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40 की उम्र पार कर चुके पुरुषों के लिए 'अलार्म': प्रोस्टेट कैंसर का बढ़ता जोखिम और एक्सपर्ट के बताए बचाव के खास तरीके tarike Aajtak24 News |
पुरुषों के स्वास्थ्य से जुड़ी एक महत्वपूर्ण चेतावनी सामने आई है: 40 साल की उम्र के बाद प्रोस्टेट कैंसर का खतरा उल्लेखनीय रूप से बढ़ जाता है। यह कैंसर, जो अक्सर धीमी गति से बढ़ता है, अपनी संभावित गंभीरता और देर से पहचान होने पर आने वाली जटिलताओं के कारण चिंता का विषय है। ऐसे में, इस खामोश बीमारी की शुरुआती पहचान और प्रभावी बचाव के तरीकों को जानना हर पुरुष के लिए बेहद ज़रूरी हो जाता है। गोवा के मणिपाल अस्पताल में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के सलाहकार डॉ. जैकब जॉर्ज इस विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा कर रहे हैं। डॉ. जॉर्ज बताते हैं कि प्रोस्टेट ग्रंथि पुरुषों के मूत्राशय (यूरिनरी ब्लैडर) के ठीक नीचे स्थित एक छोटी, अखरोट के आकार की ग्रंथि है। इसका मुख्य कार्य वीर्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाने वाले तरल पदार्थ का उत्पादन करना है, जो शुक्राणुओं को पोषण और सहारा देता है। इस ग्रंथि में होने वाली असामान्य कोशिका वृद्धि प्रोस्टेट कैंसर का रूप ले सकती है।
प्रोस्टेट कैंसर के संकेत: इन लक्षणों को कभी न करें नज़रअंदाज़
प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती लक्षण अक्सर इतने हल्के और आम होते हैं कि उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है, या अन्य सामान्य प्रोस्टेट समस्याओं (जैसे बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया - BPH) से भ्रमित कर दिया जाता है। इसलिए, किसी भी असामान्य या लगातार बने रहने वाले लक्षण पर तुरंत ध्यान देना महत्वपूर्ण है:
- मूत्र संबंधी समस्याएं:
- बार-बार पेशाब आना, विशेष रूप से रात के समय (नोक्टूरिया)।
- पेशाब की धार का कमजोर या पतला होना, या पेशाब शुरू करने में कठिनाई महसूस होना।
- पेशाब करने के बाद भी मूत्राशय के पूरी तरह खाली न होने का एहसास होना।
- पेशाब के दौरान दर्द या जलन महसूस होना।
- अन्य संभावित लक्षण:
- बार-बार मूत्र पथ के संक्रमण (UTI) होना, जो दवा के बावजूद ठीक न हो।
- पेशाब या वीर्य में खून आना (यह एक गंभीर संकेत हो सकता है और तत्काल चिकित्सा ध्यान की आवश्यकता है)।
- यदि कैंसर हड्डियों तक फैल चुका हो, तो कमर, रीढ़ की हड्डी, कूल्हों या जांघों में लगातार दर्द महसूस होना।
- कमजोरी, पैरों में सूजन या unexplained weight loss (अकारण वजन कम होना)।
नियमित स्क्रीनिंग: प्रोस्टेट कैंसर से बचाव का सबसे बड़ा हथियार
प्रोस्टेट कैंसर की जल्दी पहचान, इसके सफल इलाज की कुंजी है। खासकर, यदि आपके परिवार में प्रोस्टेट कैंसर का कोई इतिहास रहा है (जैसे पिता या भाई को यह कैंसर हुआ हो), तो आपको और भी अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।
- कब शुरू करें स्क्रीनिंग: यदि आपके परिवार में प्रोस्टेट कैंसर का इतिहास है, तो 40 या 45 साल की उम्र से ही नियमित स्क्रीनिंग शुरू करने की सलाह दी जाती है। जिन पुरुषों के परिवार में इसका कोई इतिहास नहीं है, वे आमतौर पर 50 साल की उम्र से स्क्रीनिंग शुरू कर सकते हैं।
- प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन (PSA) रक्त परीक्षण: यह सबसे आम स्क्रीनिंग टेस्ट है। यह रक्त में प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन (PSA) नामक प्रोटीन के स्तर को मापता है। PSA का उच्च स्तर प्रोस्टेट कैंसर का संकेत हो सकता है, हालाँकि यह अन्य स्थितियों जैसे प्रोस्टेट के सूजन या बढ़ने (BPH) के कारण भी बढ़ सकता है। डॉक्टर आपके PSA स्तर के साथ-साथ उम्र और अन्य जोखिम कारकों पर विचार करते हैं।
- डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन (DRE): इस शारीरिक जांच में, डॉक्टर दस्ताने पहनकर और चिकनाई लगाकर उंगली की मदद से गुदा मार्ग से प्रोस्टेट ग्रंथि की जांच करते हैं। इससे प्रोस्टेट के आकार, बनावट और किसी भी असामान्य गांठ या कठोरता का पता लगाया जाता है।
- इमेजिंग टेस्ट और बायोप्सी: यदि PSA या DRE में कोई असामान्यता पाई जाती है, तो डॉक्टर आगे की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड, एमआरआई (MRI), सीटी (CT) स्कैन या पीईटी/सीटी (PET/CT) स्कैन जैसी इमेजिंग विधियों का सुझाव दे सकते हैं। यदि इन टेस्ट में संदिग्ध परिणाम आते हैं, तो अंतिम पुष्टि के लिए बायोप्सी (प्रोस्टेट ऊतक का एक छोटा सा नमूना लेकर जांचना) की जाती है।
बचाव के तरीके: जीवनशैली में बदलाव से कम करें जोखिम
प्रोस्टेट कैंसर को पूरी तरह से रोकना हमेशा संभव नहीं होता, लेकिन अपनी जीवनशैली में कुछ स्वस्थ बदलाव करके इसके जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है:
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पौष्टिक और संतुलित आहार (हेल्दी डाइट):
- अपनी डाइट में ताजे फल, सब्जियां और साबुत अनाज (जैसे ब्राउन राइस, ओट्स, बाजरा) को भरपूर मात्रा में शामिल करें। ये एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन, मिनरल्स और फाइबर से भरपूर होते हैं, जो कोशिकाओं को क्षति से बचाने में मदद करते हैं।
- विशेष रूप से, टमाटर, तरबूज, चुकंदर, गुलाबी अंगूर और पपीता जैसे लाल रंग के फलों और सब्जियों में लाइकोपीन (Lycopene) नामक एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होता है। अध्ययनों से पता चला है कि लाइकोपीन प्रोस्टेट कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को कम करने में मदद कर सकता है।
- फैट का सेवन सीमित करें, खासकर पशु वसा (जैसे रेड मीट और डेयरी उत्पादों में पाए जाने वाले संतृप्त वसा)। इसके बजाय, जैतून का तेल, नट्स और एवोकाडो जैसे स्वस्थ वसा स्रोतों को चुनें।
- हरी चाय (Green Tea) का सेवन भी फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इसमें पॉलीफेनोल्स होते हैं जो कैंसर रोधी गुणों के लिए जाने जाते हैं।
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नियमित शारीरिक गतिविधि (Regular Exercise):
- रोजाना कम से कम 30 मिनट की मध्यम-तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधि को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। तेज चलना, जॉगिंग, साइकिल चलाना, तैराकी या योग जैसी गतिविधियां शामिल की जा सकती हैं।
- नियमित व्यायाम स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद करता है। मोटापा प्रोस्टेट कैंसर सहित कई प्रकार के कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है।
- शारीरिक गतिविधि हार्मोन के स्तर को भी नियंत्रित करने में मदद करती है, जो कैंसर के विकास में भूमिका निभा सकते हैं।
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धूम्रपान और शराब से दूरी:
- धूम्रपान (Smoking) और अत्यधिक शराब का सेवन कैंसर के खतरे को कई गुना बढ़ा देते हैं। इन आदतों को तुरंत छोड़ना प्रोस्टेट कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों के जोखिम को काफी कम कर सकता है।
- तंबाकू और शराब में मौजूद हानिकारक रसायन शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और कैंसर के विकास को बढ़ावा देते हैं।
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पर्याप्त नींद: पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण नींद लेना भी समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है और शरीर को कोशिकाओं की मरम्मत करने में मदद करता है।
महत्वपूर्ण सलाह:
प्रोस्टेट कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन शुरुआती पहचान और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इसके जोखिम को कम किया जा सकता है और यदि आवश्यक हो, तो समय पर प्रभावी उपचार प्राप्त किया जा सकता है। याद रखें, जानकारी ही बचाव है। इस लेख में सुझाए गए टिप्स केवल सामान्य जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हैं। सेहत से जुड़े किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने, अपनी डाइट में किसी भी तरह का बदलाव करने या किसी भी बीमारी से संबंधित कोई भी उपाय करने से पहले अपने डॉक्टर या योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें। वे आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर सबसे सटीक और सुरक्षित सलाह प्रदान कर सकते हैं।