आदर्श कर्म योगी थे पंडित दीनदयाल उपाध्याय - नाथू सिंह गुर्जर | Adarsh kamr yogi the pandit dindayal upadhyay

आदर्श कर्म योगी थे पंडित दीनदयाल उपाध्याय - नाथू सिंह गुर्जर

आदर्श कर्म योगी थे पंडित दीनदयाल उपाध्याय - नाथू सिंह गुर्जर

भिंड (मधुर कटारे) - भारतीय जनता पार्टी द्वारा आयोजित पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष नाथू सिंह गुर्जर ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा की पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी एक आम हिंदुस्तानी जिसने धोती कुर्ता और साधारण सी चप्पल पहन रखी है कंधे पर झूले में कुछ किताबें हैं बगल में छोटा सा बिस्तर और नाक पर चश्मा इस छवि में मैंने एक महान मानव के दर्शन किए पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने जीवन में व्यक्तिगत शुचिता और गरिमा के उच्चतम आयाम स्थापित किए आदर्श कर्म योगी गंभीर दार्शनिक समर्पित समाजशास्त्री कुशल राजनीतिज्ञ अर्थशास्त्री और पत्रकार के रूप में उनको जाना जाता था संसार के कई देश जहां समाजवादी और पूंजीवादी विचारधाराओं को अपना रहे थे वही पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी एक ऐसा दर्शन प्रस्तुत करते हैं जिनके विकास का केंद्र मानव है दर्शनशास्त्र के क्षेत्र में उनकी सबसे बड़ी विचारधारा एकात्म मानववाद थी उनके अनुसार समाजवादी और पूंजीवादी विचारधाराएं केवल मानव के शरीर तथा मन की आवश्यकता पर विचार करती है इसलिए भौतिकवादी उद्देश पर आधारित है जबकि मनुष्य के संपूर्ण विकास के लिए आध्यात्मिक विकास भी उतना ही आवश्यक है एकात्म मानववाद एक ऐसी विचारधारा है जिसके केंद्र में व्यक्ति फिर व्यक्ति से जुड़ा परिवार फिर परिवार से जुड़ा समाज राष्ट्र और विश्व तथा अनंत ब्रह्मांड समाविष्ट है सभी एक दूसरे से जुड़कर अपना अस्तित्व कायम रखते हैं इस दर्शन में समाज केंद्रित मानव व्यवहार और उसमें संबंध आर्थिक सामाजिक और राजनीतिक व्यवहार की परिकल्पना प्रस्तुत की गई थी उन्होंने कहा कि मन आत्मा बुद्धि और शरीर का समुच्चय मानव है चार पुरुषार्थ धर्म अर्थ काम मोक्ष से पूर्व मानव ही एकात्म मानव दर्शन का केंद्र बिंदु है उनका मन था कि चार पुरुषार्थ की लालसा मनुष्य में जन्मजात होती है और समग्र रूप से इनकी संतुष्टि भारतीय संस्कृति का सार है आज के दौर में एकात्म मानववाद की प्रासंगिकता बनी हुई है क्योंकि यह एकीकृत और संधारण है इसमें व्यक्ति तथा समाज की आवश्यकता को संतुलित करते हुए प्रत्येक मानव को गरिमामय जीवन सुनिश्चित करने की बात रखी गई है इसमें केवल सामाजिक अपितु राजनीतिक अर्थव्यवस्था आध्यात्मिक शिक्षा और लोगों पर व्यापक और व्यवहारिक नीति निर्देशक थे पंडित दीनदयाल ने कहा कि हमें अपनी राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था करना चाहिए इन दो शब्दों में है स्वदेशी एवं विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया है स्वदेशी को अनुकूल तथा विदेशी को स्वदेश अनुकूल बना कर ग्रहण करना चाहिए पश्चिमी देशों ने भारत की दशा और दिशा को काफी प्रभावित किया है या बाद में भी बना रहा इसके चलते भारतीय पीछे छूट गई भारतीय मानसिकता को भारतीय संदर्भ में देखने और विकसित करने के लिए प्रयास होना चाहिए वास्तव में इस वक्त भारतीय मानसिकता का भारतीय करण बड़ी चुनौती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत लोकल फोकल मेड इन इंडिया जैसी नीतियों तथा योजनाएं इस दिशा में किया गया प्रयास है ब्रिटिश राज कॉल भारत के लिए भारत के लिए मुश्किलों से भरा हुआ रहा इस काल में अनेक महापुरुषों ने समाज के मार्गदर्शन में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया महात्मा गांधी ने देश के पिछड़े और निर्धन वर्ग के उत्थान पर अपना ध्यान केंद्रित किया उनके आचार विचार की झलक पंडित दीनदयाल में देखने को मिलती है गांधी जी ने जिसे समुदाय कहा था उसे पंडित दीनदयाल अंत्योदय कहकर पुकारा और इस विचार के प्रणेता बने उनका अंत्योदय से अभिप्राय था कि समाज की पंक्ति में सबसे अंत में खड़े व्यक्ति से आर्थिक विकास के प्रयास शुरू होने चाहिए प्रत्येक व्यक्ति को उसकी योग्यता रुचि और दक्षता के अनुसार काम मिले जिससे उसकी प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति शेयर हो सके चाहते थे कि देश में अर्थ का भाव रहे नार्थ का प्रभाव रहे उनका मानना था कि अर्थ का अभाव हानिकारक होता है उतना ही हानिकारक होता है दोनों ही समाज तथा देश के लिए घातक है दर्शन समाज के अंतिम व्यक्ति के जीवन स्तर में सुधार तथा उसे मुख्यधारा में पहुंचाने वाला था दरिद्र नारायण से अंतिम तक का यह सफर भारतीय आध्यात्मिक सोच का सफर है जो भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र रहा है सबका साथ सबका विकास की अवधारणा पंडित दीनदयाल उपाध्याय की विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए समाज के गरीब और पिछड़े लोगों के लिए भाजपा सरकार में कई योजना लागू की गई है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेक इन इंडिया प्रोग्राम पंडित दीनदयाल को समर्पित किया आर्थिक नीति अर्थशास्त्र के बारे में पंडित दीनदयाल का मानना था कि 2 की छोटी छोटी गईया होनी चाहिए जिससे उत्पादन ज्यादा हो बड़े उद्योगों की स्थापना पूंजीवादी व्यवस्था का आधार है और उन्हें आधुनिक विज्ञान और तकनीक का स्वागत किया भारत की प्रगति के लिए छोटे उद्योग धंधों का हित कार बताया वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा कुटीर उद्योग सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम को प्रोत्साहन विचार कार्य का चित्रण है नेहरू के प्लानिंग कमीशन के वह सख्त खिलाफ थे नरेंद्र मोदी ने पीएम बनने के बाद तत्परता से इसे खत्म किया स्वतंत्रता के बाद देश की बौद्धिक चेतना को जागृत करने और राष्ट्र के शाश्वत विचार सांस्कृतिक मूल्यों को रेखांकित करने के उद्देश्य से दीनदयाल जी ने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन किया जन्म प्रमुख है मासिक राष्ट्रधर्म साप्ताहिक तथा दैनिक स्वदेश पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने आदेश के जरिए समाज सेवा को अपना लक्ष्य बनाया वह भाऊराव देवरस तथा नानाजी देशमुख से बहुत प्रभावित थे सन 1951 में जनसंघ की स्थापना के बाद जनसंघ को भारतीय राजनीति में स्थापित करने में उनका बड़ा योगदान था 1952 में उन्हें जनसंख्या महामंत्री नियुक्त किया गया 1952 से 1967 तक वह लगा था जिसके लिए नीति निर्देशक और प्रदर्शन करते रहे उनके नेतृत्व में देश के राजनीतिक पटल पर एक मजबूत विकल्प के रूप में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के बारे में कहा जाता था कार्यकर्ताओं को सादा जीवन उच्च विचार के लिए प्रेरित करते हैं खुद को लेकर कहते थे धोती कुर्ते और दो वक्त का भोजन हुआ है सादगी ही देखने को मिलती थी उन्होंने कहा था कि यदि किसी बड़े नेता की तरह निजी सचिव में गरीब जनता का प्रतिनिधि का अधिकारी होगा जब तक यह सारी सुविधाएं प्रदेश स्तर के कार्यकर्ताओं को उपलब्ध नहीं हो जाती मेरा मन अपने लिए उन सुविधाओं को स्वीकार नहीं करेगा पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच अनुशासन को लेकर वह अत्यंत सचेत रहते थे हमेशा से भारतीय जनता पार्टी के लिए वैचारिक मार्गदर्शन और प्रेरणा के स्रोत थे उनको गुजरे हुए पांच दशक हो गए हैं लेकिन उनके विचारों की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है क्योंकि उनके विचार पुस्तक की ज्ञान से परे व्यवहारिक थे चाहे वह पत्रकार के तौर पर भाषा का संयम और संतुलन हो या फिर उनकी राजनीतिक का अनोखा अंदाज जहां उन्होंने किताब द 2 प्लस के जरिए विदेश  में आयातित अर्थ नीति का विरोध किया वहीं उन्होंने देश के लिए एक अनुकूल आर्थिक व्यवस्था का खाका भी सामने रखा दीनदयाल उपाध्याय की विचारधारा सत्ता प्राप्ति के लिए नहीं बल्कि राष्ट्र के पुनर्निर्माण के लिए थी राष्ट्र उनके प्रति सदैव कृतज्ञ रहेगा।

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