बलवारी हनुमान मंदिर प्रतिमा पांडव कालीन काल की होकर हजारों वर्ष से यहां विराजित है | Balwari hanuman mandir pratima pandav kalin kaal ki hokar hazaro varsh se yaha virajit hai

बलवारी हनुमान मंदिर प्रतिमा पांडव कालीन काल की होकर हजारों वर्ष से यहां विराजित है

बलवारी हनुमान मंदिर प्रतिमा पांडव कालीन काल की होकर हजारों वर्ष से यहां विराजित है

धरमपुरी (गौतम केवट) - धार जिले की तहसील गंधवानी के बलवारी हनुमान मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य व घुमावदार ऊंची-नीची पहाड़ियों के बीच घने जंगलों के बीच ग्राम बलवारी हनुमान मंदिर यहां स्थापित है। ग्रामीणों की माने तो यह प्रतिमा पांडव कालीन काल की होकर हजारों वर्ष यहां विराजित है।

यह बलवारी में भगवान हनुमान की विशाल खड़ी प्रतिमा भक्तों को एक दिन में तीन अवतार के दर्शन कराती है। प्रातःकाल में बाल्यावस्था, दोपहर में युवावस्था तथा संध्या को शालीन रूप से वृद्धावस्था के दर्शन होते हैं। यह प्रतिमा आज भी बिना किसी सहारे के खड़ी है। इसे पांडव कालीन बताया जाता है। साथ ही मान्यता है कि यह स्वयं भू प्रकट हुई थी । हनुमान जयंती पर हजारों गुरुभक्त पहुंचकर पूजा अर्चना की । बलवारी भगवान हनुमान मंदिर पूर्व में ग्वालियर स्टेट में आता था। 

मंदिर के पुजारी निरंजनदास महंत ने कहा कि हमारी 32 पीढ़ियां मंदिर की सेवा में करीब सन 1126 से यहां आकर बसे थे तब से सेवा पूजा का कार्य कर रहे हैं। यह कार्य पीढ़ी दर पीढ़ी चलता आ रहा है। भगवान हनुमान बाबा की विशाल प्रतिमा के बाएं पैर के नीचे अहिरावण की आराध्य देवी को पैर के नीचे चरणों में विराजी है। प्रतिमा के दर्शन करने आए मिलेश रावला इंदौर ने बताया कि जीवन इस प्रतिमा के दर्शन कर मान लेने पर काम हुआ है यह किसी चमत्कार से काम नहीं है।

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