"3 by 35" रणनीति: खरबों डॉलर जुटाने का लक्ष्य
स्पेन के सेविले में हुए यूएन फाइनेंस फॉर डेवलपमेंट सम्मेलन में पेश की गई यह सिफारिश, WHO की महत्वाकांक्षी "3 by 35" रणनीतिक योजना का हिस्सा है। इस योजना का लक्ष्य 2035 तक स्वास्थ्य करों से एक ट्रिलियन डॉलर (लगभग 83 लाख करोड़ रुपये) का राजस्व जुटाना है।
WHO के प्रमुख डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने सरकारों से अपनी स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने के लिए इस 'नए यथार्थ' को स्वीकार करने का आग्रह किया है। WHO के सहायक महानिदेशक डॉ. जेरेमी फैरर ने इसे सबसे प्रभावी स्वास्थ्य उपकरणों में से एक बताया। WHO के स्वास्थ्य अर्थशास्त्री गुइलेर्मो सांडोवाल के अनुसार, यदि यह नीति लागू होती है, तो आज 4 डॉलर में मिलने वाला एक उत्पाद 2035 तक 10 डॉलर का हो सकता है। कोलंबिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में ऐसे टैक्स लगाने से इन उत्पादों की खपत में कमी और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार देखा गया है।
भारत में भी पहल, उद्योग का कड़ा विरोध
WHO की इस वैश्विक सिफारिश से पहले, भारत में भी ऐसा ही एक कदम उठाने की बात सामने आई थी। अप्रैल 2025 में, ICMR-NIN (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन) के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय समूह ने अत्यधिक वसा, चीनी और नमक वाले खाद्य पदार्थों (HFSS) पर स्वास्थ्य कर लगाने की मांग की थी। इस समूह ने यह भी सुझाव दिया था कि ऐसे अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों को स्कूलों और शिक्षण संस्थानों के पास बेचना प्रतिबंधित किया जाए, जो FSSAI की गाइडलाइन में भी है।
हालांकि, WHO की इस सिफारिश को उद्योग संगठनों से कड़ा विरोध मिल रहा है। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ बेवरेज एसोसिएशंस की कार्यकारी निदेशक केट लॉटमैन ने कहा कि मीठे पेयों पर टैक्स से मोटापा घटने का WHO का सुझाव "एक दशक की असफल नीतियों को नजरअंदाज करता है।" इसी तरह, डिस्टिल्ड स्पिरिट्स काउंसिल की वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमांडा बर्जर ने अल्कोहल पर कर बढ़ाने के सुझाव को "भ्रामक और गलत दिशा में उठाया गया कदम" बताया है। यह देखना होगा कि वैश्विक स्वास्थ्य लक्ष्यों और उद्योग के हितों के बीच सरकारें किस तरह संतुलन बनाती हैं।