सरकार का टालमटोल रवैया: मध्य प्रदेश में मूंग खरीदी पर कमलनाथ ने उठाए गंभीर सवाल saval Aajtak24 News
भोपाल - मध्य प्रदेश में मूंग दाल की सरकारी खरीद को लेकर एक बार फिर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है।
प्रस्ताव भेजने में देरी, किसानों की बढ़ी परेशानी
कमलनाथ ने अपने बयान में इस बात पर जोर दिया कि हर साल राज्य सरकार केंद्र सरकार को मूंग दाल खरीदी का विधिवत प्रस्ताव भेजती है। इसके बाद केंद्र और राज्य के बीच कोटा तय होता है और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किसानों से खरीद सुनिश्चित की जाती है। हालांकि, इस बार स्थिति 'अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण' है। कमलनाथ के अनुसार, मध्य प्रदेश सरकार ने अब तक मूंग दाल खरीदी का प्रस्ताव ही केंद्र सरकार को नहीं भेजा है। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार ने आधिकारिक तौर पर यह भी क्यों नहीं बताया है कि मूंग दाल की खरीद क्यों नहीं की जा रही है।
कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश के किसान इस समय मूंग दाल बेचने के लिए भारी परेशानी का सामना कर रहे हैं। सरकार की इस 'उपेक्षा' के कारण उन्हें मजबूरी में अपनी कड़ी मेहनत की उपज को बाजार में बहुत कम दामों पर बेचना पड़ रहा है, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार के बीच 'संवादहीनता' की इस स्थिति को प्रदेश के लाखों मूंग उत्पादक किसानों के भविष्य के लिए 'खतरनाक' करार दिया।
'निर्दायी और क्रूर व्यवहार निंदनीय': कमलनाथ
कमलनाथ ने सरकार के रवैये को 'निंदनीय' बताते हुए कहा, "मैंने पूर्व में भी अनुरोध किया था और फिर आग्रह कर रहा हूँ कि अपने ही राज्य के किसानों के प्रति इतना निर्दयी, उपेक्षापूर्ण और क्रूर व्यवहार अत्यंत निंदनीय है। सरकार को तुरंत टालमटोल छोड़कर मूंग दाल खरीद सुनिश्चित करनी चाहिए।"
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर अपनी प्रतिक्रिया में सीधे तौर पर आरोप लगाया कि प्रदेश की भाजपा सरकार मूंग के किसानों के साथ 'खुला धोखा' कर रही है। उन्होंने याद दिलाया कि सरकार ने पहले किसानों को मूंग की खेती के लिए प्रोत्साहित किया था, जिसके परिणामस्वरूप इस बार बड़ी मात्रा में मूंग का उत्पादन हुआ है। लेकिन अब जब फसल तैयार होकर बाजार में आ चुकी है, तो सरकार उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने से पीछे हट रही है।
सरकार से तत्काल खरीद की मांग
कमलनाथ ने अपनी मांग दोहराते हुए कहा कि सरकार तत्काल मूंग की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की घोषणा करे और उसकी खरीद की ठोस व्यवस्था सुनिश्चित करे।
पूर्व मुख्यमंत्री के इस तीखे बयान से मध्य प्रदेश के कृषि क्षेत्र में और किसानों के बीच एक बार फिर से उबाल आ गया है। किसानों की नाराजगी और सरकार की खरीदी नीति को लेकर नए सिरे से बहस छिड़ गई है। आगामी समय में यह मुद्दा और भी गरमा सकता है, खासकर जब कृषि राज्य की राजनीति में हमेशा से ही एक केंद्रीय भूमिका निभाती रही है। सरकार पर अब किसानों के हितों की रक्षा करने और इस ज्वलंत मुद्दे को जल्द से जल्द हल करने का भारी दबाव है।