रीवा जिले के किसान के. एन. त्रिपाठी की सफलता की कहानी: खेती, बागवानी और डेयरी से हर साल कमा रहे 5.6 लाख रुपये rupe Aajtak24 News

 

रीवा जिले के किसान के. एन. त्रिपाठी की सफलता की कहानी: खेती, बागवानी और डेयरी से हर साल कमा रहे 5.6 लाख रुपये rupe Aajtak24 News 

रीवा - मध्यप्रदेश के रीवा जिले के गंगेव ब्लॉक के गोदरी-3 गांव में रहने वाले किसान के. एन. त्रिपाठी (पिता – राम सन्दर त्रिपाठी) ने यह साबित कर दिया है कि अगर परंपरागत खेती को नवीन तकनीक, मेहनत और बहुआयामी रणनीति से जोड़ा जाए, तो गांव का किसान भी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकता है। के. एन. त्रिपाठी आज न केवल खेती कर रहे हैं, बल्कि बागवानी, सब्जी उत्पादन और डेयरी व्यवसाय को भी अपनाकर सालाना लाखों रुपये की आय कमा रहे हैं। उनकी इस यात्रा ने उन्हें गांव के प्रगतिशील किसानों की श्रेणी में खड़ा कर दिया है।

सब्जी उत्पादन से हुई शानदार कमाई

त्रिपाठी जी ने परंपरागत अनाज की खेती के साथ-साथ बैंगन और टमाटर की व्यावसायिक खेती भी शुरू की। उन्होंने इन फसलों पर मात्र 25,000 रुपये की लागत लगाई और उत्पादन से 1.5 लाख रुपये की कमाई की। सब्जियों की गुणवत्ता और बाजार में अच्छी मांग के कारण उन्हें अच्छा मूल्य मिला। इससे न केवल उनकी आमदनी में इजाफा हुआ, बल्कि उन्होंने अन्य किसानों को भी इस ओर प्रेरित किया।

आम का बाग बना आय का स्थायी स्रोत

खेती के साथ-साथ त्रिपाठी जी ने अपने खेत के एक हिस्से में 250 आम के पेड़ लगाए हैं। इन पेड़ों से उन्हें हर साल अच्छी आमदनी हो रही है। आम का यह बाग अब उनकी आय का स्थायी और बढ़ती हुई संपत्ति बन चुका है। आने वाले वर्षों में यह आमदनी और भी बढ़ने की संभावना है, क्योंकि पेड़ अब उत्पादन की पूर्ण अवस्था में आ चुके हैं।

नरवाई प्रबंधन से बढ़ी मिट्टी की ताकत

खेती के बाद खेतों में बची नरवाई को जलाने की बजाय त्रिपाठी जी ने उसका वैज्ञानिक प्रबंधन किया। उन्होंने रोटावेटर और मल्चर मशीनों की मदद से नरवाई को खेत में ही मिला दिया। इससे न केवल मिट्टी की उर्वरता बढ़ी, बल्कि अगली फसलों के लिए खेत अधिक उपजाऊ बन गया। साथ ही उत्पादन लागत में भी कमी आई, जिससे लाभ में सीधा इजाफा हुआ।

डेयरी व्यवसाय से अतिरिक्त कमाई

त्रिपाठी जी ने खेती के साथ-साथ पशुपालन को भी अपनाया। उनके पास देशी और संकर नस्ल की गाय-भैंसें हैं, जिनसे वे दूध, दही, घी जैसे उत्पाद बनाकर बेचते हैं। इस व्यवसाय से उन्हें प्रतिवर्ष करीब 2 लाख रुपये की अतिरिक्त आमदनी हो रही है। दूध और दुग्ध उत्पादों की बिक्री आसपास के गांवों और बाजार में होती है, जहां उन्हें अच्छा मूल्य मिलता है।

कुल आय 5.6 लाख, लाभ 4.5 लाख से अधिक

त्रिपाठी जी की कुल सालाना आय अब 5.6 लाख रुपये तक पहुंच गई है। इसमें सब्जी उत्पादन, आम बागवानी और डेयरी व्यवसाय तीनों प्रमुख स्रोत हैं। लागत निकालने के बाद उनका शुद्ध लाभ 4.5 लाख रुपये से अधिक बैठता है। यह किसी भी सामान्य किसान के लिए प्रेरणादायक आंकड़ा है।

अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत

के. एन. त्रिपाठी ने अपनी मेहनत, योजनाबद्ध कृषि और समय पर तकनीकी हस्तक्षेप से जो उपलब्धि हासिल की है, वह पूरे रीवा संभाग के किसानों के लिए एक जीवंत उदाहरण है। उन्होंने दिखा दिया है कि संसाधनों की सीमाएं हों, तब भी अगर इच्छाशक्ति हो तो खेती को लाभकारी व्यवसाय में बदला जा सकता है। गांव के अन्य किसान अब उनके खेतों को देखकर प्रेरणा ले रहे हैं और विविध कृषि अपनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। कृषि विभाग भी समय-समय पर उनके कार्यों की सराहना करता रहा है।



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