मृदुमति माता जी ने छात्र-छात्राओं को दी नैतिक शिक्षा rajya ki khabar


मृदुमति माता जी ने छात्र-छात्राओं को दी नैतिक शिक्षा rajya ki khabar 

दमोह -  भारत की हिंदी भाषा, भावों को व्यक्त करने में पूर्ण सक्षम है। हिंदी भारतीय भाषा है। हिन्दी को हमेशा अपनाना है। विद्यार्थी बाल ब्रह्मचारी होते हैं। जब तक विवाह न हो इस ब्रह्मचर्य आश्रम को सफल बनाए रखें। बड़े होने पर अपने माता - पिता की अनुमति से विवाह करें। शीलवान नारियों ने ही महापुरुषों को जन्म दिया है। दिन में भोजन करने की आदत अच्छी होती है। रात्री में खाया गया भोजन सही तरीके से नहीं पचता और विकार उत्पन्न करता है। अभक्ष पदार्थ न खाएं। तामसिक भोजन न करें। शुद्ध शाकाहारी भोजन करें। जैंसा खाएं अन्न वैंसा होवे मन, जैसा पिएं पानी वैंसी होवे वाणी। मद्य-मांस-मधु का त्याग व व्यसनों का त्याग जीवन को उन्नत बनाता है। गुरु मात्र ज्ञानी ही नहीं संयमी भी होना चाहिए। जो जैसा करेगा वैसा फल भोगेगा। मोबाईल फोन का उपयोग आवश्यकता से अधिक न करें। संत शिरोमणी जैनाचार्य परम पूज्य 108 विद्या सागर जी महाराज की परम संन्यासिनी विदुषी शिष्या पूज्य आर्यिका रत्नश्री मृदुमति माता जी  ने अपने उदगार मॉडल स्कूल में सार्वजनिक रुप से व्यक्त किए। छात्र - छात्राओं ने माता जी की त्याग-तपस्या व संयम - चारित्र से प्रभावित होकर गुटका, पाउच, मादक पदार्थ आदि कभी भी नहीं खाने का संकल्प अपना हाथ उठाकर स्वेच्छा से लिया। प्रारंभ में छात्राओं ने सुमधुर स्वर में संगीतमय सरस्वती प्रार्थना से मंगलाचरण किया। प्राचार्य श्री आर. पी. कुर्मी सर ने अभिनंदन भाषण दिया। समस्त स्टॉफ व छात्र - छात्राओं ने साथ ही उपस्थित गण मान्य महिला - पुरुषों ने श्रीफल अर्पित कर आर्यिका द्वय पूज्य मृदुमति जी व पूज्य निर्णयमति जी का आशीर्वाद प्राप्त किया। कार्यक्रम का सफल संचालन रामशंकर चौराहा ने किया। प्रशांत सर व समस्त स्टॉफ ने व्यवस्थाओं को सुदृण बनाया। संदीप जैन सर की ओर से  विद्यार्थियों को माता जी द्वारा पूंछे गए प्रश्न के उत्तरों पर उपहार भेंट किए गए। प्रवचन श्रृंखला विद्या मृदु प्रवाह ग्रंथ प्रकाशन समिति द्वारा आयोजित की जा रही है। जैन मिलन की सभी शाखाएं व भारतीय जैन संघठन साथ ही समस्त अहिंसा प्रेमियों का सहयोग प्राप्त हो रहा है।

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