पाकिस्तान संसद में गूंजा खालिस्तानी एजेंडा: सिख सांसद गुरदीप सिंह ने खुलेआम किया ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ के पाकिस्तान समर्थन का बचाव bachav Aajtak24 News


पाकिस्तान संसद में गूंजा खालिस्तानी एजेंडा: सिख सांसद गुरदीप सिंह ने खुलेआम किया ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ के पाकिस्तान समर्थन का बचाव bachav Aajtak24 News 

इस्लामाबाद/नई दिल्ली - पाकिस्तान की सीनेट में मंगलवार को उस वक्त खलबली मच गई जब वहां के पहले सिख सांसद गुरदीप सिंह ने खुले मंच से खालिस्तानी विचारधारा को समर्थन देने वाला बयान दे दिया। उन्होंने अलगाववादी संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ के कमांडर गुरपतवंत सिंह पन्नू के पाकिस्तान समर्थन की घोषणा को दोहराते हुए कहा, “सिख समुदाय के लोग तो पहले ही पाकिस्तान का साथ देने का ऐलान कर चुके हैं। गुरदीप सिंह पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी से संबंध रखते हैं और खैबर पख्तूनख्वा से उच्च सदन (सीनेट) के सदस्य हैं। सिख समुदाय से आने वाले वह पाकिस्तान के इकलौते सांसद हैं और पहली बार किसी पगड़ीधारी सिख को पाकिस्तानी संसद में जगह मिली है। लेकिन उनके बयान ने इस ऐतिहासिक पहचान को विवादों में ला दिया है।उन्होंने यह टिप्पणी उस वक्त की जब संसद में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर बहस चल रही थी। भारत की ओर से पाकिस्तान पर इस हमले में शामिल होने का आरोप लगाने पर प्रतिक्रिया देते हुए गुरदीप सिंह ने न केवल पाकिस्तान का बचाव किया, बल्कि खालिस्तान का नाम लेकर भारत पर तीखा प्रहार भी किया।

अपने बयान में गुरदीप सिंह ने कहा, “भारत ने पहलगाम में हुए हमले के आधे घंटे के भीतर ही पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहरा दिया। यह दुनिया में कहीं नहीं होता। सिख तो पहले ही कह चुके हैं कि हम पाकिस्तान के साथ हैं।” उन्होंने 1984 के सिख विरोधी दंगों का भी जिक्र किया और उसे पाकिस्तान पर लगने वाले आतंकवाद के आरोपों के जवाब में रखा। हैरानी की बात यह रही कि पूरे भाषण के दौरान गुरदीप सिंह ने “इंशाल्लाह” और “मदीने की रियासत” जैसे इस्लामिक शब्दों का बार-बार इस्तेमाल किया, जिससे उनके विचारों और मंशा को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं। एक सिख नेता के रूप में खालिस्तान की पैरवी करना और इस्लामिक कट्टरता की शब्दावली अपनाना उनकी भूमिका को संदेह के घेरे में डाल रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि यह बयान केवल एक सांसद की निजी राय नहीं है, बल्कि इसके पीछे पाकिस्तान की सोची-समझी रणनीति है। पाकिस्तान लगातार खालिस्तानी आंदोलन को समर्थन देता रहा है। चाहे वह कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया या अमेरिका हो—हर जगह खालिस्तानी गतिविधियों में पाकिस्तानी तत्वों की भूमिका देखी गई है।

सिख्स फॉर जस्टिस के गुरपतवंत सिंह पन्नू पहले ही पाकिस्तान का खुला समर्थन कर चुके हैं और अब पाक संसद में उनका बयान दोहराया जाना यह साबित करता है कि खालिस्तानी एजेंडे को पाकिस्तान से ही खाद-पानी मिल रहा है। कई खालिस्तानी आतंकी पाकिस्तान में छिपे हुए हैं और वहीं से भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। सबसे विडंबनापूर्ण बात यह है कि गुरदीप सिंह ने पाकिस्तान में रह रहे सिख समुदाय की स्थिति पर एक शब्द नहीं कहा। जबकि वास्तविकता यह है कि पाकिस्तान में सिखों की आबादी बेहद कम है और उन्हें धार्मिक, सामाजिक व आर्थिक रूप से कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यह बयान न केवल भारत के लिए, बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए भी चिंताजनक है। यह दर्शाता है कि पाकिस्तान अब खालिस्तानी एजेंडे को सिर्फ आतंकी नेटवर्कों तक सीमित नहीं रख रहा, बल्कि उसे राजनीतिक मंचों और संसद तक ले जा रहा है।



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