उमरदा-मझौली में कोयले की लूट जारी, खामोश प्रशासन बना माफियाओं का साझेदार! sajhedar Aajtak24 News

 

उमरदा-मझौली में कोयले की लूट जारी, खामोश प्रशासन बना माफियाओं का साझेदार! sajhedar Aajtak24 News 

शहडोल/अनूपपुर – मध्य प्रदेश के शहडोल संभाग में कोयला माफियाओं का दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है, विशेषकर बिजुरी थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत उमरदा-पिपरिया और मझौली क्षेत्र में। यहां अवैध कोयला उत्खनन इस कदर बेकाबू हो चुका है कि प्रतिदिन लाखों रुपए के राजस्व की क्षति के बावजूद भी प्रशासनिक अमला आंख मूंदे बैठा है। स्थानीय पुलिस और खनिज विभाग की निष्क्रियता पर अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या इनकी चुप्पी किसी अंदरूनी ‘समझौते’ का परिणाम है?

नदी को पाटकर हो रहा गुप्त उत्खनन, प्रशासन बेखबर या बेपरवाह?

स्थानीय लोगों और क्षेत्रीय पत्रकारों के अनुसार, माफिया गिरोहों ने नदी के एक हिस्से को मिट्टी से पाट दिया है ताकि नदी तल से कोयला निकाला जा सके। यह कार्य खुलेआम और व्यवस्थित रूप से हो रहा है। क्षेत्रीय ईंट-भट्ठों से लेकर छत्तीसगढ़ तक कोयले की सप्लाई बेरोकटोक जारी है। इसके बावजूद न तो स्थानीय पुलिस कार्रवाई कर रही है और न ही खनिज विभाग की ओर से कोई ठोस पहल की गई है।

पहले भी हो चुका है खुलासा, कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता

इससे पहले भी जब मीडिया और समाजसेवियों ने इस अवैध उत्खनन की खबरें शासन तक पहुंचाईं थीं, तब प्रशासन ने थोड़ी बहुत औपचारिकता निभाते हुए स्थल को पाटने की कार्रवाई की थी। लेकिन उसके बाद कोई सतत निगरानी नहीं की गई, जिससे माफियाओं को दोबारा वहीं खुदाई शुरू करने का मौका मिल गया। अब तो हालात यह हैं कि पूरे क्षेत्र को एक भूमिगत अवैध खान की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।

स्थानीय अपराधी भी शामिल, बारूद से किया जा रहा विस्फोट

सूत्रों के मुताबिक, माफिया अब स्थानीय अपराधियों को ‘ठेके’ पर लेकर कोयला खुदाई का कार्य करवा रहे हैं। मजदूरों से दिन-रात काम लिया जा रहा है और कई स्थानों पर बारूदी विस्फोट कर जमीन फाड़ी जा रही है। यह न केवल अवैध है बल्कि अत्यंत खतरनाक भी, जिससे मानवीय जीवन, पर्यावरण और जल स्रोतों पर गहरा संकट उत्पन्न हो सकता है।

प्रशासन की मूक स्वीकृति या मिलीभगत?

जनमानस में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि प्रशासनिक अमले की निष्क्रियता केवल लापरवाही नहीं, बल्कि मिलीभगत का संकेत हो सकती है। लोग पूछ रहे हैं — जब मीडिया के माध्यम से बार-बार सूचनाएं उजागर हो रही हैं, तब भी कार्यवाही क्यों नहीं हो रही? क्या यह सब कुछ खनिज विभाग और पुलिस अधिकारियों की ‘मौन स्वीकृति’ से नहीं हो रहा?

प्रशासनिक सख्ती की आवश्यकता, नहीं तो बन जाएगा अपराधियों का सुरक्षित ज़ोन

जिस प्रकार उमरदा-मझौली क्षेत्र में कोयला माफियाओं ने अपना दबदबा कायम कर लिया है, वह पूरे संभाग के लिए एक चेतावनी है। यदि समय रहते कठोर कार्रवाई नहीं की गई तो यह क्षेत्र अपराधियों और माफियाओं के लिए एक सुरक्षित अड्डा बन जाएगा, जहां से ना केवल खनिज संसाधनों की लूट होगी बल्कि अपराध भी बढ़ेंगे।

निष्कर्ष: जनता की अपेक्षा – दिखावे की नहीं, वास्तविक कार्रवाई हो

यह वक्त है कि शासन प्रशासन इस गंभीर समस्या पर ध्यान दे। सिर्फ खानापूर्ति कर माफियाओं को मौका देना अब जनहित के खिलाफ है। जरूरत है – सतत निगरानी, निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की। ताकि यह संदेश जाए कि प्रशासन किसी भी हाल में राज्य के खनिज संपदा की लूट को बर्दाश्त नहीं करेगा।

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