हरिबोल स्व सहायता समूह की प्रेरक सफलता: वनौषधि प्रसंस्करण से आत्मनिर्भर बनीं महिलाएं, आयुष विभाग से मिला 2 करोड़ का ऑर्डर Inspiring success of Haribol self-help group: Women became self-reliant through herbal medicine processing, received order of Rs 2 crore from AYUSH department

हरिबोल स्व सहायता समूह की प्रेरक सफलता: वनौषधि प्रसंस्करण से आत्मनिर्भर बनीं महिलाएं, आयुष विभाग से मिला 2 करोड़ का ऑर्डर Inspiring success of Haribol self-help group: Women became self-reliant through herbal medicine processing, received order of Rs 2 crore from AYUSH department


 गौरेला पेंड्रा मरवाही– मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल पर छत्तीसगढ़ में वनौषधि प्रसंस्करण के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी क्रम में कटघोरा वनमंडल स्थित हरिबोल स्व सहायता समूह, डोंगानाला की 12 महिलाओं द्वारा संचालित वनौषधि प्रसंस्करण केंद्र ने एक प्रेरक सफलता प्राप्त की है। यह समूह आज न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हो चुका है, बल्कि समाज में आत्मनिर्भरता की एक मिसाल बनकर उभरा है।

शुरुआती संघर्ष और सफलता की कहानी
वर्ष 2006-07 में यूरोपियन कमीशन परियोजना के अंतर्गत शुरू हुए इस वनौषधि प्रसंस्करण केंद्र ने महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किए। शुरुआत में ग्रामीण महिलाएं मजदूरी कर अपनी आजीविका चला रही थीं, लेकिन वनौषधियों के प्रसंस्करण ने उनके जीवन में बड़ा बदलाव लाया। समूह ने हिंगवाष्टक चूर्ण, अश्वगंधा चूर्ण, त्रिफला चूर्ण और कई आयुर्वेदिक उत्पादों का निर्माण शुरू किया। हाल ही में आयुष विभाग से 2 करोड़ रुपये का ऑर्डर प्राप्त कर समूह ने अपनी गुणवत्ता और विश्वसनीयता को और भी मजबूत किया है।




अर्थिक सफलता और सामुदायिक विकास
समूह द्वारा प्रतिवर्ष लगभग 44 लाख रुपये की वनौषधियों का विक्रय किया जा रहा है। वर्ष 2023-24 में 6,57,254 रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित हुआ, जिससे प्रत्येक सदस्य की वार्षिक आय लगभग पौने दो लाख रुपये तक पहुँच गई। इससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। इस आर्थिक सफलता ने समूह को स्थिर और दीर्घकालिक विकास की दिशा में अग्रसर कर दिया है।




समाज में बढ़ता आत्मसम्मान और पहचान
हरिबोल स्व सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती सरोज पटेल ने कहा कि राज्य वन विभाग के सहयोग से उनका जीवन स्तर सुधर गया है। अब महिलाएं आत्मनिर्भर हैं और अपने परिवारों को बेहतर जीवन प्रदान कर रही हैं। इस परियोजना की सफलता को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। समूह को सिंगापुर में प्रतिष्ठित ग्रिट पुरस्कार और भारत सरकार के ट्राइफेड द्वारा बेस्ट फॉरेस्ट प्रोड्यूस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

डोंगानाला का यह वनौषधि प्रसंस्करण केंद्र न केवल हरिबोल स्व सहायता समूह की महिलाओं के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है।

Post a Comment

Previous Post Next Post