ठगी का पूरा ताना-बाना:
सरजीत सिंह यादव द्वारा पुलिस को दी गई विस्तृत रिपोर्ट के अनुसार, इस ठगी की शुरुआत 28 दिसंबर 2022 को हुई, जब उनके पास एक अज्ञात नंबर से फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को 'पार्श्वनाथ शेयर ब्रेकर' नामक एक निवेश कंपनी का प्रतिनिधि बताया। ठगों ने सरजीत को बेहद लुभावना प्रस्ताव दिया कि उनकी कंपनी में निवेश करने पर मात्र दो साल में पैसे दोगुने कर लौटा दिए जाएंगे। विश्वास जीतने के लिए, शातिर ठगों ने सरजीत को वीडियो कॉल पर अपने कथित 'ऑफिस' का नजारा भी दिखाया, जिससे पीड़ित को लगा कि वह किसी वैध और प्रतिष्ठित कंपनी के साथ डील कर रहा है। इस जालसाजी भरे प्रदर्शन से प्रभावित होकर, सरजीत ने ठगों की बातों पर भरोसा कर लिया।
परिवार के कई सदस्यों की गाढ़ी कमाई डूबी:
ठगों के बताए अनुसार, सरजीत सिंह यादव ने न केवल अपने बैंक खाते से, बल्कि अपने भाई राजकुमार यादव, जीजा राजकुमार (जो परमाल के पुत्र हैं) के खातों से भी अलग-अलग तारीखों और समय पर पैसे जमा करवाए। हैरत की बात यह है कि इस ठगी के लिए पैसे जुटाने के क्रम में जीजा राजकुमार ने अपने एक दोस्त से भी बड़ी रकम उधार लेकर ठगों के खातों में जमा करवाई। इस तरह, कई खातों से और विभिन्न किश्तों में कुल 47 लाख 93 हजार रुपये ठगों के हाथों में चले गए। यह दर्शाता है कि ठगों ने योजनाबद्ध तरीके से पीड़ित परिवार की पूरी जमा पूंजी और उनकी वित्तीय पहुंच का फायदा उठाया।
धोखाधड़ी का खुलासा और जान से मारने की धमकी:
जब निवेश की अवधि पूरी होने लगी और सरजीत सिंह यादव ने अपने दोगुने हुए पैसे वापस मांगे, तो ठगों ने बहाने बनाना शुरू कर दिया और अंततः पैसे देने से साफ इनकार कर दिया। इतना ही नहीं, जब पीड़ित ने अपनी रकम वापस लेने का दबाव बनाया, तो ठगों ने उसे जान से मारने की धमकी भी दी। इस घटना ने पीड़ित परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है और उन्हें अपनी सारी बचत गंवानी पड़ी है।
साइबर पुलिस की जांच शुरू:
पीड़ित सरजीत सिंह यादव की तहरीर पर, अलवर के साइबर पुलिस थाने ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस अब उन बैंक खातों की पड़ताल कर रही है जिनमें पैसे ट्रांसफर किए गए थे और तकनीकी सर्विलांस के माध्यम से ठगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। पुलिस ने आम जनता को एक बार फिर आगाह किया है कि 'पैसे दोगुने' करने या कम समय में अधिक रिटर्न देने वाली ऑनलाइन स्कीमों के झांसे में न आएं। ऐसे लुभावने प्रस्ताव अक्सर साइबर ठगी का ही एक तरीका होते हैं, जिनमें लोग अपनी गाढ़ी कमाई गंवा देते हैं। किसी भी निवेश से पहले कंपनी की प्रामाणिकता और पंजीकरण की विधिवत जांच करना अनिवार्य है।