स्कूल में हॉर्स राइडिंग की प्राइवेट नौकरी मिली, मालिक ने वेतन नहीं दिया घोड़ा सुपुर्द कर दिया | School main horse riding ki private nokri mili

स्कूल में हॉर्स राइडिंग की प्राइवेट नौकरी मिली, मालिक ने वेतन नहीं दिया घोड़ा सुपुर्द कर दिया

अब घोड़े को पालना मुश्किल हो रहा प्रतिदिन 100  रुपये से अधिक का खर्च

स्कूल में हॉर्स राइडिंग की प्राइवेट नौकरी  मिली।मालिक ने वेतन नहीं दिया घोड़ा सुपुर्द कर दिया

धामनोद (मुकेश सोडानी) - पुरानी कहावत है कि वह घोड़े बेच कर सो गया लेकिन यहां मामला विपरीत है वह घोड़ा बेचकर नहीं  देकर सो गया  ऐसा ही मामला नगर के हिमालय स्कूल में हॉर्स राइडिंग का प्राइवेट कार्य करने वाले अर्जुन पिता मोहन कटारे के साथ हुआ  है दरअसल हुआ यूं कि करोना काल में विगत दो वर्षों से स्कूल  बंद है जिसमें सभी  वर्ग की आर्थिक कमर पूरी तरह से टूट चुकी है अब हिमालय स्कूल में हॉर्स राइडिंग के ठेकेदार सचिन राठौर के अधीनस्थ कार्य करने वाले अर्जुन कटारे को विगत 6 माह से वेतन नहीं मिला तो ठेकेदार सचिन राठौर ने घोड़ा जिसका नाम सेराफ है अर्जुन के सुपुर्द कर दिया कहा कि 6 दिन बाद आऊंगा और घोड़ा लेकर चला जाऊंगा और पिछले 6 महीनों का रुका वेतन भी दे दूंगा लेकिन ऐसा कुछ हुआ ही नहीं अब अर्जुन घोड़ा तो अपने घर ले गया लेकिन मालिक के आने का इंतजार कर रहा है ताकि वह घोड़ा ले जाए और बदले में अपना वेतन देकर चले जाएं लेकिन मालिक सचिन अब बहाने बाजी कर रहा है वह अर्जुन को न तो वेतन दे रहा है ना ही वापस घोड़ा ले जा रहा है

घोड़े को पालना मुश्किल पड़ रहा

अर्जुन के पिता मोहन कटारे ने बताया कि 15 दिन से घोड़ा हमारे पास है हमारा  बेटा जब मात्र 14 साल का था तब से वहां पर कार्य कर रहा पहले वेतन ₹3500 मिलता था लेकिन बाद में वेतन बढ़ाकर 6000 कर दिया लेकिन करोना काल में बंद के दौरान अब मालिक वेतन देने में आनाकानी कर रहा है  जबकि अर्जुन ने बंद के दौरान भी वहां पर लगातार कार्य किया ऐसे में घोड़ा तो अपने घर कुंडा ग्राम में लेकर आ गए लेकिन उसके खर्च को वहन नहीं कर पा रहे 18000 मालिक से लेना बाकी है लेकिन अब प्रतिदिन देखरेख में 100  रुपये से अधिक का खर्च करना पड़ रहा है

स्कूल प्रबंधक ने एक सिरे से नकार दिया

वेतन की बात को लेकर हिमालय स्कूल के जवाब दारों से भी चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि हार्ष राइडिंग का ठेका स्कूल द्वारा दिया हुआ था स्कूल प्रबंधक का इन सब चीजों से कोई लेना-देना नहीं है  विगत 2 वर्षों से स्कूल बंद है ठेकेदार और अर्जुन का आपसी लेनदेन है इसीलिए राठौड़ ने घोड़ा उसके सुपुर्द कर दिया  इधर ठेकेदार सचिन राठौर से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि एक-दो दिन में घोड़े को ले जाएंगे और बचा वेतन दे देंगे लेकिन  बाद भी वह नहीं आ रहे ऐसे में ना तो अर्जुन अब घोड़े को छोड़ सकता है न ही बदले में उसकी देखरेख का खर्च अब उसका खर्चा वहन कर पा रहा है

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