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रीवा-मऊगंज में निशुल्क राशन योजना में 'लूट': ₹1 का नमक ₹5 में, सिक्का न लेने की आड़ में गरीबों से वसूली का आरोप aarop Aajtak24 News |
रीवा-मऊगंज - केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी निशुल्क अनाज योजना, जिसका उद्देश्य गरीब परिवारों को मुफ्त गेहूं और चावल उपलब्ध कराना है, रीवा और मऊगंज जिलों में एक अजीबोगरीब 'लूट' का शिकार हो रही है। यहाँ गरीबों को ₹1 प्रति किलो मिलने वाला नमक, ₹5 प्रति किलो की दर से बेचा जा रहा है। इसका मुख्य कारण एक रुपए के सिक्के को 'अचल' मानकर उसका चलन बंद होना बताया जा रहा है, जिसका सीधा खामियाजा गरीब उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है।
सिक्कों का खेल, गरीबों की जेब पर डाका: शिकायत के अनुसार, रीवा और मऊगंज जिलों में ₹1 के सिक्के को दुकानदार से लेकर शासकीय संस्थाएं तक स्वीकार नहीं कर रही हैं। इस स्थिति का फायदा उठाकर राशन विक्रेता पात्र हितग्राहियों से ₹1 किलो वाले नमक के लिए सीधे ₹5 वसूल रहे हैं। यह एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि क्या यह सिर्फ सिक्कों की अस्वीकृति का मामला है, या संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से गरीबों की जेब पर डाका डाला जा रहा है। सरकार यदि ऐसे कार्डधारी हितग्राहियों के बयान दर्ज करे और विक्रेताओं के पास मौजूद ₹1 के सिक्कों की जांच करे, तो सच्चाई सामने आ सकती है। यह भी सवाल है कि क्या किसी भी उपभोक्ता को यह लिख कर दिया जाता है कि उनका ₹5 जमा है और अगले पाँच माह तक उनसे नमक का पैसा नहीं लिया जाएगा? ऐसा नहीं हो रहा है, बल्कि हर माह ₹5 की दर से पैसा लिया जा रहा है, जिससे हजारों-हजारों रुपए सीधे जनता की जेब से लूटे जा रहे हैं।
जिम्मेदार कौन: मिलीभगत या उदासीनता? यह 'लूट' या तो संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से चल रही है, या फिर उनकी घोर उदासीनता का परिणाम है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या स्थानीय जनप्रतिनिधि, पक्ष और विपक्ष के नेता इस गंभीर मुद्दे को नहीं उठा सकते? यह योजना राज्य सरकार की नहीं, बल्कि केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण 'जीवनदायनी' योजना है, जिसका उद्देश्य गरीबों को भोजन सुरक्षा प्रदान करना है। इस तरह की महत्वपूर्ण योजना में इस तरह की 'खिलवाड़' और गरीबों के निवाले पर 'लूट' रीवा और मऊगंज जिलों के लिए इससे बड़ी शर्म की बात नहीं हो सकती। यह स्थिति तत्काल सरकारी हस्तक्षेप और सख्त कार्रवाई की मांग करती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि गरीब परिवारों तक निशुल्क राशन का पूरा लाभ पहुंचे और उन्हें किसी भी तरह की वसूली का शिकार न होना पड़े।