जीवन में संवाद होना चाहिये विवाद नहीं: मुनि पीयूषचन्द्रविजय | Jivan main sanvad hona chahiye vivad nhi

जीवन में संवाद होना चाहिये विवाद नहीं: मुनि पीयूषचन्द्रविजय

जीवन में संवाद होना चाहिये विवाद नहीं: मुनि पीयूषचन्द्रविजय

राजगढ़/धार (संतोष जैन) - हम त्रिलोकीनाथ प्रभु श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु के इतिहास को समझ रहे है । 71 इंच की यह प्रतिमा तीनों ही लोकों में पूजित है । जीवन में हमेशा इंसान को समभाव में रहना चाहिये । यह संस्कार बच्चों को गुरुकुल में ही मिलना सम्भव होता है । गुरु विश्वामित्र के गुरुकुल में श्री रामचन्द्रजी के साथ उनके तीनों भाईयों ने शिक्षा ओर संस्कार प्राप्त कर मर्यादा का पाठ सीखा । तभी से श्रीरामचन्द्रजी मर्यादा पुरुषोतम कहलाये । राम ने कभी भी अपनी मर्यादाओं का उल्लघन नहीं किया । रामायण हमें विनय, प्रेम, वात्सल्य, आदर, करुणा सिखाती है । व्यक्ति को समय के रहते अपनी जवाबदारी पूर्ण करके अपने पुत्रों को जिम्मेदारी सोपकर सेवा निवृत हो जाना चाहिये । उक्त बात गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा. ने ंराजेन्द्र भवन में कही । आपने बतलाया कि हर व्यक्ति सुविधाओं को प्राप्त करना चाहता है दुविधाओं में कोई भी रहना पसन्द नहीं करता है । मुंह से दिये गये जहर से एक व्यक्ति की मोत हो जाती है मगर कानों से दिये गये जहर से पुरे परिवार बर्बाद हो जाते है । जिस प्रकार मंथरा ने कैकेयी के कानों में अपने पुत्र मोह का जहर भरकर श्रीराम को वनवास ओर भरत को राज सिंहासन दिलवाने का हठ राजा दशरथ से करवा दिया । उससे राजा दशरथ दुःखी ओर द्रवित हुऐ ओर भरत को राज सिंहासन एवं श्रीरामचन्द्रजी को 14 वर्ष का वनवास दशरथ द्वारा दिये गये कैकेयी के वरदान के कारण हुआ । श्रीराम प्रभु श्री आदिनाथ भगवान के अनन्य उपासक थे । वे कुलीन थे । पिता के वचन का पालन करने के लिये 14 वर्ष का वनवास सहर्ष स्वीकार कर लिया । जीवन मंे संवाद होना चाहिये विवाद किसी भी स्थिति में नहीं होना चाहिये । हमेशा अपनी प्रतिज्ञा का पालन करना चाहिये । पति जब संकट में हो या दुखी हो उस समय पत्नी को पति का हर कदम पर साथ देना चाहिये । प्रतिज्ञा का पालन करना आर्यकुल की परम्परा है।

जीवन में संवाद होना चाहिये विवाद नहीं: मुनि पीयूषचन्द्रविजय

राजगढ़ श्रीसंघ में मुनिश्री की प्रेरणा से नियमित प्रवचन वाणी का श्रवण कर श्रीमती पिंकी सुमितजी गादिया राजगढ़ ने अपनी आत्मा के कल्याण की भावना से महामृत्युंजय तप प्रारम्भ किया था, आज उनका 19 वां उपवास है । नमस्कार महामंत्र की आराधना मुनिश्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा. की निश्रा में 14 अगस्त से 22 अगस्त तक श्रीसंघ में करवायी जावेगी । श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के तत्वावधान में प.पू. गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. का पुण्योत्सव 11 से 18 सितम्बर तक श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में मनाया जावेगा ।


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