मऊगंज के गडरा गाँव में नृशंस हत्याकांड के विरोध में रीवा सहित अन्य कस्बों में संपूर्ण बंद, प्रशासन पर निष्पक्ष कार्रवाई का दबाव dabav Aajtak24 News


मऊगंज के गडरा गाँव में नृशंस हत्याकांड के विरोध में रीवा सहित अन्य कस्बों में संपूर्ण बंद, प्रशासन पर निष्पक्ष कार्रवाई का दबाव dabav Aajtak24 News 

रीवा, मध्य प्रदेश, 18 मार्च: मऊगंज जिले के गडरा गाँव में हुए नृशंस हत्याकांड के बाद पूरे जिले में भारी आक्रोश देखने को मिला। इस हत्याकांड के विरोध में रीवा और अन्य कस्बों जैसे मनगवां, मऊगंज, सिरमौर आदि में व्यापारी वर्ग ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। साथ ही विभिन्न सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने सड़कों पर उतरकर जुलूस निकाला और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की। गडरा गाँव में हुई इस घटना के बाद से स्थानीय लोग बेहद नाराज हैं और प्रशासन पर निष्क्रियता का आरोप लगा रहे हैं। घटना को लेकर रीवा के व्यापारियों और सामाजिक संगठनों ने अपने-अपने क्षेत्रों में हड़ताल का आह्वान किया और पुलिस प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की अपील की। इस बंद के कारण जिलेभर के बाजारों में सन्नाटा छा गया और सड़कें वीरान रहीं। पुलिस प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अलर्ट मोड में काम किया।

घटना से उपजा जनाक्रोश

गडरा गाँव में हुई नृशंस हत्या ने न केवल स्थानीय लोगों को आहत किया, बल्कि पूरे जिले में असंतोष का माहौल बना दिया। सामाजिक संगठनों और व्यापारियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन मामले में लापरवाही बरत रहा है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई में कोई तत्परता नहीं दिखाई जा रही है। लोगों का कहना है कि जातीय रूप से प्रेरित इस अपराध को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है, जिससे समाज में असंतोष और तनाव बढ़ता जा रहा है।

प्रशासन पर निष्पक्ष कार्रवाई का दबाव

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यदि प्रशासन ने दोषियों के खिलाफ तुरंत और सख्त कार्रवाई नहीं की, तो जनता का विश्वास कानून व्यवस्था पर कमजोर हो जाएगा। उन्होंने मांग की कि इस मामले की निष्पक्ष और तेज़ जांच की जाए, ताकि अपराधियों को सजा मिल सके। साथ ही, प्रदर्शनकारियों ने सरकार और प्रशासन से यह भी अपील की कि वह जातीय आधार पर हो रही घटनाओं को गंभीरता से लें और जल्द से जल्द न्याय सुनिश्चित करें।

सामाजिक ताने-बाने को नुकसान

गडरा गाँव की घटना ने समाज में बढ़ते जातीय तनाव को और उजागर किया है। स्थानीय नागरिकों और संगठनों ने चिंता जताई कि जातीय विभाजन के कारण सामाजिक ताने-बाने को नुकसान हो रहा है। इस घटना के बाद से समाज में एक खाई बढ़ गई है, जिसे पाटने के लिए प्रशासन को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। संगठन और नागरिकों ने यह भी कहा कि इस तरह की घटनाएं सामाजिक समरसता को बाधित कर रही हैं और इससे क्षेत्रीय सद्भाव पर असर पड़ सकता है।

सरकार से ठोस कार्रवाई की माँग

घटना के बाद से नागरिकों, व्यापारियों और सामाजिक संगठनों ने सरकार से ठोस कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यदि प्रशासन निष्क्रिय रहता है, तो विरोध प्रदर्शन और बढ़ सकते हैं। सरकार और प्रशासन से यह अपेक्षाएँ हैं कि वह इस गंभीर मामले का संज्ञान लेकर शीघ्र न्याय दिलवाए। इससे न केवल लोगों का विश्वास कानून व्यवस्था में रहेगा, बल्कि सामाजिक सौहार्द भी बना रहेगा। गडरा गाँव की घटना ने न केवल इस क्षेत्र को बल्कि पूरे प्रदेश को एक संदेश दिया है कि जातीय तनाव और अपराधों पर कड़ी नज़र रखी जानी चाहिए। प्रशासन को अब इस मामले में तुरंत और प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि समाज में शांति और सद्भाव बना रहे। यदि सरकार और प्रशासन ने जल्द कदम नहीं उठाए, तो स्थिति और बिगड़ सकती है और इसके परिणामस्वरूप विरोध प्रदर्शन और उग्र हो सकते हैं।







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