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सरपंच पर दबंगई का आरोप, गरीब की छिनी रोजी-रोटी! मत्स्य पालन अनुबंध के बावजूद तालाब की सारी मछली बेची bechi Aajtak24 News |
अनूपपुर - जिले के अनूपपुर जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत रेऊला के सरपंच शुकुल सिंह पर एक गरीब ग्रामीण की रोजी-रोटी छीनने का गंभीर आरोप लगा है। रेऊला निवासी ननका ढीमर (38), पिता मानिकलाल ढीमर, ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत अनूपपुर को लिखित शिकायत कर बताया है कि सरपंच ने कुछ दबंग लोगों के साथ मिलकर शक्तिकुंड तालाब की सारी मछली निकाल ली और उसे या तो बाजार में बेच दिया या गांव के लोगों को बांट दिया। ननका ढीमर ने इस मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की है। यह घटना गरीब के हक पर दबंगई के सीधे प्रहार को दर्शाती है।
पूरा मामला: 10 साल का अनुबंध और सरपंच की मनमानी
शिकायतकर्ता ननका ढीमर के अनुसार, वह ग्राम रेऊला, थाना व तहसील कोतमा, जिला अनूपपुर (म.प्र.) का पुस्तैनी निवासी है। उन्होंने वर्ष 2021 में कार्यालय सहायक संचालक मत्स्योद्योग अनूपपुर में आवेदन दिया था। जिला कलेक्टर के अनुमोदन के बाद, ग्राम पंचायत और ननका ढीमर के बीच शक्तिकुंड तालाब (खसरा नंबर 83/1, रकवा 1.000 हे.) के लिए वर्ष 2022 से लेकर 2031 तक, यानी पूरे 10 वर्षों के लिए मत्स्य पालन का अनुबंध हुआ और उन्हें विधिवत पट्टा दिया गया था।
ननका ढीमर ने बताया कि उन्होंने इस व्यवसाय के लिए बैंक से लोन लिया और मछली बीज व भोजन की व्यवस्था की। डेढ़ साल तक उन्होंने दिन-रात कड़ी मेहनत और पैसे लगाकर अपना मछली व्यवसाय खड़ा किया। लेकिन, उनकी मेहनत पर पानी फेरते हुए सरपंच शुकुल सिंह ने कथित तौर पर रंजिशवश जाल मंगवाकर गांव के ही कुछ दबंग लोगों के साथ मिलकर तालाब से मछलियां निकलवा लीं। इनमें से कुछ मछलियां गांव के लोगों को दे दी गईं और शेष बाजार में बेच दी गईं। जब ननका ढीमर को इस बात का पता चला और उन्होंने सरपंच से बात की, तो सरपंच ने दबंगई दिखाते हुए कहा कि "इसका पट्टा निरस्त कर दिया गया है और इस तालाब में तुम मत्स्य पालन नहीं कर सकते हो, तुम्हें जो करना है करो।" सरपंच ने यह भी कहा कि "आज से तुम इस तालाब में मत्स्य पालन नहीं करोगे।" ननका ढीमर का स्पष्ट कहना है कि उन्होंने शासन के सभी अनुबंधों का पूरी तरह पालन किया है। इसके बावजूद, ग्राम पंचायत सचिव ने भी उनकी वार्षिक अनुबंध राशि पंचायत में जमा करने से मना कर दिया है, जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
एकमात्र रोजगार का जरिया छीनने का आरोप
पीड़ित ननका ढीमर ने अपनी शिकायत में बताया है कि मत्स्य पालन के अलावा उनके पास आय का कोई दूसरा जरिया नहीं है। यदि यह व्यवसाय भी उनसे छिन जाता है, तो वे बैंक से लिया गया लोन समय पर नहीं चुका पाएंगे और उनके पूरे परिवार के सामने भूखों मरने की गंभीर स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। उनका पूरा परिवार इस अन्यायपूर्ण घटना से अत्यंत दुखी और क्षुब्ध है, क्योंकि यह उनका एकमात्र रोजगार का साधन है, जिससे वे अपने घर परिवार का भरण-पोषण करते हैं।
प्रशासन ने लिया संज्ञान: सरपंच और सचिव को जारी हुआ पत्र
शिकायतकर्ता के आवेदन पर त्वरित कार्रवाई करते हुए, कार्यालय जनपद पंचायत अनूपपुर ने ग्राम रेऊला के सरपंच तथा सचिव को एक पत्र जारी किया है। इस पत्र में स्पष्ट किया गया है कि ननका ढीमर को आदेश क्रमांक-1417 दिनांक- 04.10.2021 के माध्यम से शक्तिकुंड तालाब मत्स्य पालन हेतु 10 वर्षीय पट्टा जारी किया गया था। आवेदक द्वारा प्रथम वर्ष की लीज राशि 500 रुपये रसीद क्रमांक 01 दिनांक-24.10.2021 के द्वारा ग्राम पंचायत में जमा की गई है। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि आवेदक ने शिकायत की है कि पंचायत द्वारा लीज की शेष राशि जमा नहीं कराई जा रही है और सरपंच द्वारा मत्स्य पालन में दबंगई दिखाते हुए बाधा उत्पन्न की जा रही है। अतः, जनपद पंचायत ने सरपंच और सचिव को तत्काल पट्टेधारी से शेष लीज राशि जमा कराते हुए उन्हें स्वतंत्र रूप से शक्तिकुंड तालाब में मत्स्य पालन करने देने और यह भी सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि अनुबंध स्वरूप पट्टेधारी द्वारा किए जा रहे मत्स्य पालन में किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न न हो।
मत्स्य विभाग ने भी दिया त्वरित निराकरण का आश्वासन
इस गंभीर मामले की शिकायत आवेदक द्वारा कार्यालय सहायक संचालक मत्स्य विभाग अनूपपुर में भी दर्ज कराई गई थी। मत्स्य विभाग के सहायक संचालक संदीप शुक्ला ने आवेदक को समस्याओं के जल्द से जल्द निराकरण का आश्वासन दिया है। उन्होंने तुरंत मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत अनूपपुर को पत्र प्रेषित कर मामले की जानकारी दी और ग्राम पंचायत सचिव को फोन के माध्यम से मामले के निराकरण हेतु आदेशित किया।
'कलेक्टर के अलावा कोई पट्टा निरस्त नहीं कर सकता'
मत्स्य विभाग के अधिकारियों का इस संबंध में स्पष्ट कहना है कि मत्स्य पालन शक्तिकुंड तालाब का पट्टा जिला कलेक्टर के अनुमोदन के पश्चात ही जारी किया गया है, और कलेक्टर साहब के अलावा कोई और उक्त तालाब के पट्टे को निरस्त नहीं कर सकता है। यह घटना सरकारी योजनाओं और गरीब हितग्राहियों के अधिकारों के संरक्षण पर सवाल खड़े करती है। क्या ननका ढीमर को न्याय मिलेगा और उन्हें उनका रोजगार वापस मिल पाएगा? प्रशासन की अगली कार्रवाई पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी।