गोयल का बयान और राहुल की प्रतिक्रिया
दरअसल, हाल ही में 'टाइम्स ऑफ इंडिया' को दिए एक इंटरव्यू में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा निर्धारित 9 जुलाई की समय सीमा को खारिज करते हुए कहा था कि भारत व्यापार समझौतों पर कभी भी समय के दबाव में काम नहीं करता। गोयल ने स्पष्ट किया था, "भारत ने कभी भी किसी व्यापार समझौते या उसके किसी हिस्से पर समय की कोई बाध्यता या दबाव में चर्चा नहीं की है। हमें अपने राष्ट्रीय हितों का ध्यान रखना है और यह सुनिश्चित करना है कि यह एक निष्पक्ष समझौता हो, जिससे हमें अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले सतत लाभ मिले। इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए राहुल गांधी ने अपने पोस्ट में लिखा, "पीयूष गोयल चाहे जितनी छाती पीट लें, मेरी बात पर ध्यान दीजिए, मोदी ट्रंप की टैरिफ समयसीमा के आगे झुक जाएंगे।
ट्रंप की टैरिफ डेडलाइन और भारत का रुख
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने करीब 100 देशों पर जवाबी टैरिफ लगाए थे, जिनमें भारत पर भी 26% का टैरिफ शामिल था। हालांकि, इसके बाद अमेरिका ने 90 दिनों के लिए इन टैरिफ पर रोक लगाई थी, जो अब मंगलवार, 9 जुलाई को समाप्त हो रही है। खबरों की मानें तो इस समय सीमा से पहले अमेरिका भारत पर व्यापार समझौता करने का दबाव डाल रहा है। हालांकि, भारत का रुख स्पष्ट है कि वह अपने हितों को ध्यान में रखकर ही कोई डील करेगा।
किसानों और डेयरी क्षेत्र पर भारत का सख्त रुख
भारत-अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में प्रमुख अड़चन कृषि और डेयरी उत्पादों को लेकर है। अमेरिका चाहता है कि भारत मक्का, सोयाबीन और डेयरी उत्पादों पर आयात शुल्क में कटौती करे, लेकिन भारत सरकार इसके सख्त खिलाफ है। गोयल ने इस संबंध में कहा, "मोदी सरकार के लिए किसानों का हित सर्वोपरि है। चाहे वह यूके, ऑस्ट्रेलिया, मॉरीशस, EFTA या यूएई के साथ हुआ समझौता हो - हर बार हमने भारतीय किसानों को प्राथमिकता दी है। यह बयान दर्शाता है कि भारत अपने किसानों और डेयरी क्षेत्र के हितों की रक्षा के लिए किसी भी दबाव में नहीं आएगा, जबकि राहुल गांधी का हमला इस मुद्दे पर राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश माना जा रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि 9 जुलाई की समय सीमा के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता किस दिशा में आगे बढ़ती है।