नेपा उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी ने पकड़ा जोर, मतदाताओं को दोनो दलों से उम्मीद नहीं.? | Nepa upchunav main nirdaliy pratyadhi ne pakda zor

नेपा उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी ने पकड़ा जोर, मतदाताओं को दोनो दलों से उम्मीद नहीं.?

क्या ट्रैक्टर करेगा दोनो पार्टीयो का सफाया.?

नेपा उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी ने पकड़ा जोर, मतदाताओं को दोनो दलों से उम्मीद नहीं.?

बुरहानपुर। (अमर दिवाने) - नेपानगर विधानसभा उपचुनाव अपने चरम पर हैं। कांग्रेस ओर बीजेपी के बीच काँटे का मुकाबला अंतिम मोड पर आ गया हैं। जहाँ बीजेपी ने इस उप चुनाव में अपनी पुरी ताकत झोक दी है। वही प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी अपनी नजर नेपानगर पर रखे हुवे है। कमजोर प्रत्याशी होने के बाद भी बाजी पलटाने में माहिर मुखिया शिवराज सिंह चौहान नेपा विधानसभा क्षेत्र में अभी तक तीन सभाएं लेे चुके है। बीजेपी के पास दल बदलकर कर आई सुमित्रा कास्डेकर प्रत्याशी होने के बाद भी एक-एक कदम फुक-फुक कर रख रही है। हालाकी कुछ जगहों पर छोटा मोटा विरोध का सामना भी करना पड रहा है। मगर इनके कार्यकर्ता बड़ी मशक्कत करते हुवे मतदाताओं को रिझाने की कोशिश में भी लगे हुवे है। चुनावी घमासान में मेैदानी जंग कमजोर ना पडे इसलिये सभाओं का दौर निरंतर जारी है। प्रत्याशी कमजोर  जरूर है, लेकिन अंदरूनी नाराजगी भी सभी मे है। चुनाव का मैदान भी जितना जरूरी है, किसी प्रकार की गलती ना हो। और मंजिल इतनी आसान भी नही है। क्योंकि सामने कांग्रेस प्रत्याशी और एक निर्दलीय प्रत्याशी दमदार होने के साथ-साथ मजबूत स्थिति में भी है। भाजपा को जरा सी चुक चारों खाने चित की स्थिति भी बन सकती है। क्योंकि बाहरी नेताओं का आगे-आगे रहना स्थानीय नेताओ को पीछे-पिछे लाना। सबसे बडी नाराजी का कारण भी बन सकता है। और अंतिम समय में पासा भी पलट सकता है।

निर्दलीय प्रत्याशी भी पुरे दमखम से मैदान में दोनो प्रत्याशीयों के लिये खतरा बनकर सामने डटे हुए हैं।

विधानसभा उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी संजय मावस्कर है। जो दिल्ली में पढ़े लिखे होने के साथ साथ, विदेश में कुछ साल बिताये है। और अनुभवी प्रत्याशी है। मिलनसार और सुलझे हुवे भी व्यक्तित्व है। इस समय अपनी अलग पहचान भी रखते है। नेपानगर क्षेत्र में मजबूत पकड़ भी रखते है, और दोनों प्रत्याशीयों के मुकाबले अपनी पहचान खुद बनाने में सफल भी हो रहे हैं। अब लगता है मंज़िल पाना आसान भी है, ओर दोनो पार्टीयो के लिये खतरा भी है। जनता अब इन्हे पसंद भी करने लगीं है। अगर इनके ट्रेक्टर ने रफ्तार पकड़ ली और अपना जादू दिखा दिया तो सामने वाली कांग्रेस ओर बीजेपी पार्टियों के बने बनाए खेल पर अपना असर डाल सकता है। इनकी मेहनत पर पानी भी फेर सकता है।

ज़रा सी चूक और चारो खाने चित की स्तिथि पर भी ला खड़ा कर सकता है। हम तो हारे हैं, ऐ दोस्त तुम्हे भी जितने ना देंगे.! निर्दलीय उम्मीदवार इस मोड़ पर भी ला खड़ा कर सकते है। नेपानगर में इस बार उट किस ओर करवट बदलता है यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन अभी तो निर्दलीय प्रत्याशी संजय मावस्कर अग्रिम पंक्ति में खड़े नजर आ रहे हैं।

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