जय जय ज्योति चरण जय जय महाश्रमण के जयकारों से गूंज उठा इच्छापुर मार्ग
बुरहानपुर (अमर दिवाने) - अहिंसा यात्रा के प्रणेता तेरापंथ के 11वे शसस्ता आचार्य महाश्रमण का महाराष्ट्र से मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले के इच्छापुर में मंगल प्रवेश हुआ। ज्ञात रहे कि आचार्य महाश्रमण देश विदेश में हजारों किलोमीटर की पद यात्रा करते हुए अहिंसा का परचम लहराते हुए रविवार को महावीर जयंती के पावन पर्व के शुभ अवसर पर ग्राम इच्छापुर में पधारे। नगर मंगल प्रवेश के दौरान कोरोना काल को देखते हुए शासन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए आचार्य महाश्रमण का प्रवेश के दौरान विधायक ठाकुर सुरेंद्रसिंह, स्वर्गीय सांसद नंदकुमारसिंह चौहान के पुत्र हर्षवर्धनसिंह एवं भाजपा जिलाध्यक्ष मनोज लधवे, 13 पंथ युवक परिषद, महिला मंडल एवं समग्र जैन समाज के प्रतिनिधियों ने आचार्य महाश्रमण की अगवानी की। प्रदेश की सीमा से विश्राम स्थल तक जय जय ज्योति चरण जय जय महाश्रमण और अहिंसा परमो धर्म के जयकारों से इच्छापुर मार्ग गूंज उठा।
इच्छादेवी ट्रस्ट के भवन में की गई व्यवस्थाओं को लेकर ट्रस्ट के पदाधिकारियों की संतों ने की सराहना
यूं ही नहीं बुरहानपुर को गंगा जमुना की तहजीब का शहर कहा जाता है। जैन संतों के आगमन पर इच्छा देवी मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों द्वारा आचार्य महाश्रमण के मंगल प्रवेश के दौरान किए गए सत्कार को लेकर जैन समाज में ट्रस्ट के पदाधिकारियों के प्रति एक अलग सम्मान का भाव पैदा हुआ है। वही जैन समाज के जतन भाई सेठिया ने इच्छा देवी मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों को उनके द्वारा की गई व्यवस्थाओं के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ ही साथ वहां पधारे संतों ने भी मंगल भवन की तारीफ करते हुए ट्रस्ट के पदाधिकारियों की सराहना की।
सांसद पुत्र ने नंगे पैर पदयात्रा कर आचार्य महाश्रमण के प्रति अपने भाव व्यक्त किए
अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्य महाश्रमण की प्रदेश सीमा से लेकर इच्छा देवी मंदिर ट्रस्ट के मंगल भवन तक आचार्य महाश्रमण के साथ सांसद पुत्र हर्षवर्धन सिंह चौहान आचार्य श्री के साथ करीब 4 किलोमीटर नंगे पांव चले। इस दौरान उनके साथ विधायक ठाकुर सुरेंद्र सिंह शेरा भैया भी मौजूद रहे।
दूसरों के कष्ट हर लेने वाला महावीर कहलाता है
महावीर जन्म कल्याणक दिवस के शुभ अवसर पर आचार्य श्री महाश्रमण ने भगवान महावीर के जन्म को लेकर अपने उद्बोधन में कहा कि भगवान महावीर का नाम वर्धमान था और भगवान महावीर भी आत्मा का ही एक रूप है। सब कुछ अपने कर्म ही निर्धारित करते हैं। भगवान महावीर ने गर्भ अवस्था में ही कष्ट हरने के भाव पैदा हो गए थे। गर्भावस्था के दौरान भगवान महावीर को एहसास हुआ कि उनके हिलने डुलने से माता को तकलीफ होती है, उसे देखते हुए भगवान महावीर ने गर्भावस्था में माता को कष्ट न हो इसलिए हिलना डुलना बंद कर दिया। तात्पर्य है कि भगवान महावीर ने बचपन से ही दूसरों के कष्ट अपने ऊपर लेना आरंभ कर दिया था, जो व्यक्ति दूसरों के कष्ट भी अपने ऊपर ले लेता है वही सही मायने में महावीर कहलाता है।
आज आचार्य श्री का शाहपुर आगमन
आचार्य श्री महाश्रमण का सोमवार 26 अप्रैल को शाहपुर आगमन होंगा। आचार्य श्री अपने संतो और सतीयो के साथ प्रातः 6:00 पद यात्रा करते हुए इच्छापुर से शाहपुर के लिए रवाना होंगे। 27 अप्रैल मंगलवार को आचार्य श्री महाश्रमण का बुरहानपुर में मंगल प्रवेश होगा। जहां वे सेवा सदन कॉलेज में भक्तों को दर्शन लाभ देंगे।