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रीवा में बिजलीकर्मियों पर जानलेवा हमला: पेट्रोलिंग कर रहे 4 कर्मचारी गंभीर घायल, विभाग और पुलिस पर उठे सवाल saval Aajtak24 News |
रीवा - रीवा जिले में बिजली विभाग के कर्मचारियों पर ड्यूटी के दौरान हुआ जानलेवा हमला एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। लालगांव विद्युत केंद्र से जुड़े कर्मचारियों पर बीती रात, 15 और 16 जून 2025 की दरम्यानी रात, देउर क्षेत्र में पेट्रोलिंग करते समय अज्ञात हमलावरों ने घात लगाकर हमला कर दिया। इस बर्बर हमले में चार कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें तुरंत संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल, रीवा में भर्ती कराया गया है। इस घटना से विभाग के कर्मचारियों में भारी आक्रोश व्याप्त है, और वे दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
घायल कर्मचारियों की हालत गंभीर, सामने आई विभागीय लापरवाही
हमले में गंभीर रूप से घायल हुए कर्मचारियों की पहचान रमाकांत पटेल, अनिल कुमार विश्वकर्मा, कमलेश प्रजापति और प्रमोद कश्यप के रूप में हुई है। ये सभी अपनी ड्यूटी पर थे और क्षेत्र में बिजली आपूर्ति की निगरानी कर रहे थे, जब उन पर हमला किया गया।
इस घटना ने बिजली विभाग की घोर लापरवाही को भी उजागर किया है। सूत्रों के अनुसार, हमले से तीन दिन पहले ही संबंधित क्षेत्र में विवाद की स्थिति बन गई थी, जिसकी जानकारी कटरा स्थित कनिष्ठ अभियंता (JE) को थी। चौंकाने वाली बात यह है कि जेई द्वारा इस संभावित खतरे की कोई भी सूचना स्थानीय थाना गढ़ को नहीं दी गई। यह चूक सीधे तौर पर कर्मचारियों की सुरक्षा के प्रति विभागीय उदासीनता को दर्शाती है और इस हमले का एक बड़ा कारण मानी जा रही है।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हमलावरों ने एक अन्य कर्मचारी रामकरण प्रजापति को भी मौके पर ही कनिष्ठ अभियंता के सामने बेरहमी से पीटा। यह दृश्य विभाग के अन्य कर्मचारियों के मन में गहरा भय और रोष पैदा कर रहा है।
FIR दर्ज न होने से बढ़ा आक्रोश, कर्मचारियों ने दी आंदोलन की चेतावनी
सबसे हैरान करने वाली और चिंताजनक बात यह है कि इस गंभीर जानलेवा हमले की एफआईआर (FIR) गढ़ थाने में समाचार लिखे जाने तक दर्ज नहीं की गई थी। पुलिस की यह ढिलाई पीड़ित पक्ष और पूरे बिजली विभाग के कर्मचारियों में भारी नाराजगी और असंतोष का कारण बन रही है।
कर्मचारियों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही इस हमले के दोषियों की गिरफ्तारी नहीं हुई और उन पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो वे कार्य बहिष्कार और बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
यह घटना न केवल बिजली विभाग के कर्मचारियों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है, बल्कि जिला प्रशासन और पुलिस की तत्परता पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती है। अब देखना यह होगा कि रीवा जिला प्रशासन और पुलिस इस हमले को कितनी गंभीरता से लेते हैं और क्या समय रहते दोषियों को गिरफ्तार कर पीड़ित कर्मचारियों को न्याय दिला पाते हैं। इस तरह की घटनाएं फील्ड में काम करने वाले कर्मचारियों के मनोबल को तोड़ने का काम करती हैं और उन्हें अपनी जान जोखिम में डालकर काम करने को मजबूर करती हैं।