ग्राम पंचायत गढ़ की स्थिति को दर्शाती है, जहाँ एक ओर नया आंगनवाड़ी भवन उपयोग में नहीं लाया जा रहा, वहीं दूसरी ओर बच्चे जोखिम भरे हालातों में शिक्षा और पोषण ले रहे हैं।
रिकॉर्ड में 'पूर्ण', ज़मीन पर अनुत्तरित प्रश्न
सूत्रों के अनुसार, आंगनवाड़ी भवन निर्माण कार्य को रिकॉर्ड में पूर्ण दिखा दिया गया है और संबंधित ठेकेदार को भुगतान भी हो चुका है। लेकिन यह भवन क्यों उपयोग में नहीं लाया गया, इसका कोई स्पष्ट जवाब जिम्मेदार अधिकारी नहीं दे पा रहे हैं। क्या भवन की गुणवत्ता पर कोई प्रश्नचिह्न है, या फिर इसे उपयोग में लाने से संबंधित कोई राजनीतिक या व्यक्तिगत टकराव है? ऐसी स्थिति में जनपद पंचायत के सीईओ, बाल विकास परियोजना अधिकारी और ग्राम पंचायत सचिव का व्यक्तिगत उत्तरदायित्व तय करना आवश्यक हो जाता है।
बच्चों की जान की कीमत पर क्यों हो रही प्रशासनिक चूक?
यह भी उल्लेखनीय है कि रीवा ज़िले के कलेक्टर समय-समय पर संभावित दुर्घटनाओं वाले स्थलों की पहचान कर उन्हें तुरंत दुरुस्त करने के निर्देश जारी करते हैं। हाल ही में ज़िलेभर में खुले बोरवेल को बंद कराने का अभियान भी चलाया गया था। फिर गढ़ पंचायत में खुले बोरवेल की अनदेखी क्यों हुई? क्या अधिकारी वर्ग केवल सोशल मीडिया और कागज़ों तक ही सीमित रह गए हैं? यदि कोई दुर्घटना घटती है, तो क्या उसका ज़िम्मा केवल निचले कर्मचारी उठाएंगे या ज़िले के शीर्ष अधिकारी भी इस जवाबदेही में शामिल होंगे? गढ़ पंचायत की यह स्थिति केवल एक जगह की कहानी नहीं है। यदि ज़िले की अन्य पंचायतों में भी ऐसी ही अव्यवस्थाएँ मौजूद हैं, तो यह रीवा ज़िले की बाल सुरक्षा और शासकीय योजनाओं की निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है। यह समय है कि ज़िला प्रशासन इस मामले की उच्च स्तरीय जाँच कराए, ज़िम्मेदारों पर कार्यवाही करे, और नए भवन को तत्काल उपयोग में लाकर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।