रामगढ़ में अवैध कोयला खदान धंसी: 3 मजदूरों की मौत, 5 अब भी फंसे; बड़े पैमाने पर रेस्क्यू जारी jari Aajtak24 News

रामगढ़ में अवैध कोयला खदान धंसी: 3 मजदूरों की मौत, 5 अब भी फंसे; बड़े पैमाने पर रेस्क्यू जारी jari Aajtak24 News

रामगढ़/झारखंड - रामगढ़ जिले के कुजू स्थित महुआ टुंगरी इलाके में शुक्रवार रात एक बेहद दर्दनाक और चिंताजनक हादसा हो गया। यहां अवैध रूप से चल रही एक कोयला खदान अचानक धंस गई, जिसकी चपेट में आकर तीन मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि पांच अन्य मजदूर अभी भी मलबे के नीचे फंसे हुए हैं। इस भयावह घटना के बाद पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है और स्थानीय प्रशासन ने बड़े पैमाने पर राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है।

अवैध खनन बना मौत का कारण: बारिश से कमजोर हुईं खदान की दीवारें

स्थानीय लोगों और पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, यह खदान पहले सीसीएल (सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड) की थी, जिसे कुछ समय पहले ही बंद कर दिया गया था। बावजूद इसके, लगभग 10 मजदूर अवैध तरीके से कोयला निकालने के लिए इस बंद पड़ी खदान के भीतर जान जोखिम में डालकर काम कर रहे थे। शुक्रवार रात को हुई भारी बारिश को इस हादसे का मुख्य कारण बताया जा रहा है। बारिश के कारण खदान की दीवारें कमजोर पड़ गईं और अचानक भरभराकर गिर पड़ीं, जिससे अंदर काम कर रहे मजदूर फंस गए। इस दुखद हादसे में जान गंवाने वाले मजदूरों की पहचान वकील करमाली, इम्तियाज और निर्मल मुंडा के रूप में हुई है। उनकी मौत ने अवैध खनन के खतरों को एक बार फिर उजागर कर दिया है।

बचाव कार्य तेज़, अपनों के लिए इंतजार करते परिजन

हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन, पुलिस और बचाव दल तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे। फंसे हुए मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए जेसीबी और अन्य भारी मशीनों का इस्तेमाल कर युद्धस्तर पर मलबा हटाने का काम जारी है। घटनास्थल पर ग्रामीणों की भारी भीड़ जमा है, जिनमें कई ऐसे लोग भी हैं जो अपने फंसे हुए परिजनों के सुरक्षित बाहर आने की उम्मीद में इंतजार कर रहे हैं। हालांकि, मलबे को पूरी तरह से हटाए जाने के बाद ही अंदर फंसे लोगों की वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।

अवैध खनन और सुरक्षा पर गंभीर सवाल

रामगढ़ में हुई यह घटना झारखंड जैसे खनिज-समृद्ध राज्य में अवैध कोयला खनन के बड़े पैमाने और उससे जुड़ी जानलेवा सुरक्षा चूकों पर गंभीर सवाल खड़े करती है। बंद पड़ी खदानों में भी कोयला निकालने के लिए मजदूरों को धकेला जाता है, जहां सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं होते। यह हादसा दिखाता है कि नियमों का उल्लंघन कर किए जा रहे खनन से न केवल पर्यावरण को नुकसान होता है, बल्कि मजदूरों की जान भी खतरे में पड़ती है। प्रशासन को इस तरह के अवैध गतिविधियों पर नकेल कसने और मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और भी कड़े कदम उठाने की जरूरत है।

धनबाद में भी भू-धंसान की घटना, घरों को नुकसान

इसी बीच, झारखंड के धनबाद से भी भू-धंसान की एक और बड़ी घटना सामने आई है, जिसने क्षेत्र में दहशत फैला दी है। बीसीसीएल कतरास क्षेत्र की एकेडब्लूएमसी कोलियरी में संचालित मां अंबे आउटसोर्सिंग परियोजना के समीप केशलपुर मुंडा धौड़ा में शुक्रवार को दिन में लगभग 11 बजे जोरदार आवाज के साथ जमीन धंस गई, जिससे एक बड़ा गोफ (गहरा गड्ढा) बन गया। इस भू-धंसान की चपेट में आने से पांच घर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए, जिनमें से एक घर पूरी तरह से ध्वस्त हो गया। गनीमत रही कि घटना के वक्त घरों में कोई नहीं था, जिससे कोई हताहत नहीं हुआ। ग्रामीणों में दहशत का माहौल है और कई लोग अपना सामान लेकर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं। यह भी बताया गया है कि इससे पहले बीते 25 जून को भी यहां भू-धंसान की घटना हुई थी। दोनों घटनाएं झारखंड में भू-धंसान और अवैध खनन से उत्पन्न खतरों की भयावह तस्वीर पेश करती हैं, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

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