मऊगंज में रिश्तों का दर्दनाक अंत: देवर-भाभी ने भरी मांग, फिर बहुती प्रपात में लगाई छलांग; सुसाइड वीडियो में लगाए गंभीर आरोप aarop Aajtak24 News

मऊगंज में रिश्तों का दर्दनाक अंत: देवर-भाभी ने भरी मांग, फिर बहुती प्रपात में लगाई छलांग; सुसाइड वीडियो में लगाए गंभीर आरोप aarop Aajtak24 News

मऊगंज - मध्यप्रदेश के मऊगंज जिले में एक हृदय विदारक घटना सामने आई है, जहां रिश्तों की मर्यादाओं को तोड़कर देवर और भाभी ने एक साथ अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। आत्महत्या से ठीक पहले, देवर दिनेश साहू (26) ने अपनी भाभी शकुंतला साहू (35) की मांग में सिंदूर भरकर उन्हें पत्नी का दर्जा दिया और फिर दोनों ने बहुती प्रपात से छलांग लगा दी। इस घटना से पहले उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो साझा कर खुद को मानसिक रूप से प्रताड़ित बताया और कुछ परिजनों को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया है। यह दर्दनाक घटना कई गंभीर सवाल खड़े कर रही है, जिसमें प्रशासन की लापरवाही, सुरक्षा व्यवस्था में कमी और सामाजिक दबाव जैसे मुद्दे प्रमुख हैं। दर्द भरा वीडियो और आरोप: आत्महत्या से ठीक पहले इंस्टाग्राम पर साझा किए गए वीडियो में दिनेश साहू ने लिखा, "हम बहुत परेशान हैं। हमारी मौत के जिम्मेदार हीरालाल साहू, राजेंद्र साहू, संतोष साहू, राजकुमार साहू और उनका पूरा परिवार है। हाथ जोड़कर सरकार से विनती है कि इन्हें सख्त से सख्त सजा दी जाए।" वीडियो में उन्होंने अपने गांव तेलिया बूढ़, पंचायत देवरा खटखरी का नाम भी बताया। शकुंतला साहू, जो रिश्ते में दिनेश की भाभी थीं, के तीन छोटे बच्चे हैं, जिनकी उम्र 11, 8 और 2 साल है।

बहुती प्रपात: आत्महत्याओं का नया ठिकाना?

यह वही बहुती प्रपात है जो पहले भी आत्महत्याओं और हादसों के लिए कुख्यात रहा है। दुखद रूप से, अब तक यहां 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, बावजूद इसके, सुरक्षा व्यवस्था में कोई ठोस सुधार नहीं किया गया है। प्रपात पर रेलिंग टूटी हुई है, पुलिस का कोई पहरा नहीं है, और न ही कोई चेतावनी बोर्ड लगा है। जबकि पुलिस महानिरीक्षक द्वारा पूर्व में यहां निगरानी रखने के सख्त निर्देश दिए जा चुके थे। घटना के बाद जिला प्रशासन ने तत्काल एनडीआरएफ टीम को बुलाया है। हालांकि, 600 फीट से अधिक ऊंचाई से गिरते पानी और तेज बहाव के कारण शवों की तलाश एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। यह घटना प्रेम, पीड़ा और सामाजिक दबाव के बीच टूटे एक रिश्ते की दर्दनाक कहानी बयां करती है। साथ ही, यह सवाल भी उठाती है कि क्या बहुती प्रपात सिर्फ सैलानियों के लिए है, या आत्मघात का एक स्थायी ठिकाना बन चुका है, जहां सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही है? प्रशासन को इस ओर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि ऐसी त्रासद घटनाओं को रोका जा सके।




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