इजरायल के हमले के बाद तेल की कीमतों में आग, सरकारी तेल कंपनियों के शेयरों में उछाल Aajtak24 News


इजरायल के हमले के बाद तेल की कीमतों में आग, सरकारी तेल कंपनियों के शेयरों में उछाल Aajtak24 News


नई दिल्ली - वर्तमान वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें एक बार फिर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में संभावित वृद्धि का संकेत दे रही हैं। हाल ही में इजरायल द्वारा ईरान पर किए गए कथित हमले के बाद मध्य पूर्व में तनाव अप्रत्याशित रूप से बढ़ गया है, जिसका सीधा असर अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल बाजारों पर दिख रहा है। पिछले कुछ दिनों में ही क्रूड ऑयल की कीमतों में लगभग 10 प्रतिशत का उछाल आया है, जो अप्रैल के बाद का सबसे बड़ा उछाल है।

इस वृद्धि का मुख्य कारण खाड़ी क्षेत्र में बढ़ती भू-राजनीतिक अनिश्चितता है, जिससे तेल आपूर्ति बाधित होने की आशंका पैदा हो गई है। वैश्विक बाजार में, यू.एस. बेंचमार्क कच्चे तेल की कीमत $5.6 यानी 8.2% बढ़कर $73.61 प्रति बैरल हो गई है। इसी तरह, ब्रेंट क्रूड (जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल का मानक है) की कीमत भी $5.52 बढ़कर $74.88 प्रति बैरल हो गई है। आपूर्ति में संभावित बाधाओं की आशंका ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है, जिससे कीमतों में यह तेज उछाल आया है।

कच्चे तेल की कीमतों में इस बढ़ोतरी का सकारात्मक प्रभाव भारत की सरकारी तेल अन्वेषण और उत्पादन कंपनियों, जैसे ओएनजीसी (ONGC) और ऑयल इंडिया लिमिटेड (Oil India Limited) के शेयरों पर देखा गया है। शुक्रवार की सुबह, जब भारतीय शेयर बाजार में बीएसई सेंसेक्स में लगभग 800 अंकों की गिरावट दर्ज की गई, तब भी ओएनजीसी के शेयर लगभग ढाई रुपये चढ़कर 250 रुपये से ऊपर कारोबार कर रहे थे, और ऑयल इंडिया लिमिटेड के शेयर लगभग 12 रुपये चढ़कर 480 रुपये पर कारोबार कर रहे थे। गुरुवार को भी, ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण ओएनजीसी के शेयरों में 3.2% की वृद्धि दर्ज की गई थी, जिससे यह 255.15 रुपये पर पहुंच गया था, जबकि ऑयल इंडिया के शेयर 5% बढ़कर 488.8 रुपये पर पहुंच गए थे। यह दिखाता है कि कैसे कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि इन कंपनियों के राजस्व और लाभप्रदता की संभावनाओं को बढ़ाती है, जिससे उनके शेयर मूल्य में वृद्धि होती है।

दूसरी ओर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का यह बयान कि यू.एस. अपने नागरिकों को खाड़ी देशों से हटा रहा है क्योंकि "यह एक खतरनाक जगह हो सकती है," ने भी तनाव को और बढ़ा दिया है। उन्होंने यह भी दोहराया कि यू.एस. "ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने देगा।" रॉयटर्स न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका इराक में अपने दूतावास को खाली करने और कुछ मध्य पूर्वी क्षेत्रों से अपने सैनिकों के परिवारों को वापस बुलाने की तैयारी कर रहा है। यह सब बढ़ते तनाव और क्षेत्र में संभावित अस्थिरता के कारण किया जा रहा है, जिससे कच्चे तेल की आपूर्ति पर और दबाव बढ़ने की आशंका है।

कुल मिलाकर, इजरायल-ईरान तनाव से उपजे भू-राजनीतिक जोखिम, विशेष रूप से मध्य पूर्व में तेल आपूर्ति में व्यवधान की आशंका, कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि का मुख्य कारण है। इस वृद्धि का सीधा परिणाम भारत जैसे आयात-निर्भर देशों में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में संभावित वृद्धि के रूप में दिख सकता है, जिससे उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ सकता है। हालांकि यह ओएनजीसी और ऑयल इंडिया जैसी कंपनियों के लिए लाभदायक हो सकता है, लेकिन व्यापक अर्थव्यवस्था और आम जनता के लिए यह एक चिंता का विषय है।

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