ये आगम शासन की अनमोल नीधि है जिज्ञासु व धर्मात्माओं के लिए अनमोल औषधी है - साध्वी जयश्री जी
जावरा (यूसुफ अली बोहरा) - आगम अध्यात्म की साधना करने वालों के लिए सुन्दर राजमार्ग है यह उद्बोधन दिवाकर भवन में विराजीत ओजस्वी वक्ता दिवाकर ज्योती . पु. श्री जय श्री मा.सा. ने व्यक्त किये उन्होंने कहा पोलास नगरी के राजकुमार एवन्त कुमार प्रभु एक प्रवचन से ही वैराग्य के रंग से रंग गये | 8 वर्ष की उम्र में वे जीवन के वास्तवीक स्वरूप को समझ गये। जीवन के वास्तवीक अर्थ को जान गए।
और 8 वर्ष की नन्नी उम्र में प्रभु के श्री चरणों स्वयं को समर्पित कर दिया उन्होंने कहा पर्व को मनाने का सही अर्थ यही है कि हम अपने जीवन को परिवर्तित करे!
साहवी राज श्री ने क्रोध के परिणाम बताते हुए कहाँ शांति में धैर्य की शक्ति समाई है शांति में ही आत्मविश्वास का सम्बल है शांति में ही परमात्मा का साम्राज्य है व्यक्ति के दिन की शुरुआत शांति से हो तो दिन का समापन भी शांति के साथ होना चाहिएसमीक्षा श्री जी ने अंत गुणसूत्र का वाचन कियाबहु मंडल महिला मंडल श्रावक मंडल। ने मिलकर जम्मू कुमार की नाटक की सुंदर प्रस्तुति दी।प्रभु सुर्धमा स्वामी के प्रवचन सुनने के बाद युवा जम्बु कुमार को वैराग्य हो गया व माता पिता का मन रखने के लिये आठ कन्याओं से इसी शर्तें पर शादी की वे शादी के तुरन्त बाद दीक्षा लेगे और उन्होंने दीक्षा ली।नाटक के मुख्य पात्र जम्बु कुमार के माता पिता अभिनय वरिष्ठ श्रावक सुजानमल कोचट्टा व श्राविका श्रीमती सविता कोचट्टा ने व युवा जम्बु का अभिनय सचिन कोचट्टा ने किया।कन्याओं के माता पिता का अभिनय पराग कोचट्टा व श्रीमती ललीता नादेचा ने किया ।आठ पत्नियों का रोल सुनिता श्रीमाल,दीपिका टुकडीया,ज्योति कोचट्टा,प्रियंका जैन,सरिता मेहता,सुनिता मेहता ,पुजा ओस्तवाल निम्मी कोचट्टा व प्रथम ने सेवक का अभिनय किया। बडी संख्या मे उपस्थित धर्मप्रेमियों ने सभी के अभिनय की सराहना। इस अवसर पर बडी संख्या मे उपस्थित 5 8 10 16 18 तक के तपस्वियों के तप की अनुमोदना करते हुए प्रभावना के लाभार्थियों का बहुमान किया।कार्यक्रम का संचालन माहमंत्री कनक चोरडिया ने किया व आभार कोषाध्यक्ष महावीर छाजेड ने माना साध्वी जयश्री जी की महामांगलिक के साथ धर्मसभा समाप्त हुई।