बालाघाट कलेक्टर के तबादले की खबर निकली फर्जी
बालाघाट (देवेंद्र खरे) - जिले में कोरोना संक्रमण का रोकने के कार्य में लगे कलेक्टर दीपक आर्य के तबादले की खबर रविवार 2 मई को तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल होती रही. दोपहर बाद कलेक्टर दीपक आर्य के तबादले और 2011 बैच की आईएएस नेहा मारव्या को बालाघाट कलेक्टर बनाये जाने की खबर सोशल मीडिया पर तेजी से ट्रेंड करती रही और बालाघाट के लगभग हर ग्रुप में इस खबर को देखा गया है, हालांकि शाम होते-होते तक यह खबर पूरी तरह से फर्जी निकली.
गौरतलब हो कि 26 दिसंबर 2018 को कलेक्टर दीपक आर्य ने तत्कालीन कलेक्टर डी. व्ही. सिंग के स्थानांतरण के बाद बालाघाट कलेक्टर का कार्यभार संभाला था. जिन्हें बालाघाट में कलेक्टर रहते हुए लगभग ढाई साल हो गये है, हालांकि मार्च 2020 से वर्तमान 2021 तक उनका कार्यकाल केवल जिले में कोविड नियंत्रण को लेकर ज्यादा रहा है. जो पूरा लगभग एक साल है, जिनके नेतृत्व में वर्ष 2020 के बालाघाट में काफी समय बाद पॉजिटिव मरीज आया था, हालांकि उसके बाद फिर मरीजों के आने का सिलसिला जारी रहा, लेकिन जल्द ही बालाघाट रिकवरी की ओर लौट गया था. जब बालाघाट में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आई और तेजी से मरीज सामने आने लगे, तब बालाघाट में कोरोना को काबू करने में जरूर प्रशासन को दिक्कतों का सामना करना पड़ा, जिसके कारण प्रशासन को आलोचना का शिकार भी होना पड़ा. हालांकि इन पर विपक्षी नेताओं खासकर पूर्व सांसद कंकर मुंजारे और पूर्व विधायक किशोर समरिते के यह निशाने पर रहे है, जिन्होंने इन पर कई बार गंभीर आरोप लगाये है, जबकि हाल में पूर्व विधायक किशोर समरिते ने उन पर संगीन आरोप लगाते हुए उनके तबादले की मांग तक कर डाली है. प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता और सत्ता परिवर्तन के दोनो दौर में जिले ने उनकी कार्यप्रणाली को काफी करीब से देखा है. सामंजस्य और समन्वय के साथ काम करने वाले कलेक्टर दीपक आर्य ने आमजन के विरोध के बाद भी शहर में डेंजर रोड से बायपास के निर्माण को गति देने का काम किया, यही नहीं बल्कि नगरीय क्षेत्र में सड़को पर सूर्य नमस्कार के कई मुद्राओं को प्रदर्शित करती प्रतिमायें और काली पुतली चौक का गार्डन उनकी ही सोच की देन है. हालांकि वह कई बार अपनी कार्यप्रणाली को लेकर भी सुर्खियों में रहे. मसलन रेत के मामले की शिकायत को गंभीरता से नहीं लेना. अधिकारियों की जन विरोधी कार्यप्रणाली को लेकर उन पर ठोस कार्यवाही नहीं किये जाने के सवाल भी खड़े होते रहे है.
हाल ही में उनकी जिम्मेदारियों पर प्रदेश शासन को समर्थन दे रहे केबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त खनिज निगम अध्यक्ष एवं विधायक प्रदीप जायसवाल ने कोविड सेंटर को खोले जाने को लेकर सवाल खड़े किये थे. जिसके बाद यह कोविड सेंटर प्रारंभ हो सका है. हालांकि इसके लिए भी कलेक्टर दीपक आर्य ने संसाधनों की उपलब्धता पर ही कोविड सेंटर सुचारू रूप से प्रारंभ किये जाने की बात कहकर अपना पक्ष रखा था.
2 मई रविवार को तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल होती कलेक्टर दीपक आर्य के तबादले की खबर फर्जी पाई गई. इसके बाद जहां फर्जी खबर वायरल करने वालों पर कार्यवाही की मांग उठ रही है, वहीं यह भी बताया जाने लगा था कि पूर्व विधायक किशोर समरिते की मांग को मान लिया गया है, हालांकि यह सभी बातें तबादले खबर की तरह फर्जी पाई गई.