स्ट्रांग रूम में रखें बेशकीमती मिसल रिकॉर्ड से नकल बनाता है 70 वर्षीय रुढ़िलाल rudilal Aajtak24 News


सरकारी कर्मचारी नहीं होने के बाद भी देख रहा कॉपी का काम 

इंदौर - अंग्रेजों के जमाने में जमीनों के खसरा नंबर के अनुसार बनाए मिसल बंदोबस्त के बेशकीमती रिकॉर्ड की देखभाल और उससे नकल का काम एक 70 वर्षीय बुजुर्ग देख रहा है। मिसल बंदोबस्त का यह रिकॉर्ड बेशकीमती है। इसे स्ट्रांग रूम में रखा गया है। इसके बावजूद इस रिकॉर्ड की देखभाल 70 वर्षीय रिटायर्ड कर्मचारियों को सौंप दी गई है। कलेक्टोरेट, तहसीलदार और अन्य अधिकारियों की लापरवाही का इससे बड़ा उदाहरण दूसरा नहीं देखा जा सकता। मिसल बंदोबस्त के रिकॉर्ड का यह स्ट्रांग रूम जूनी इंदौर तहसील के अंतर्गत आता है। जूनी इंदौर तहसील के ही तहसीलदार और अन्य अधिकारियों की लापरवाही और मनमानी के चलते ही इस बेशकीमती रिकॉर्ड से नकल और साज-संभाल की जिम्मेदारी एक बुजुर्ग व्यक्ति को सौंपी गई है, जबकि इसकी देखभाल और साज संभल का काम किसी सरकारी जिम्मेदार व्यक्ति को सौंपा जाना चाहिए था। विद्वान अधिकारियों ने यह तक नहीं सोचा कि यदि इस रिकॉर्ड में कुछ गड़बड़ या हेर फेर कर दी गई तो इसका जिम्मेदार किसे माना जाएगा। जानकारी अनुसार कलेक्टर ऑफिस के ग्राउंड फ्लोर पर रिकॉर्ड रूम स्थित है। इसमें स्ट्रांग रूम में लगने वाला ग्रिल गेट लगाकर अंग्रेजों के जमाने में बनाया गया मिसल बंदोबस्त का रिकॉर्ड रखा गया है। चूंकि इस रिकॉर्ड नकल आवेदन लगाकर लोग प्राप्त करते हैं, जिसकी कॉपी 70 वर्षीय रुढ़िलाल नामक बुजुर्ग करके देता है। जिस महत्वपूर्ण मिसल बंदोबस्त की रिकॉर्ड की सुरक्षा के लिए इतनी मजबूत व्यवस्था की गई है उसकी कॉपी करने की जिम्मेदारी बुजुर्ग रुढ़िलाल को दी गई है। इससे बड़ा आश्चर्य और कुछ नहीं होगा कि यह रुढ़िलाल कोई सरकारी मुलाजिम नहीं है फिर भी सरकारी दफ्तर में सरकारी काम कर रहा है। सूत्र बताते हैं कि तहसीलदार और अन्य अधिकारियों से सेटिंग कर यह बुजुर्ग व्यक्ति नकल का काम कर रहा है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो सरकारी दफ्तर में रुढ़िलाल एवजी है, जिसे सरकार से किसी प्रकार की इस कार्य के लिए तनख्वाह नहीं दी जाती। बताया जाता है कि नकल आवेदकों से यह व्यक्ति जल्दी नकल देने के एवज में रुपए लेकर काम करता है। हालांकि सूत्र बताते हैं कि यह रुढ़िलाल पूर्व में चतुर्थ क्लास कर्मचारी रहा है, जो वर्षों पहले रिटायर्ड हो चुका है। इसी कारण तहसीलदार और अन्य अधिकारियों से इसकी अच्छी पकड़ है।

अतिमहत्वपूर्ण है मिसल बंदोबस्त का रिकॉर्ड 

अंग्रेजों के जमाने में सन 1925 में मिसल बंदोबस्त का रिकॉर्ड तैयार करवाया गया। यह रिकॉर्ड देश भर में आज भी मान्य है। अंग्रेजों ने पूरे देश में हर जिले के अनुसार यह रिकार्ड तैयार करवाया जिसमें हर जिले के खसरा नंबर के अनुसार जमीन की व्यवस्था बताई गई है। इसी मिसल बंदोबस्त के रिकॉर्ड को आज भी देशभर में माना जाता है। ऐसे महत्वपूर्ण रिकॉर्ड की देखभाल एक एवजी वह भी बुजुर्ग व्यक्ति को तहसील कार्यालय द्वारा सौंप दी गई है। यदि इस प्राइवेट बुजुर्ग व्यक्ति की देखरेख में जो रिकॉर्ड सौंपा गया है उसमें किसी प्रकार की कोई गड़बड़ हो जाए तो इसका जिम्मेदार किसे माना जाएगा। तहसील कार्यालय के अधिकारियों को या इस बुजुर्ग व्यक्ति को।

कुछ समय पहले चला गया था कनाड़िया तहसील कार्यालय 

बताया जा रहा है कि कुछ समय पूर्व भी रिकॉर्ड रूप का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक महिला क्लर्क रेखा पाटिल नकल आवेदक से रिश्वत लेते स्पष्ट दिखाई दी, इसके बाद क्लर्क पाटिल को तो सेवा से हटा दिया गया। हालांकि इसी के भय के चलते उसे समय भी नकल का काम करने वाले एवजी रुढ़िलाल कनाड़िया तहसील कार्यालय भेज दिया गया। कुछ समय बीतने के बाद रुढ़िलाल वापस जूनी इंदौर तहसील के अधीन रिकॉर्ड रूम में नकल का काम करने लगा, जो अब भी जारी है। 

एसडीएम ने नहीं रिसीव किया मोबाइल 

मामले में जब जूनी इंदौर एसडीएम घनश्याम धनगर से संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने मोबाइल फोन रिसीव नहीं किया। 

हमारे अधीन नहीं आता रिकॉर्ड रूम... रिकॉर्ड रूम हमारे अधीन नहीं है। 



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