नवदिवसीय नवकार महामंत्र की आराधना प्रारम्भ | Navdivasiy navkar mahamantr ki aradhna prarambh

नवदिवसीय नवकार महामंत्र की आराधना प्रारम्भ

नवकार महामंत्र में दो देवतत्व, तीन गुरुतत्व और चार धर्मतत्व समाहित है: मुनि पीयूषचन्द्रविजय

नवदिवसीय नवकार महामंत्र की आराधना प्रारम्भ

राजगढ़/धार (संतोष जैन) - जिनशासन में आज के दिन का बड़ा महत्व है । आज से नवदिवसीय नवकार महामंत्र की आराधना पूरे भारत में शुरु हुई है । नवकार के नव पदों का एक-एक दिन हम सुमिरन करेगें । नवकार चार शब्दों से मिलकर बना है । यह महामंत्र विश्व का सबसे शक्तिशाली प्रमुख मंत्र है । सभी धर्मो के अपने-अपने मंत्र, ग्रंथ, तीर्थ होते है पर यह मंत्र अपने आप में सिद्धिदायक महामंत्र माना गया है । सिर्फ नवकार को ही महामंत्र की उपाधि दी गयी है । क्योंकि इसमें 14 पूर्वो का सार समाहित है । आचार्य श्री भद्रबाहुस्वामी कहते है कि 14 पूर्व का सार लिख पाना असम्भव है । हमारे सभी काम निर्विघ्न सम्पन्न हो इस लिये हम सबसे पहले नवकार महामंत्र का स्मरण करते है । यही हमे सफलता प्रदान करता है । इस मंत्र में 68 अक्षर है जिन्हें 68 तीर्थो की उपमा दी गयी है । नवकार महामंत्र में देव, गुरु और धर्म तीनों तत्व समाहित है । दो देवतत्व, तीन गुरुतत्व और चार धर्मतत्व इस मंत्र में समाहित है । नवकार के नवपदों में अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चारित्र और सम्यक तप यह नवपद समाहित है । इन नव पदों में सारा संसार आ चूका है । उक्त बात गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा. ने राजेन्द्र भवन में कही । आपने बतलाया कि नवकार की तल्लीनता, एकाग्रता साधक का जीवन संवार देती है । मन को संसार से हटाना और धर्म के मार्ग पर जोड़ना बहुत ही दुर्लभ कार्य है । महामंत्र में नमो शब्द का उल्लेख पांच बार आया है । नवकार का प्रथम नमो शब्द हमें झुकना सिखाता है । नमो शब्द को यदि उल्टा किया जाये तो मौन शब्द बन जाता है । भगवान महावीर साढे बारह वर्षो तक मौन रहे । यदि नम्र ना बन सके तो मौन धारण कर लो । हमेशा पाप से डरना चाहिये । मौन पूर्वक भोजन करना चाहिये । मौन पूर्वक भोजन करने से ज्ञानावरणीय कर्मो का नाश होता है । चिन्ता व्यक्ति को चिता तक ले जाती है और चिन्तन चिदानन्द तक पहुंचाता है । आशा इंसान को आस्तिक और निराशा नास्तिक बना देती है ।

नवदिवसीय नवकार महामंत्र की आराधना प्रारम्भ

आज शनिवार को राजेन्द्र भवन में नवकार आराधना हेतु प्रभु प्रतिमा विराजित करने का, प्रभु को वधाने का, नवकार महामंत्र पट की स्थापना करने का लाभ श्री सचिनकुमार कांतिलालजी सराफ परिवार ने लिया व दादा गुरुदेव के चित्र की स्थापना व अखण्ड दीपक की स्थापना श्री नाथुलाल शेतानमलजी बाफना परिवार की और से की गयी । नवकार महामंत्र के प्रथम दिन एकासने का लाभ श्री शेलेन्द्रकुमारजी सराफ परिवार की और से लिया गया । राजगढ़ श्रीसंघ में मुनिश्री की प्रेरणा से नियमित प्रवचन वाणी का श्रवण कर श्रीमती पिंकी सुमितजी गादिया राजगढ़ ने अपनी आत्मा के कल्याण की भावना से महामृत्युंजय तप प्रारम्भ किया था, आज उनका 23 वां उपवास है ।

नवदिवसीय नवकार महामंत्र की आराधना प्रारम्भ

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