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उद्धव ठाकरे का बड़ा आरोप – कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक विरोधियों को दबाने का ज़रिया बनी पुलिस police Aajtak24 News |
मुंबई - शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर सत्ता पक्ष और प्रशासन के गठजोड़ पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले कांग्रेस और अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पुलिस तंत्र का दुरुपयोग कर रही है—कभी शिव सैनिकों को धमकाकर तो कभी राजनीतिक विरोधियों को दबाकर। उद्धव ठाकरे ‘थरार’ पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, "कांग्रेस के शासनकाल में पुलिस शिवसैनिकों को धमकी देती थी कि अगर वे कांग्रेस में शामिल नहीं हुए, तो उन पर टाडा जैसे कड़े कानूनों के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। अब वही सिलसिला बीजेपी राज में भी चल रहा है—पुराने केस खोले जा रहे हैं, विरोधी पार्टियों को तोड़ा जा रहा है और पुलिस का इस्तेमाल दमन के उपकरण के रूप में किया जा रहा है।" उन्होंने चेताया कि यदि पुलिस सिर्फ ‘राजनीतिक आकाओं’ के आदेश पर काम करती रही, तो इससे राज्य में अराजकता की स्थिति पैदा हो सकती है।
बदलापुर यौन उत्पीड़न मामला भी उठाया
ठाकरे ने हाल ही में चर्चा में आए बदलापुर यौन उत्पीड़न केस की ओर ध्यान दिलाया, जिसमें आरोपी अक्षय शिंदे की हिरासत में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। उन्होंने कहा, "पांच पुलिसकर्मियों पर मामला दर्ज किया गया है, लेकिन जिनके आदेश पर ये सब हुआ, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। सिर्फ नीचे के अधिकारियों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।" गौरतलब है कि बंबई उच्च न्यायालय ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एसआईटी जांच का आदेश भी दिया है।
पानी की किल्लत पर प्रदर्शन रोका गया: ठाकरे
उद्धव ठाकरे ने यह भी आरोप लगाया कि बदलापुर में पानी की कमी को लेकर शिवसेना कार्यकर्ताओं द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन को पुलिस बल लगाकर रोका गया। उन्होंने सवाल किया, "अगर जनता अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए भी आवाज़ नहीं उठा सकती, तो लोकतंत्र का मतलब क्या रह जाता है?
अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला का जिक्र
कार्यक्रम के दौरान उद्धव ठाकरे ने अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला का भी ज़िक्र किया और कहा कि एक बार वह शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे से मातोश्री में मिलने आया था। उद्धव ने स्पष्ट किया कि उस समय वे स्कूल में पढ़ते थे और उन्हें उस मुलाकात की वजह नहीं पता थी। उद्धव ठाकरे की यह बयानबाज़ी केवल प्रशासनिक सवाल नहीं उठाती, बल्कि सत्ता और पुलिस के संबंधों को लेकर गंभीर लोकतांत्रिक चिंता भी व्यक्त करती है। बदलापुर कांड, विरोध प्रदर्शन पर पाबंदी और राजनीतिक दबाव में पुलिस की भूमिका को लेकर आने वाले दिनों में यह मुद्दा महाराष्ट्र की राजनीति में और गरमाने वाला है।