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महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल: मॉनसून सेशन छोड़ दिल्ली पहुंचे एकनाथ शिंदे, विपक्ष ने बताया 'कैबिनेट गैंगवार Aajtak24 News |
मुंबई/महाराष्ट्र - महाराष्ट्र विधानसभा का मॉनसून सेशन शुरू हो चुका है, लेकिन इस महत्वपूर्ण समय में राज्य के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अचानक दिल्ली पहुंच गए, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
ठाकरे बंधुओं की बढ़ती एकता और शिंदे की चिंता:
राजनीतिक विश्लेषक शिंदे की इस यात्रा को बेहद अहम मान रहे हैं, खासकर ऐसे समय में जब महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बीच एकता की ख़बरें ज़ोर पकड़ रही हैं। हाल ही में दोनों भाईयों ने 'मराठी भाषा के स्वाभिमान' के नाम पर साझा रैली भी की है। ऐसी स्थिति में, मराठा अस्मिता की राजनीति करने वाली एकनाथ शिंदे की शिवसेना के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन सकती है।
माना जा रहा है कि शिंदे इसी मुद्दे पर मंत्रणा करने दिल्ली आए थे। महाराष्ट्र में इस बात की तेज़ चर्चा है कि आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में ठाकरे बंधु एक साथ आ सकते हैं, जिससे बीजेपी भी सतर्क हो गई है। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी ने एक आंतरिक सर्वेक्षण भी कराया है ताकि यह आकलन किया जा सके कि यदि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ आते हैं, तो महाराष्ट्र में NDA को कितना नुकसान हो सकता है।
समझा जा रहा है कि अमित शाह और एकनाथ शिंदे के बीच इसी संभावित राजनीतिक समीकरण और इसके प्रभाव पर विस्तृत चर्चा हुई है। इसके अलावा, शिंदे ने सरकार से जुड़ी अपनी कुछ अन्य चिंताएं भी साझा की हैं। हालांकि, इस मुलाकात को लेकर किसी भी पक्ष की ओर से आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं दिया गया है।
मराठी वोटर्स का रुख और शिंदे गुट की रणनीति:
एक महत्वपूर्ण बिंदु यह भी है कि यदि ठाकरे बंधुओं को सीधे चुनौती दी जाती है, तो मराठी वोटर्स का क्या रुख होगा। एकनाथ शिंदे की पार्टी इस बात को लेकर विशेष रूप से चिंतित है। यही कारण है कि हाल ही में मनसे द्वारा आयोजित एक विरोध प्रदर्शन के दौरान एकनाथ शिंदे सेना के नेता प्रताप सरनाइक भी वहां पहुंचे थे, और उन्होंने मनसे कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर भी अपनी आपत्ति जताई थी। यह घटना दर्शाती है कि शिंदे गुट ठाकरे बंधुओं की बढ़ती नज़दीकी को लेकर कितना सजग है और अपने मराठी वोट बैंक को लेकर चिंतित है।