जयसिंहनगर की बलौड़ी पंचायत में भ्रष्टाचार का खुला खेल, तालाब निर्माण में मनरेगा के पैसे से लूट! lut Aajtak24 News


जयसिंहनगर की बलौड़ी पंचायत में भ्रष्टाचार का खुला खेल, तालाब निर्माण में मनरेगा के पैसे से लूट! lut Aajtak24 News 
शहडोल/जयसिंहनगर - जिले की ग्राम पंचायत बलौड़ी में इन दिनों भ्रष्टाचार का बोलबाला है। यहां की जमीनी हकीकत यह है कि शासन द्वारा विकास के लिए भेजी जा रही योजनाओं को ‘निजी धन उगाही’ का साधन बना दिया गया है। सबसे चौंकाने वाला मामला खटकरिया तालाब के निर्माण में देखने को मिला, जिसे मनरेगा के तहत वर्ष 2024-25 में स्वीकृति मिली थी। इस योजना को पंचायत के उपसरपंच द्विवेदी, सचिव और रोजगार सहायक गुप्ता द्वारा मिलकर बुरी तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया है। इस पूरे मामले में एक ओर तो बाहर से श्रमिकों को बुलाकर मनरेगा की आत्मा को रौंदा गया, वहीं दूसरी ओर मशीनों से खुदाई करवा कर नियमों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई गईं। ग्राम पंचायत स्तर पर निगरानी और गुणवत्ता की ज़िम्मेदारी जिनके कंधों पर है, वही अब इस गड़बड़ी के हिस्सेदार बन चुके हैं।

तालाब में भ्रष्टाचार की गहराई

खटकरिया तालाब का निर्माण सिर्फ नाम का रह गया है। काम की गुणवत्ता न के बराबर है, और इससे संबंधित लोगों की जवाबदेही पर सवाल उठना लाजिमी है। ग्रामीणों का कहना है कि काम न तो पारदर्शिता से हो रहा है और न ही जनभागीदारी से। यहां तक कि पंचायत के नियमित मजदूरों को दरकिनार कर ठेके पर मजदूर बुलाए गए, जो खुद मनरेगा की मूल भावना के खिलाफ है।

उपयंत्री हीरामणि मरावी की भूमिका संदिग्ध

सबसे गंभीर आरोप पंचायत के तकनीकी प्रभारी उपयंत्री हीरामणि मरावी पर है, जिन्होंने बिना स्थल निरीक्षण किए कार्य को ‘स्वीकृत’ बता दिया। यह वही उपयंत्री हैं जिनके खिलाफ पहले भी पंचायतों में गड़बड़ी से जुड़े आरोप लग चुके हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर हमेशा चुप्पी ही रही है।

जनपद सीईओ की चुप्पी भी सवालों के घेरे में

बलौड़ी पंचायत में हो रहे इस संगठित भ्रष्टाचार की जानकारी जनपद सीईओ को भी है। बावजूद इसके अब तक कोई जांच, स्पष्टीकरण या कार्रवाई सामने नहीं आई। इससे अंदेशा है कि कहीं इस गड़बड़ी में ऊपर तक की मिलीभगत तो नहीं?

त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को कमजोर करने की साजिश

यह पूरा मामला न सिर्फ ग्राम पंचायत बलौड़ी की साख को धूमिल करता है, बल्कि प्रदेश में लागू त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रणाली पर भी गहरा प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। एक ओर शासन योजनाएं भेज रहा है, तो दूसरी ओर ये योजनाएं जिम्मेदारों की जेबें भरने में खर्च हो रही हैं।

अब सवाल ये है—

क्या शासन बलौड़ी पंचायत में हो रहे इस खुल्ले भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करेगा? क्या जनपद के अफसर अब भी सोते रहेंगे या इस गड़बड़झाले की गंभीरता को समझते हुए दोषियों पर कड़ी कार्यवाही करेंगे? यदि यही हाल रहा, तो ग्राम विकास सिर्फ पोस्टरों और भाषणों में सिमटकर रह जाएगा, और जनता के हक की योजनाएं भ्रष्टाचार की बलि चढ़ती रहेंगी।

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