बीजापुर में नक्सलियों का क्रूर हमला: प्रेशर आईईडी विस्फोट में 16 वर्षीय लड़की सहित 3 ग्रामीण घायल, दहशत का माहौल Aajtak24 News

बीजापुर में नक्सलियों का क्रूर हमला: प्रेशर आईईडी विस्फोट में 16 वर्षीय लड़की सहित 3 ग्रामीण घायल, दहशत का माहौल Aajtak24 News 

बीजापुर - छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों का अमानवीय चेहरा एक बार फिर सामने आया है। रविवार शाम को एक परिष्कृत विस्फोटक उपकरण (आईईडी) की चपेट में आने से 16 वर्षीय एक मासूम लड़की सहित तीन ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हो गए। यह दिल दहला देने वाली घटना मद्देड़ थाना क्षेत्र के धनगोल गांव के पास हुई, जब ये ग्रामीण अपनी आजीविका के लिए जंगल में मशरूम (फुटु) इकट्ठा करने गए थे।

कैसे फटे नक्सलियों के बिछाए बम?

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, घायल हुए ग्रामीणों की पहचान कविता कुड़ियम (16 वर्ष, पिता नागैया), कोरसे संतोष (26 वर्ष, पिता लच्छा) और चिड़ेम कन्हैया (24 वर्ष, पिता किस्टैया) के रूप में हुई है। ये सभी धनगोल गांव, मद्देड़ थाना क्षेत्र, जिला बीजापुर के ही निवासी हैं। जानकारी के मुताबिक, ग्रामीण जब धनगोल के घने जंगलों में मशरूम ढूंढ रहे थे, तभी नक्सलियों द्वारा पहले से ही बिछाए गए प्रेशर आईईडी बम पर उनके कदम पड़ गए, जिससे एक जोरदार विस्फोट हुआ। इस शक्तिशाली धमाके की चपेट में आने से तीनों ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हो गए। सूत्रों के अनुसार, विस्फोट के चलते घायलों को पैर और चेहरे पर गंभीर चोटें आई हैं, जो इस कायराना हमले की भयावहता को दर्शाती हैं।

तत्काल बचाव और पुलिस की कड़ी चेतावनी

घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस और बचाव दल सक्रिय हो गए। घायलों को तत्काल रात में ही बीजापुर के जिला अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनका युद्धस्तर पर उपचार किया जा रहा है। उनकी स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। इस घटना के बाद, पुलिस प्रशासन ने आम लोगों से एक बार फिर विशेष सतर्कता बरतने की अपील की है। पुलिस ने चेतावनी दी है कि ग्रामीण जंगल क्षेत्रों में जाते समय अत्यधिक सावधान रहें। साथ ही, उन्होंने लोगों से अनुरोध किया है कि किसी भी संदिग्ध वस्तु, गतिविधि अथवा विस्फोटक जैसे उपकरणों की जानकारी तुरंत नजदीकी पुलिस थाना या सुरक्षा कैंप को दें, ताकि ऐसे और हमलों को रोका जा सके। यह घटना एक बार फिर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आम नागरिकों के जीवन पर मंडरा रहे निरंतर खतरे को उजागर करती है। अपनी दैनिक जरूरतों और आजीविका के लिए जंगल पर निर्भर इन ग्रामीणों को हर कदम पर मौत का सामना करना पड़ता है। सरकार और सुरक्षा बलों के सामने इन मासूमों को नक्सलियों के इस क्रूर आतंक से बचाने की बड़ी चुनौती है।


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