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धार के सरदारपुर में जैव विविधता दिवस उत्साह से मना, खरमोर अभ्यारण्य के सुरक्षाकर्मियों को मिला सम्मान और सामग्री samagri Aaltak24 News |
धार - जैव विविधता दिवस 2025 के अवसर पर, वन परिक्षेत्र सरदारपुर में 22 मई, 2025 को एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर वन विभाग ने जैव विविधता के महत्व पर प्रकाश डालने के साथ-साथ खरमोर अभ्यारण्य की सुरक्षा में लगे श्रमिकों के समर्पण को भी सराहा और उन्हें आवश्यक सामग्री वितरित की।
जैव विविधता का महत्व और संरक्षण की शपथ
कार्यक्रम में वनमंडलाधिकारी धार, अशोक कुमार सोलंकी, उपवनमंडलाधिकारी धार/सरदारपुर, संतोष कुमार रनशोरे, और रेंजर सरदारपुर, शैलेंद्र सोलंकी सहित समस्त वन अमला उपस्थित रहा। वनमंडलाधिकारी अशोक कुमार सोलंकी ने जैव विविधता के महत्व पर विस्तार से बताया। उन्होंने न केवल पौधे लगाने, बल्कि उनकी सुरक्षा और संरक्षण पर भी विशेष जोर दिया। इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों को वन एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा की शपथ भी दिलाई गई। उपवनमंडलाधिकारी संतोष कुमार रनशोरे ने पर्यावरण संरक्षण के लिए संवहनीय (सस्टेनेबल) विकास की महत्ता समझाई। उन्होंने बताया कि मानव सभ्यता के अस्तित्व के लिए जैव विविधता की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है। वन्य जीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के बारे में भी विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।
खरमोर अभ्यारण्य: जैव विविधता का संरक्षक और सुरक्षाकर्मियों का सम्मान
रेंजर सरदारपुर शैलेंद्र सोलंकी ने बताया कि राष्ट्रीय उद्यान एवं अभ्यारण्य जैव विविधता के संरक्षण के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने विशेष रूप से वन परिक्षेत्र सरदारपुर अंतर्गत आने वाले खरमोर अभ्यारण्य में पाई जाने वाली अनूठी जैव विविधता का भी उल्लेख किया। यह अभ्यारण्य दुर्लभ खरमोर पक्षी और अन्य वन्यजीवों का महत्वपूर्ण पर्यावास है। इसी अवसर पर, वनमंडलाधिकारी और उपवनमंडलाधिकारी द्वारा खरमोर अभ्यारण्य में ईको विकास समिति पानपुरा के माध्यम से सुरक्षा का उल्लेखनीय कार्य करने वाले सुरक्षा श्रमिकों को सम्मानित किया गया। उन्हें उनकी सेवा के लिए मूलभूत सामग्री जैसे कपड़े, जूते, मोजे, बेल्ट, डोरी, टोपी, डंडा, रेनकोट, विंटर कोट, कम्बल, क्राकरी आयटम, टार्च, पानी की बोतल आदि का वितरण किया गया। अधिकारियों ने उनके अच्छे कार्य के लिए उन्हें प्रोत्साहित भी किया। कार्यक्रम का आभार श्री जोगड़सिंह जमरा और मनीषपाल राठौर द्वारा व्यक्त किया गया।