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ट्रांसफर नीति पर उठे प्रश्न, न कोई उपलब्धि न ही ट्रांसफर |
इंदौर- ट्रांसफर नीति का पालन प्रशासनिक अनुशासन का हिस्सा होता है, लेकिन महू में पदस्थ राजस्व निरीक्षक शंकर डाबर इसका अपवाद नजर आ रहे हैं। डाबर ने पहले पटवारी के रूप में महू क्षेत्र में 10 वर्षों तक सेवाएं दीं और फिर प्रमोशन के बाद बीते 10 वर्षों से राजस्व निरीक्षक के रूप में भी यहीं पर कार्यरत हैं। कुल मिलाकर वे 20 वर्षों से महू में ही जमे हुए हैं।
जानकारी के अनुसार डाबर की कोई विशेष प्रशासनिक या जनसेवात्मक उपलब्धि ऐसी नहीं है, जो उन्हें इस तरह लगातार एक ही स्थान पर टिकाए रखे। जिले भर में हाल ही में राजस्व निरीक्षकों और पटवारियों के तबादले किए गए, लेकिन डाबर का स्थानांतरण नहीं किया गया, जिससे ट्रांसफर नीति की पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय लोगों और कर्मचारी संगठनों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि जब बाकी सभी अधिकारियों-कर्मचारियों का नियमित स्थानांतरण हो रहा है तो फिर डाबर को महू में विशेषाधिकार क्यों मिल रहा है। लोग यह भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या डाबर के लिए स्थानांतरण नीति लागू नहीं होती? अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले पर क्या रुख अपनाता है और क्या ट्रांसफर नीति को समान रूप से लागू किया जाएगा या डाबर जैसे अधिकारियों को महू में 'स्थायी पोस्टिंग' मिलती रहेगी।