गांधी जयंती पर बच्चों को किया गया भोजनदान
बच्चांे की सेवा ही भगवान की पूजा-राजेश पाठक
बालाघाट (देवेंद्र खरे) - बालाघाट राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और देश के पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की जयंती भारत दिव्यांग विद्यालय में समाजसेवी राजेश पाठक के आतिथ्य में मनाई गई। जहां अतिथि समाजसेवी राजेश पाठक, दिव्यांग विद्यालय संचालक भारत मेश्राम, रूपनारायण उपाध्याय, श्रीमती आरती उपाध्याय, महिमा उपाध्याय, आशीष उपाध्याय, अनिल गुरनानी एवं श्रीमती करूण मेश्राम की उपस्थिति में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और देश के पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया गया। इस अवसर पर दिव्यांग विद्यालय के दिव्यांग बच्चों को भोजनदान किया गया।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और देश के पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की जयंती भारत दिव्यांग विद्यालय में आयोजित भोजनदान कार्यक्रम में समाजसेवी राजेश पाठक ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी न केवल देश के बल्कि विश्व की धरोहर है। जिन्होंने सत्य और अहिंसा का संदेश देश को दिया। हम सभी उनके बताये गये मार्ग पर चलकर सत्यनिष्ठा से उनके विचारों पर चलने का संकल्प ले। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अंतिम छोर के व्यक्ति के कल्याण के साथ ही सबको बराबर मानने की बात कही थी। पं. दिनदयाल उपाध्याय ने भी अंतिम छोर के व्यक्ति की आवश्यकताओं की पूर्ति को ही वास्तविक कल्याण बताया है। हमें ऐसे महापुरूषो के विचारों को आत्मसात कर अंतिम छोर के व्यक्ति की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रयास करते रहना चाहिये, ताकि वह भी समाज में बराबरी से सम्मानपूर्वक जीवनयापन कर सके। उन्होंने कहा कि बच्चे ही देश का भविष्य है, नर सेवा ही नारायण सेवा और बच्चों की सेवा ही भगवान की पूजा है। आज के इस पुणित दिवस पर उपाध्याय परिवार जिस तरह से दिव्यांग बच्चों को भोजनदान कर रहा है, वह हमारे और समाज के लिए प्रेरणादायी है, और भी लोग दिव्यांग बच्चों को भोजनदान का भाव रखकर उन्हंे भोजन कराते है तो निश्चित ही वह ईश्वर की पूजा कर रहे है।
इस अवसर पर भोजनदान कर रहे रूपनारायण उपाध्याय ने दिव्यांग विद्यालय को आश्वस्त किया कि जब भी उनकी किसी भी प्रकार की आवश्यकता विद्यालय के दिव्यांग बच्चों को होगी, वह हरसंभव तैयार रहेंगें। इस दौरान सभी बच्चों को समाजसेवी राजेश पाठक और उपाध्याय एवं विद्यालय परिवार की ओर से भोजनदान किया गया। जिसे पाकर बच्चों के चेहरे में खुशी देखी गई।
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