बसंत पंचमी पर्व निर्मल निकेतन समेत जिले के तमाम मिशनरी स्कूलों में नहीं मनाया गया mishaniri school me nahi manaya basant panchami parw |
*शिक्षामंत्री ने स्कूलों में मातृ पूजन दिवस मनाने को कहा तो मिशनरी स्कूलों ने कर दी छुट्टी*
*मिशनरी स्कूलों की मनमानी से छात्र व अभिभावक नाराज*
(दंतेवाड़ा से चंद्रकांत सिंह क्षत्रिय की रिपोर्ट):- बच्चों को संस्कारों की शिक्षा देने के लिए प्रदेश सरकार की अनुठी पहल से जहां प्रदेश भर के स्कूलों में 14 फरवरी को बसंत पंचमी के अवसर र मातृ पूजन दिवस धुमधाम एवं उत्साह के साथ मनाया गया वहीं जिले में संचालित मिशनरी स्कूल निर्मल निकेतन हाईस्कूल कारली एवं दंतेवाड़ा में स्थित छोटे बच्चों के नर्सरी स्कूलों में छुट्टी कर दी गई। ऐसा कर मिशनरी स्कूल संचालकों ने न केवल सरकारी आदेश की अवहेलना की है बल्कि उन सैकड़ों अभिभावकों का भी दिल दुखाया है जिनके बच्चे मोटी फीस देकर स्कूलों में अच्छे संस्कार आने एवं शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं।
बसंत पंचमी के अवसर पर ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूजा के साथ साथ इस दिन स्कूलों में बच्चे अपने माता पिता की पूजा के साथ साथ गुरूजनों की भी पूजा वंदना करते हैं। छ0ग0 सरकार के शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने 14 फरवरी को स्पेशल आदेश निकालकर कहा था कि प्रदेश के तमाम सरकारी व गैर सरकारी विद्यालयों में बसंत पंचमी के अवसर को मातृ पितृ दिवस के रूप में मनाया जाएगा वहीं दंतेवाड़ा की नामी मिशनरी स्कूल निर्मल निकेतन हाईस्कूल कारली व उन्हीं की दंतेवाड़ा में संचालित नसर्री स्कूल ने शिक्षा मंत्री के आदेशों को धता बताते बसंत पंचमी त्यौहार से परहेज करते हुए स्कूल ने 14 फरवरी को बच्चों की छुटटी कर दी जिसके चलते बच्चे स्कूल में न तो मां सरस्वती देवी की पूजा ही कर पाए और न ही अभिभावकों व गुरूजनों की पुजा वंदना कर सके और यह भी ज्ञात हुआ है कि न केवल दंतेवाड़ा बल्कि पूरे प्रदेशों के मिशनरी स्कूलों में बसंत पंचमी का पर्व नहीं मनाया गया और सभी स्कूलों में छुटटी कर दी गई थी। आपको बताते चलें कि कारली स्थित निर्मल निकेतन हाईस्कूल में सैकड़ों की संख्या में हिन्दु बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं इन्हीं बच्चों की फीस से स्कूल चल रहे हैं। इन स्कूलों में किताबी ज्ञान तो दिया जा रहा है मगर जब हिन्दू संस्कारों एवं तीज त्यौहारों की बात आती है तो स्कूल प्रबंधन इससे अपनाने को अलग कर लेता है और बहाना इत्यादि बनाकर स्कूलों की छुटटी कर देता है। क्या इसे ही शिक्षा का मंदिर कहते हैं? जिन स्कूलों में संस्कार नहीं वह कैसा शिक्षा का मंदिर हो सकता है? बात जब गुड फ्राईड डे, ईस्टर व इनके धर्मो से जुड़े त्यौहारों का समय होता है तो स्कूलों में कोई छुटटी नहीं दी जाती बल्कि बच्चों को बढ़ चढ़कर कार्यक्रमों के लिए तैयार किया जाता है। बात जब हिन्दु त्यौहारों की आती है तो स्कूल प्रबंधन भौंहे सिकोडने लगता है बहाना बनाकर या तो स्कूलों की छुटटी कर देता है या फिर स्कूलों में उन त्यौहारों को मनाया ही नहीं जाता जो हिन्दु संस्कारों व तीज त्यौहारों से तालुक रखता हो। स्कूल प्रबंधन का यह कृत्य बच्चों के साथ भेदभाव नहीं तो और क्या है? बहरहाल दंतेवाड़ा में संचालित दोनों मिशनरी स्कूलों में बसंत पंचमी और मातृ पितृ दिवस नहीं मनाये जाने एवं त्यौहार मनाने के डर से स्कूलों की छुटटी कर देने का मामला सामने आया है जिसके बाद से कई अभिभावक स्कूल के ऐसे रवैये से खासे नाराज हैं और इसकी शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी एवं कलेक्टर तक से करने पर विचार कर रहे हैं । अब देखना होगा कि इस मामले में स्कूल प्रबंधन और प्रशासन आगे क्या कारवाई करती है और स्कूल प्रबन्धन इस पर अपनी क्या सफाई देती है।
वर्जन -(१)
14 फरवरी के दिन बड़े बच्चे वैलेंटाइन डे मनाने के लिए एक दूसरे को हमारे गार्डन से गुलाब (रोज) दे रहे थे हमारे गार्डन का गुलाब (रोज) नुकसान हो रहा था शासन से हमारे पास किसी प्रकार का कोई आदेश नहीं था ना ही मातृ पितृ दिवस मनाने का ही नहीं सरस्वती पूजा करने का इसलिए हम लोगों ने छुट्टी कर दी
प्राचार्य अशोक कुमार इक्का निर्मल निकेतन स्कूल कारली
(२)
-14 फरवरी को मिशनरी स्कूलों में अवकाश दिये जाने एवं मातृ पितृ दिवस नहीं मनाये जाने की जानकारी मिली है। इस मामले में संबंधित स्कूलों को नोटिस दिया जाएगा और अवकाश का कारण पुछा जाएगा। आकरण स्कूलों की छुटटी व सरकारी आदेश की पलना नहीं करने का मामला अगर जांच में सामने निकलकर आता है तो निश्चित रूप से स्कूल प्रबंधन पर विधि संवत् कारवाई की जाएगी।
(राजकुमार कटौते)
जिला शिक्षा अधिकारी दंतेवाड़ा*
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