घायलों का इलाज और प्रशासन की तत्परता
हादसे की सूचना मिलते ही प्रशासन और पुलिस की टीमें तुरंत घटनास्थल पर पहुंचीं और बड़े पैमाने पर राहत-बचाव कार्य शुरू किया। घायलों को तत्काल निकटवर्ती जिला अस्पताल रामबन में प्राथमिक उपचार के लिए भेजा गया। रामबन के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) कुलबीर सिंह ने बताया कि अधिकतर घायलों को मामूली चोटें आई हैं और प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें आगे की यात्रा के लिए रवाना कर दिया गया है। हालांकि, तीन से चार यात्रियों को गंभीर चोटें आई हैं, जिनके चलते उन्हें आगे की यात्रा से फिलहाल रोक दिया गया है। घबराए हुए यात्रियों को ढांढस बंधाया गया और सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित किया गया। घटना के बाद काफिले की आगे की यात्रा को कुछ देर के लिए रोका गया, लेकिन हालात सामान्य होते ही यात्रा को फिर से शुरू कर दिया गया। अन्य यात्रियों को दूसरी गाड़ियों से पहलगाम के लिए रवाना किया गया।
सुरक्षा पर उठे गंभीर सवाल और ड्राइवरों की लापरवाही
यह हादसा एक बार फिर अमरनाथ यात्रा में यात्रियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। अमरनाथ यात्रा हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है, लेकिन दुर्गम पहाड़ी रास्तों और अनिश्चित मौसम के कारण इस यात्रा को बेहद खतरनाक भी माना जाता है। प्रशासन द्वारा सुरक्षा और सुविधाओं के लिए कई प्रबंध किए जाते हैं, लेकिन ऐसे हादसे इन तैयारियों की पोल खोल देते हैं।
इस हादसे का एक बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है कि बस चालक ने वाहन पर से नियंत्रण खो दिया था, संभवतः ब्रेक फेल होने के कारण। तीर्थयात्रियों के काफिले में ड्राइवरों की सतर्कता और वाहन की नियमित जांच अत्यंत आवश्यक है। अमरनाथ जैसे संवेदनशील और संकरे पहाड़ी मार्गों पर वाहन चलाते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि रास्ते अक्सर जोखिम भरे होते हैं। भीड़भाड़ और ड्राइवर की थोड़ी सी भी लापरवाही बड़े हादसे का कारण बन सकती है।
यात्रियों की बढ़ती संख्या और यात्रा का हाल
इस वर्ष अमरनाथ यात्रा में रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए जम्मू-कश्मीर पहुंचने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सरकार ने यात्रियों की सुविधा के लिए लंगर, स्वास्थ्य सुविधा, सुरक्षा और यात्रा प्रबंधन के विशेष इंतजाम किए हैं। रामबन जिले के चंद्रकोट में हुआ यह हादसा अमरनाथ यात्रा की चुनौतियों को दर्शाता है। प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रबंधों के बावजूद, सड़क हादसे जैसी घटनाएं चिंता का विषय हैं। भारी बारिश के बावजूद, शनिवार को 6,900 से अधिक तीर्थयात्रियों का एक नया जत्था भगवती नगर बेस कैंप से अमरनाथ यात्रा के लिए रवाना हुआ है। इस जत्थे में 5196 पुरुष, 1427 महिलाएं, 24 बच्चे, 331 साधु और साध्वी तथा एक ट्रांसजेंडर शामिल है। यात्रा 3 जुलाई से शुरू हुई थी और दूसरे दिन शुक्रवार शाम तक 26,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा में हिम शिवलिंग के दर्शन कर लिए थे। यह संख्या अब बढ़कर 30,000 हो गई है।
38 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा पहलगाम और बालटाल दोनों मार्गों से जारी है, और इसका समापन 9 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन होगा। पिछले साल यात्रा 52 दिन चली थी और 5 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा के दर्शन किए थे। अब तक 3.5 लाख से अधिक तीर्थयात्री पंजीकरण करा चुके हैं। पंजीकरण के लिए जम्मू में सरस्वती धाम, वैष्णवी धाम, पंचायत भवन और महाजन सभा में केंद्र खोले गए हैं, जहां प्रतिदिन 2000 श्रद्धालुओं का पंजीकरण जारी है। इस दुर्घटना में घायल हुए तीर्थयात्रियों को समय रहते राहत पहुंचाना प्रशासन की तत्परता का उदाहरण है, लेकिन भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए और कड़े कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना तथा ड्राइवरों की प्रशिक्षण प्रक्रिया को और अधिक गंभीरता से लेना होगा ताकि इस पवित्र यात्रा को पूरी तरह सुरक्षित बनाया जा सके और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।