वक्फ कानून पर धार्मिक बैठक रोकी गई, मीरवाइज उमर फारूक ने जताई नाराज़गी, शुक्रवार को होगा विरोध प्रदर्शन pradarsan Aajtak24 News


वक्फ कानून पर धार्मिक बैठक रोकी गई, मीरवाइज उमर फारूक ने जताई नाराज़गी, शुक्रवार को होगा विरोध प्रदर्शन pradarsan Aajtak24 News 

श्रीनगर - जम्मू-कश्मीर में लागू किए गए संशोधित वक्फ अधिनियम को लेकर घाटी में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता और मुत्तहिदा मजलिस-ए-उलमा (MMU) के प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक ने बुधवार को प्रशासन पर आरोप लगाया कि श्रीनगर स्थित उनके निवास पर प्रस्तावित धार्मिक प्रतिनिधियों की बैठक को पुलिस द्वारा रोका गया, जो एक शांतिपूर्ण चर्चा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। यह बैठक संशोधित वक्फ कानून के प्रभावों पर विचार-विमर्श और संयुक्त प्रस्ताव तैयार करने के उद्देश्य से बुलाई गई थी, जिसमें जम्मू, करगिल, लद्दाख सहित कश्मीर के विभिन्न हिस्सों से धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था। मीरवाइज के अनुसार, प्रशासन ने बिना किसी स्पष्ट कारण के बैठक की अनुमति नहीं दी और उनके निवास पर पुलिस बल तैनात कर दिया।


मीरवाइज उमर फारूक ने सोशल मीडिया मंच 'X' पर लिखा –

"यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र में मुस्लिम विद्वानों और धार्मिक संस्थाओं को एक गंभीर सामाजिक-धार्मिक मुद्दे पर भी चर्चा करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। जब भारत की संसद में ऐसे विषयों पर बहस की जा सकती है, तो जम्मू-कश्मीर के धार्मिक नेताओं को यह अधिकार क्यों नहीं?"

उन्होंने बताया कि MMU द्वारा एक संयुक्त विरोध प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसे शुक्रवार, 12 अप्रैल को मस्जिदों और धार्मिक स्थलों में सार्वजनिक रूप से पढ़ा जाएगा। यह प्रस्ताव नए वक्फ कानून के विरोध में घाटी की एकजुट धार्मिक राय को दर्शाएगा।

MMU, जो घाटी के प्रमुख धार्मिक संगठनों का संयुक्त मंच है, ने इस कानून को धार्मिक संस्थानों की स्वायत्तता पर सीधा हमला बताया है। मीरवाइज ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के विरोध के रुख का भी समर्थन किया है और कहा है कि यह कदम देशभर में मुसलमानों की धार्मिक व्यवस्थाओं को प्रभावित कर सकता है।

गौरतलब है कि इससे पहले मीरवाइज ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस मुद्दे पर लाए गए स्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार करने की भी आलोचना की थी।

MMU और अन्य धार्मिक संगठनों के अनुसार, यह आंदोलन शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से जारी रहेगा और केंद्र सरकार से अपील की जाएगी कि वक्फ कानून पर पुनर्विचार कर धार्मिक समुदायों की संवैधानिक धार्मिक स्वतंत्रता को सुनिश्चित किया जाए।

Post a Comment

Previous Post Next Post