कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग बाणसागर का दोहरा खेल कम्‍प्‍यूटर ऑपरेटर की निविदा प्रक्रिया nivida prakriya Aaj Tak 24 news


कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग बाणसागर का दोहरा खेल कम्‍प्‍यूटर ऑपरेटर की निविदा प्रक्रिया nivida prakriya Aaj Tak 24 news

शहडोल - कार्यपालन यंत्री बाणसागर बांध देवलोंद में किराये पर डेस्कटाप, बहुउद्देशीय प्रिन्टर,अन्य आवश्यक उपकरणों के साथ कम्प्यूटर ऑपरेटर की सेवाएं लेने हेतु निविदा 18 मई 2023 को जारी की गई थी। जिसमें कार्यपालन यंत्री, पक्‍का बांध संभाग क्रमांक 03 देवलोंद द्वारा जल संसाधन विभाग के जारी नियम की अनदेखा करते हुये निविदा की कार्यवाही से शासन को राजस्‍व का चूना लगाया गया। एग्जीक्यूटिव इंजीनियर बाणसागर निविदा का खेल ऐसा खेल रहे हैं की हर स्थिति में जीत उनकी हो।इस निविदा को दो बार संशोधित किया गया फिर अंत में आवेदन प्राप्‍त होने के उपरांत 25/06/2023 को निरस्‍त कर दिया गया। क्योंकि साहब की इच्छा शासन के नियमों के अनुसार निविदा प्रक्रिया करने के बजाए अपने मोहरों को अपने अनुसार सेट करने में ज्यादा लग रहा है। मध्‍यप्रदेश शासन जल संसाधन विभाग मंत्रालय भोपाल का आदेश क्रमांक एफ 22-31 /14/31/ इकतीस  भोपाल 02/04/2014 में कम्प्यूटर ऑपरेटर की सेवाएं लेने हेतु ऑनलाईन निविदा प्रस्‍ताव में कार्य अनुभव हेतु निजी/शासकीय / अर्द्ध शासकीय उपक्रम / मण्डल में दो वर्ष का सूचना प्रौद्योगिकी सहायक /कम्प्यूटर ऑपरेटर/डाटा एन्ट्री ऑपरेटर का कार्य अनुभव साथ ही हिंदी एवं अंग्रेजी टायपिंग का ज्ञान चाहा गया था। लेकिन कार्यपालन यंत्री ने जानबूझकर निविदा तोड़ मरोड़कर निकाली जिसे अन्य निविदाकारो के आपत्ति के बाद आखिरकार निरस्‍त कर दिया गया। कार्यपालन यंत्री पक्‍का बांध संभाग क्रमांक 03 देवलोंद के पत्र क्रमांक 1683 दिनांक 18/05/2023 में उक्‍त नियमों को ध्‍यान में न रखते हुये ऑनलाईन निविदा प्रस्‍ताव में कार्य अनुभव हेतु केवल जल संसाधन विभाग में 07 (सात) वर्ष एव विभाग में (EIMS, CM Help Line, Online Works) में 07 वर्ष का कम्प्यूटर आपरेटर/डाटा इण्ट्री आपरेटर का कार्य अनुभव प्रमाण-पत्र एवं हिन्दी अंग्रेजी टायपिंग का अनुभव का उल्‍लेख किया गया है।नियमों को तोड़ मरोड़कर उल्‍लेख करने का उद्देश्‍य किसी व्‍यक्तिगत को लाभ पहुंचाना हो सकता है।  इस जारी निविदा के संबंध में अन्‍य अभ्‍यर्थियों द्वारा आपत्ति प्रस्‍तुत की गई जिस कारण लाभ न पहुंचा पाने के कारण निविदा को निरस्‍त कर दिया गया ऐसा प्रतीत होता है। गंगा कछार जल संसाधन विभाग रीवा द्वारा पत्र के माध्यम से कार्यपालन यंत्रीयों को निर्देशित किया गया था कि अपने-अपने कार्यालयों में कम्प्यूटर ऑपरेटर की सेवाएं लेने हेतु पूर्व से अनुबं‍ध को न बढ़ाते हुये नवीन निविदा जारी कर नये अनुबंध किये जायें।यह पत्र सभी अधीक्षण यंत्री एवं कार्यपालन यंत्री को जारी किये गये थे। जिसमें स्‍पष्‍ट उल्‍लेख किया गया था कि जिन कम्‍प्‍यूटर ऑपरेटर की सेवायें 03 वर्ष पूर्ण हो चुकी हैं उनकी सेवा वृद्धि स्‍वीकृत न करते हुये नवीन निविदा की कार्यवाही सुनिश्चित करें। गंगा कछार जल संसाधन विभाग रीवा के पत्र को प्राथमिकता न देते हुये कार्यपालन यंत्री पक्‍का बांध संभाग क्रमांक 03 देवलोंद द्वारा आदेश क्रमांक 2310  दिनांक 10/07/2023 द्वारा पूर्व से अनुबंधित कम्‍प्‍यूटर ऑपरेटर श्रीमती प्रतिभा श्रीवास्‍तव की सेवायें बढ़ा दी गई जो कि सीधे अपने उच्‍च अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना है।इसके अलावा जल ससाधन विभाग भोपाल द्वारा जारी नियमों को अनदेखा करते हुये निकाली गई निविदा भी उच्‍च अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना है।जिससे यह प्रतीत होता है कि कार्यपालन यंत्री,अपने उच्‍च अधिकारियों के आदेशो को नही मानते हुये मनमानी आदेश प्रसारित करते हैं।यह कदाचरण की श्रेणी में आता है और सिविल सेवा आचरण नियम 1965 का उल्‍लंघन भी है। श्रीमती प्रतिभा श्रीवास्‍तव के पति वीरेन्‍द्र श्रीवास्‍तव भी कार्यपालन यंत्री पक्‍का बांध देवलोंद में पदस्‍थ हैं और प्रतिभा श्रीवास्‍तव के नाम से सिंचाई विभाग की दुकान क्रमांक 02 भी आबंटित है जिसमें वे अपने अंजली प्रिंटर्स फर्म का संचालन भी करती हैं और अपने पति के साथ कार्यालय में भी कार्य करती हैं,क्‍या ये दोनो संभव हैं ? अधिकारी अपने आंख पर पट्टी बांधे हुये उक्‍त फर्म के नाम पर लाखों रूपये के बिल भी काटकर बंदरबाट कर रहे हैं। उसी कार्यालय में पति भी कार्यरत और पत्‍नी के नाम से टेंडर पर कार्य साथ ही दुकान के नाम भी बिल निकालना ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारी को अपने पदीय दायित्‍व का ज्ञान ही नही है ऐसा करना सिविल सेवा आचरण नियम 1965 का उल्‍लंघन है।जो निंदनीय है और व्‍यक्तिगत लाभ के लिए निविदा को तोड़ मरोड़कर निकालना एवं उच्‍च अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करने के बावजूद भी कार्यपालन यंत्री पर किसी प्रकार की कार्यवाही न होना उच्‍च अधिकारियों की इस गोलमाल में मौन सहमति प्रतीत होती है।



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