रीवा में अवैध कारोबार का साम्राज्य: तस्करी, भ्रष्टाचार और प्रशासन की नाकामी nakami Aajtak24 News |
रीवा - रीवा जिला, जो कभी अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता था, अब अवैध कारोबार के गढ़ के रूप में पहचान बना चुका है। नशीले पदार्थों की तस्करी, चंदन के पेड़ों का अवैध कटान, खनिज तस्करी और पशु तस्करी जैसी अपराध गतिविधियाँ यहां तेजी से बढ़ रही हैं। यह अवैध कारोबार न केवल जिले की आर्थिक और सामाजिक संरचना को नुकसान पहुँचा रहा है, बल्कि प्रशासन की कार्यक्षमता और पुलिस की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
नशीले पदार्थों की तस्करी: रीवा बना माफिया का केंद्र
रीवा जिले में नशीले पदार्थों का कारोबार दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। इस इलाके में विशेष रूप से "ब्राउन शुगर" (स्थानीय तौर पर सफेद शक्कर) की तस्करी होती है। इसे झारखंड और ओडिशा से लाकर रीवा के विभिन्न हिस्सों में बेचा जा रहा है। यह न केवल युवाओं को नशे की लत में डाल रहा है, बल्कि अपराध और हिंसा की घटनाओं को भी बढ़ावा दे रहा है।
इसके अलावा, ओडिशा और छत्तीसगढ़ से गांजे के बड़े पैकेट मंगवाए जाते हैं, जिन्हें छोटे पैकेट्स में दबाकर रीवा जिले में बेचा जाता है। उत्तर प्रदेश से नशीली सिरप और गोलियाँ भी तस्करी के जरिए रीवा पहुंचाई जाती हैं।
तस्करी का नेटवर्क:
तस्कर हर थाने और सीमा पर पूरी जानकारी रखते हैं कि कहां जांच हो रही है और कहां नहीं। चार पहिया और दो पहिया वाहनों के जरिए यह कारोबार संचालित होता है, जिसमें स्थानीय लोगों और अधिकारियों की मिलीभगत की बात की जाती है।
चंदन की लकड़ी: रीवा का जंगल चंदनविहीन
कभी चंदन के पेड़ों के लिए प्रसिद्ध रीवा जिले के जंगल अब चंदनविहीन हो चुके हैं। तस्करों ने यहां के चंदन के पेड़ों का अवैध कटान कर उन्हें बाहर भेज दिया है। यह तस्करी बाहरी माफिया और स्थानीय सूत्रों की मिलीभगत से संचालित हो रही है। प्रशासन की नाकामी और भ्रष्टाचार के कारण अब यह कीमती लकड़ी रीवा में न के बराबर बची है।
पशु तस्करी: हर दिन सैकड़ों जानवरों की अवैध आवाजाही
रीवा और उसके आसपास के क्षेत्रों में पशु तस्करी धड़ल्ले से चल रही है, खासकर भैंसों और बकरियों की। मऊगंज, सीधी और सिंगरौली के रास्तों से तस्कर इन पशुओं को बड़े ट्रकों में ठूंसकर उत्तर प्रदेश भेज देते हैं। इन वाहनों से अवैध वसूली की जाती है, जिसमें छोटे वाहनों से ₹1000 और बड़े ट्रकों से ₹5000 प्रति चक्कर लिया जाता है। विशेषत: मंगलवार और शनिवार को तस्करी का प्रमुख दिन होता है, जब जांच कम होती है।
खनिज तस्करी: बालू और गिट्टी का अवैध खनन
रीवा जिले में बालू और गिट्टी का अवैध खनन आम बात हो गई है। अनियंत्रित खनन ने जिले के पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुँचाया है, वहीं भारी ट्रकों की आवाजाही से सड़कों की हालत भी खस्ताहाल हो चुकी है। जिन सड़कों की क्षमता केवल 20 टन है, वहां 50-60 टन वजन वाले ट्रक गुजरते हैं, जिससे सड़कें टूट रही हैं और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ रहा है।
भ्रष्टाचार और दहशत का खेल
अवैध कारोबार में प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। कई रिपोर्ट्स में सामने आया है कि अवैध गतिविधियों से जुड़े लोगों से "सेवा शुल्क" वसूला जाता है। इसके अलावा, विरोध करने वालों को झूठे मुकदमों में फंसाया जाता है या शारीरिक रूप से नुकसान पहुँचाया जाता है। पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी धमकियाँ दी जाती हैं या उनके साथ मारपीट की जाती है, ताकि इस अवैध कारोबार को उजागर न किया जा सके।
ग्रामीण इलाकों में खौफ और चुप्पी
ग्रामीण क्षेत्रों में तस्करों का खौफ इतना बढ़ चुका है कि लोग इस पर खुलकर बात करने से डरते हैं। तस्करों की एक टीम होती है जो विरोध करने वालों को दबाती है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, अवैध गतिविधियों से जुड़े लोग हर महीने लाखों रुपये कमा रहे हैं, जबकि आम जनता इससे लगातार प्रभावित हो रही है। विरोध करने पर स्थानीय पुलिस स्टेशनों में फर्जी केस दर्ज कर दिए जाते हैं।
समस्या का समाधान: क्या किया जा सकता है?
रीवा जिले को इन अवैध गतिविधियों से बचाने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जा सकते हैं:
सख्त कानून-व्यवस्था लागू करना:
सीमाओं पर सख्त निगरानी और नियमित जांच की व्यवस्था की जानी चाहिए। इसके लिए हर जिले में एक विशेष टास्क फोर्स की नियुक्ति की जाए।प्रशासनिक जवाबदेही:
अवैध गतिविधियों में शामिल अधिकारियों की पहचान की जाए और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इसके लिए एक स्वतंत्र जांच एजेंसी से पूरे मामले की जांच कराई जा सकती है।जन-जागरूकता अभियान:
नशीले पदार्थों और अवैध गतिविधियों के खिलाफ व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जाए। स्कूलों और कॉलेजों में युवाओं को नशे से बचाने के लिए काउंसलिंग सत्र आयोजित किए जाएं।पर्यावरण संरक्षण:
चंदन के पेड़ों की पुनःस्थापना के लिए विशेष योजनाएं बनाई जाएं। खनिज खनन पर रोक लगाने के लिए तकनीकी उपाय अपनाए जाएं।सूचना देने वालों की सुरक्षा:
अवैध गतिविधियों की जानकारी देने वालों को सुरक्षा और उचित पुरस्कार प्रदान किया जाए।
रीवा को बचाना है, तो कदम उठाना होगा
रीवा जिले की वर्तमान स्थिति प्रशासनिक नाकामी और समाज की उदासीनता का परिणाम है। अगर इन अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो आने वाले समय में रीवा जिले में अपराध और अवैध कारोबार की बढ़ती समस्या जिले की पहचान बन सकती है। अब समय आ गया है कि प्रशासन, समाज और मीडिया मिलकर इन समस्याओं के खिलाफ ठोस कदम उठाएं ताकि रीवा फिर से अपनी खोई हुई गरिमा को प्राप्त कर सके। (यह लेख समाज और प्रशासन दोनों के लिए एक चेतावनी है कि रीवा जिले को बचाने के लिए जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए जाएं।)