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खंडवा में 50 लाख की पुश्तैनी संपत्ति का 'महा-घोटाला': 26 वारिसों को दरकिनार कर धोखाधड़ी, मोघट पुलिस ने दर्ज किया मामला mamla Aajtak24 News |
खंडवा/मध्य प्रदेश - खंडवा से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां जालसाजी और धोखाधड़ी का एक संगीन मामला उजागर हुआ है। आरोप है कि एक महिला और उसके सहयोगियों ने करोड़ों की पुश्तैनी संपत्ति को हड़पने के लिए दस्तावेजों में हेरफेर कर 26 असली वारिसों को दरकिनार कर दिया। इस मामले में मोघट थाना पुलिस ने धारा 420 (धोखाधड़ी) और 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत अपराध दर्ज कर लिया है और कई लोगों को जांच के दायरे में लिया गया है।
क्या है पूरा मामला?
मोघट पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर (अपराध क्रमांक 0232/19.07.2025) के अनुसार, नुसरत बी पति साजिद अली पर आरोप है कि उन्होंने खुद को परदेशीपुरा खंडवा स्थित एक पुश्तैनी मकान, जिसकी अनुमानित कीमत 50 लाख रुपये है, की अकेली वारिस बताकर राइसा बी असलम खां को मात्र 12.91 लाख रुपये में बेच दिया। इस सौदे में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस संपत्ति में कुल 26 वारिसदारों को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया गया। यह धोखाधड़ी यहीं नहीं रुकी। इसी प्रकार, मोहम्मद अबरार ने भी अपनी तीन बहनों को दरकिनार करते हुए उसी मकान का एक हिस्सा रईस अब्बासी को बेच दिया। इसके अलावा, इफ्तेखार, मतीन, सैमउन बी और हरीश ने भी अपनी बेटियों और बहनों को नज़रअंदाज़ करते हुए उसी संपत्ति को रईस अब्बासी और उसकी पत्नी को बेच दिया।
आपत्ति के बावजूद हुआ सौदा और रजिस्ट्री - आखिर क्यों?
इस पूरे मामले का सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब 10 अक्टूबर 2022 को पंजीयक कार्यालय में इस संपत्ति को लेकर आपत्ति आवेदन लगाया गया था और दैनिक भास्कर में सार्वजनिक सूचना का प्रकाशन भी कराया गया था, तो उसके बावजूद 8 मार्च 2025 को शेख रिजवान उर्फ राजू की कथित सहमति से नुसरत बी ने यह सौदा कैसे किया? और आश्चर्यजनक रूप से, इस विवादित संपत्ति की रजिस्ट्री और नामांतरण भी हो गया। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या शासकीय कार्यालय में दर्ज आपत्ति का कोई औचित्य नहीं रहा, या फिर इस पूरी धोखाधड़ी में एक सुनियोजित 'चेन' काम कर रही थी? सूत्रों की मानें तो नुसरत और साजिद अली ने भोपाल में भी इसी तरह का 'स्कैम' किया है, और इस धोखाधड़ी के बाद वे भोपाल छोड़कर खंडवा आ गए।
जांच के दायरे में कई बड़े नाम, सिर्फ मकान तक सीमित नहीं मामला
फरियादी मसूद जावेद क़ादरी की शिकायत पर पुलिस ने नुसरत बी के अलावा मोहम्मद अबरार, इफ्तेखार, मतीन, सैमउन बी, हरीश, मेहविश और शेख रिजवान उर्फ राजू जैसे कई नामों को जांच के घेरे में लिया है। इन सभी पर दस्तावेज़ी फर्जीवाड़ा, झूठे शपथ पत्र, झूठे पंचनामे, झूठी राजस्व निरीक्षक टीप, झूठी सहमति और धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप है। पुलिस की विस्तृत जांच में और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आने की उम्मीद है। यह मामला सिर्फ परदेशीपुरा के मकान तक सीमित नहीं रहा। खंडवा के कुनबी क्षेत्र स्थित खसरा नंबर 260/10 की शामलाती ज़मीन (6000 स्क्वेयर फीट), जो मसूद जावेद क़ादरी के पांच भाइयों और तीन बहनों के नाम पर दर्ज थी, उसमें से 2710 स्क्वेयर फीट ज़मीन नुसरत बी और रिजवान शेख ने तहसीलदार के आदेशों की अवहेलना करते हुए 14.64 लाख रुपये में साकेत दीक्षित को बेच दी।
खरीदार भी जांच के घेरे में, 'कब्ज़े' का पुराना मामला भी सामने
सूत्रों के मुताबिक, इन फर्जी सौदों में दस्तावेज़ों में पुरानी जानकारी और अन्य वारिसों को छिपाया गया। पुलिस का मानना है कि सस्ती कीमत पर खरीदी गई इन विवादित संपत्तियों के खरीदार भी अब जांच के घेरे में हैं, और आगे की जांच में और भी नाम सामने आ सकते हैं। यह भी बताया जा रहा है कि साजिद अली का बेटा बिलाल नामक युवक, साजिद अली और रिजवान राजू के साथ मिलकर इसी मकान पर कब्ज़ा करने के आरोप में अपराध क्रमांक 195 के तहत पहले से ही एक मामले में दर्ज है। यह दर्शाता है कि यह समूह संपत्ति विवादों और कब्ज़े की कोशिशों में पहले से भी शामिल रहा है। मोघट पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच तेज़ कर दी है और जल्द ही इस बड़े धोखाधड़ी रैकेट का पर्दाफाश होने की उम्मीद है।