हाल ही में एक बुजुर्ग पर किया हमला, कई शिकायतें |
इंदौर - पश्चिम क्षेत्र का द्रविड़ नगर और आसपास की कई कॉलोनियां लंबे समय से कुत्तों के आतंक से पीड़ित है। यहां के रहवासी कई बार नगर निगम में शिकायत कर चुके हैं, लेकिन इन शिकायतों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ताज्जुब की बात यह है कि द्रविड़ नगर में ही नगर निगम का झोनल कार्यालय भी है, इसके बाद भी कुत्तों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। रहवासियों ने बताया कि कुछ दिन पहले ही यहां एक बुजुर्ग पर कुत्तों ने हमला बोल दिया था जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गए। करीब एक दर्जन से अधिक कुत्ते यहां घूमते रहते हैं, जो बच्चों के पीछे लपकते हैं। बच्चे हो या बड़े यहां सभी इन कुत्तों के आतंक से असुरक्षित हैं। जानकारी अनुसार पश्चिम क्षेत्र में द्रविड़ नगर सबसे पुरानी कॉलोनी है। कुछ वर्षों पूर्व यहां नगर निगम का झोनल कार्यालय (झोन 15) भी स्थापित कर दिया गया। इसके बाद भी यहां आवारा कुत्तों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जा रही है। रहवासियों ने बताया कि कॉलोनी के चौराहे पर ही एक दर्जन के करीब आवारा कुत्ते देखे जा सकते हैं। इनमें कुछ कुत्ते आक्रामक किस्म वाले हैं। हाल ही में इन्हीं कुत्तों ने एक बुजुर्ग पर हमला कर दिया था जिसने यह बुरी तरह जख्मी हो चुके थे। लोगों ने उन्हें उपचार के लिए अस्पताल भेजा। सुबह हो या शाम या दिन का कोई भी समय हो यह आवारा कुत्ते बच्चों पर भी लपका उठाते हैं। कई बार बच्चे उनके डर से भागते हुए गिर गए हैं और उन्हें चोट आई है।
करोड़ों लोकधन खर्च, लेकिन आवारा कुत्तों पर नहीं काबू
ऐसा नहीं है कि सिर्फ आवारा कुत्तों का आतंक द्रविड़ नगर और आसपास की कॉलोनी में ही हो, पूरे शहर में ही आवारा कुत्तों के कारण लोग परेशान है। निगम अधिकारी ही बताते हैं कि कुत्तों को कंट्रोल करने के लिए हाल के वर्षों में करीब 10 करोड़ से अधिक लोकधन खर्च किया जा चुका है, लेकिन कुत्तों की संख्या घटने की वजह प्रतिदिन बढ़ रही है। जो 10 करोड़ रुपए लोकधन तो की संख्या कंट्रोल करने के लिए खर्च किया गया है वह कुत्तों की नसबंदी करने के लिए एनजीओ को भुगतान किया गया है। हालांकि एनजीओ द्वारा कितनी ईमानदारी से कुत्तों की नसबंदी की जा रही है यह शहर में बढ़ते हुए कुत्तों की संख्या देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है।