सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं की पोल खुली
गिरजा शंकर को ना रोटी नसीब हो रही है ना दवा बेजान जिस्म और बेनूर आंखों ने उसे जिंदा लाश बना दिया
जबलपुर (संतोष जैन) - जिस घर की दीवार और दरवाजे तक नहीं दिखते वे दुनिया को कैसे देख सकेगा उम्र का आखिरी पड़ाव इतना दर्द देगा गिरिजा शंकर को नहीं मालूम था दोनों आंखों से दिखाई नहीं देता पाव दो कदम चल नहीं सकते ना रोटी का इंतजाम है ना दवा का महर्षि अरविंद बाड स्थित छुई मोहल्ला मे रहने वाले 70 साल के बुजुर्ग गिरिजाशंकर की बदनसीबी तो देखिए दोनों आंखों में मोतियाबिंद हो चुका है हालात ऐसे हो चुके हैं कि उन्हें अब रोशनी के कतले भी धुंधले नजर आते हैं गरीबी के दलदल में पैदा हुए हालातों ने वृद्ध के जीने की तमाम गुंजा इसे लगभग खत्म कर दी है 14 साल पहले पत्नी का निधन हो चुका है कोई संतान भी नहीं जो बुढ़ापे में देखभाल कर सकें स्थानीय लोगों ने प्रशासनिक अधिकारियों शंकर की बदहाली की जानकारी देते हुए इलाज कराने गुहार भी लगाई है मगर अफसोस इस बात का है कि अभी तक किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने उसके घर जाकर मदद करने की जरूरत नहीं समझी दिया तले अंधेरा।
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